अज्ञानतावश सिखों की धार्मिक भावनाएँ आहत करने के मामले में पंजाबी गायक गुरदास मान को आखिरकार राहत मिल गई। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत की याचिका को स्वीकार कर लिया। साथ ही मामले से संबंधी जाँच में शामिल होने का आदेश दिया।
इससे पहले उनकी याचिका जालंधर कोर्ट में रिजेक्ट हुई थी। कथिततौर पर कोर्ट का कहना था कि अगर मान ने माफी माँगी है इसका मतलब है कि उन्होंने गलती की, इसलिए वह याचिका खारिज करते हैं। कोर्ट ने हवाला दिया था कि मान को जमानत देने के माहौल खराब हो सकता है (क्योंकि सिख उनके नाराज हैं और उनके विरुद्ध कार्रवाई चाहते हैं)।
Gurdas Maan made an unintentional ‘blasphemous’ comment regarding Sikh Guru. When it triggered protests, he apologised in video. Yet, there was FIR. Jalandhar court said his apology meant admission to offence and rejected his bail plea.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) September 15, 2021
Silence because no Hindu groups involved
जालंधर कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद ही मान ने हाईकोर्ट का रुख किया। जहाँ उनकी ओर से पेश वकीलों के समूह ने बताया कि गुरदास मान ने एक कलाकार के तौर पर अपना विनम्र योगदान दिया है। वह एक पंजाबी गीतकार हैं और उन्होंने सिख गुरुओं के सम्मान में कई गीत लिखे हैं जो दुनिया भर में सिखों और पंजाबियों के बीच प्रसिद्ध हुए। इसके अलावा साल 2005 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा जूरी पुरस्कार भी दिया गया था।
Note how Gurdas Maan’s bail plea goes on and on how good a Sikh he is. How he has spread Sikhism and “Punjabiyat” pic.twitter.com/JEUJe0ORlZ
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) September 15, 2021
इस याचिका को पेश करते हुए आरएस चीमा, वकील अर्शदीप सिंह चीमा और तरन्नुम चीमा ने बताया कि धारा 295 (ए) जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के लिए लागू किया गया है। इसका उद्देश्य केवल नाराजगी है। याचिका में मान के वकीलों ने यह भी उल्लेख किया है कि याचिकाकर्ता धर्म से सिख है और सभी सिख गुरुओं का एक भक्त भी है और सभी सिख प्रथाओं का पालन करता है।
बता दें कि जालंधर के नकोदर में डेरा बाबा मुराद शाह के डेरे पर आयोजित मेले के दौरान मान ने सिख गुरु श्री अमरदास जी और लाडी साईं जी के एक ही वंश के होने की बात कही थी। इसके बाद से वह विवादों में आ गए थे और उनके खिलाफ नकोदर में 26 अगस्त को धार्मिक भावनाओं को आहत करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके अलावा कई जगह उनके विरुद्ध प्रदर्शन भी हुए थे।
मामले को तूल पकड़ता देख गुरदास मान ने इस संबंध में माफी भी माँगी थी। हालाँकि उस माफी गौर नहीं दिया गया और उनके विरुद्ध एफआईआर हो गई। साथ ही जालंधर कोर्ट ने याचिका भी खारिज कर दी। अब लोग सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठा कर पूछ रहे हैं कि आखिर एक व्यक्ति जिसने ताउम्र सिख धर्म और पंजाबियों के लिए काम किया हो उस पर ईशनिंदा का आरोप कैसे लग सकता है।