UP के बाराबंकी में HDFC बैंक की जिस ब्रांच में रोजा इफ्तारी और नमाज करवाई गई थी, वहाँ से एक सरकारी खाते को हटा लिया गया है। यह खाता नगर विकास अभिकरण डूडा की ओर से संचालित योजना जिला नगरीय गरीबी उन्मूलन का है। इस खाते को 20 करोड़ रुपए से अधिक का बताया जा रहा है। ब्रांच पर प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना भी सही ढंग से संचालित न करने का आरोप है। बैंक के ब्रांच मैनेजर जहीर अब्बास हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नगर विकास अभिकरण ने अब बैंक ऑफ़ इंडिया में खाता खुलवा लिया है। खाते को बदलने की वजह बैंक द्वारा लापरवाही बरतना बताया गया है। इसकी पुष्टि डूडा के परियोजना अधिकारी सौरभ त्रिपाठी ने की है।
नगर विकास अभिकरण डूडा के इस खाते में निर्माण कार्यों के पैसे का आदान-प्रदान होता है। इस खाते को डीएम के साथ मुख्य विकास अधिकारी और डूडा के PO एक साथ संचलित करते हैं। माना जा रहा है कि इस कदम से HDFC बैंक की पैसार बाराबंकी ब्रांच के आर्थिक हालात पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
पिछले महीने 19 अप्रैल को बाराबंकी की CDO (मुख्य विकास अधिकारी) एकता सिंह ने डूडा के प्रोजेक्ट ऑफिसर सौरभ त्रिपाठी के साथ बैंक का निरीक्षण किया था। निरीक्षण की वजह बैंक की ब्रांच पर पटरी के 44 दुकानदारों का महीने भर पहले स्वीकृत लोन न देने और उनकी फ़ाइलों को दबा कर रखने का आरोप था। अधिकारियों के दौरे और निर्देश के बाद बैंक ने कुछ पटरी दुकानदारों को लोन दिया। इन कार्यों की प्रगति अधिकारियों को संतोषजनक नहीं लगी। बताया जा रहा है कि यही वजह बैंक से खाते को हटाने की बनी है।
इस बीच बैंक परिसर में हुई इफ्तार पार्टी के चलते HDFC का यह बाराबंकी ब्रांच नए विवादों में घिर गया था। शुक्रवार (22 अप्रैल, 2022) को बैंक में इफ्तारी हुई थी। इसमें समाजवादी पार्टी के नेता सहित कई अन्य स्थानीय मुस्लिम भी शामिल हुए थे। बैंक ने उन्हें उपहार भी दिए थे। बैंक मैनेजर जहीर अब्बास ने इफ्तारी को शवाब बताते हुए इसे इस्लाम के मुताबिक सही करार दिया था। तब हिन्दू संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रशासन से कार्रवाई की माँग की थी।
बैंक के अंदर इफ्तारी पर HDFC मुख्यालय का जवाब
ऑपइंडिया ने HDFC बैंक के मुंबई मुख्यालय स्थित कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन विभाग के प्रमुख रोहित पांचाल से इस मुद्दे पर 26 अप्रैल 2022 को बात की थी। इस बातचीत में ऑपइंडिया के सवाल थे:
- क्या इफ्तारी करवाने की अनुमति स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से ली गई थी?
- क्या इफ्तारी HDFC बैंक की स्थाई परम्परा है और देश की हर ब्रांच में होती है?
- यदि बैंक में मजहबी कार्यक्रम के दौरान कोई अन्य धार्मिक संगठन विरोध प्रदर्शन करता तो उन हालातों का जिम्मेदार कौन होता?
- यदि बैंक परिसर में इतनी भीड़ के दौरान कैश आदि गायब हो जाता तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होती?
- यदि बैंक टाइम खत्म होने के बाद बेहद जरूरतमंद को भी पैसे डालने या निकालने के लिए बैंक में इंट्री नहीं मिलती तो किस नियम से बैंक समय खत्म होने के बाद इतनी भीड़ को अंदर बुला कर इफ्तारी करवाई गई?
- यदि ब्रांच मैनेजर जहीर अब्बास का निर्णय सही है तो क्या आप सभी सीनियर अधिकारी उनके साथ उनके पक्ष में खड़े हैं?
- यदि उनका निर्णय गलत है तो कौन सी कार्रवाई संभावित है?
- क्या आप कुछ अन्य फोटो और वीडियो भी भेज सकते हैं, जिसमें साधु-संतों या पादरी आदि को बुला कर कोई धार्मिक कार्यक्रम करवाया जा रहा हो?
उपरोक्त सभी सवालों पर रोहित पांचाल ने कहा, “बैंक किसी भी धार्मिक/मजहबी रीति रिवाज नहीं बल्कि कॉर्पोरेट नियमों से संचालित है। हम पूरे हालात पर नजर बनाए हुए हैं। अभी तक मैनेजर या आयोजकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हम प्रयास करेंगे कि आगे से ऐसे हालत न बनें। यदि इस मामले में कोई कार्रवाई होती है तो हम उस से आपको अवगत करवाएँगे।” बाकी सवालों पर रोहित खामोश रहे।