उत्तर प्रदेश पुलिस ने महात्मा गाँधी के पुतले पर गोली चलाने वाली पूजा शकुन पांडेय को गिरफ़्तार कर लिया है। पूजा के साथ उसके पति अशोक पांडेय की भी गिरफ़्तारी हुई है। इस मामले में अलीगढ़ पुलिस ने कुल 13 लोगों (11 की पहचान, 2 अज्ञात) के ख़िलाफ़ FIR दर्ज किया था। पूजा और अशोक को मिलाकर इनमें से 7 लोगों की गिरफ़्तारी अब तक हो चुकी है।
आपको बता दें कि हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव पूजा ने 30 जनवरी को महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि के मौके पर उनकी हत्या का सीन दोहराया था। इसके लिए पूजा ने महात्मा गाँधी के पुतले पर खिलौने वाली पिस्टल (एयर पिस्टल) से तीन गोलियाँ चलाई थीं। इस दौरान वहाँ खड़े लोगों ने ‘गोडसे जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए और गाँधीजी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया था।
अलीगढ़ के नौरंगाबाद में घटी इस घटना का सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की थी। जिन धाराओं में इन लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है, वे हैं –
- 153A (शत्रुता को बढ़ावा देना) – धर्म, नस्ल, जन्म-स्थान, निवास-स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और आपसी सद्भाव को चोट पहुँचाने के लिए पूर्वग्रहपूर्ण कार्य करना।
- 295A (जानबूझकर और निंदनीय कृत्य) – जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण किया गया ऐशा कृत्य, जिसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं का अपमान करना या किसी भी वर्ग को उसके धर्म या उसके धार्मिक विश्वासों का अपमान कर उकसाना है।
- 147 (दंगा करने की सजा) – जो कोई भी दंगा करने का दोषी है, उसे दो साल तक जेल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
- 148 (घातक हथियार से लैस दंगाई) – जो कोई भी घातक हथियार से लैस होकर दंगा करने का दोषी है या किसी ऐसे हथियार के साथ हो जिसकी वजह से मौत हो सकती और जिसका अपराध करने में इस्तेमाल किया जाता है, उसे तीन साल तक जेल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
- 149 (एक समान अपराध और उद्देश्य के लिए गैरकानूनी रूप से एकत्रित प्रत्येक सदस्य अपराध का दोषी) – यदि गैरकानूनी ढंग से एकत्रित (कम से कम 5 लोग) होकर कोई अपराध किया जाता है, जिसमें सभी का उद्देश्य एक होता है, या एकत्रित भीड़ में सभी को उस उद्देश्य की जानकारी होती है, तो प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के समय उस एकत्रित भीड़ का हिस्सा है, उसे उस अपराध का दोषी माना जाएगा।
- यूनाइटेड प्रोविन्सेज़ स्पेशल पॉवर एक्ट की धारा 6 – 1932 में बनी यूनाइटेड प्रोविन्सेज़ स्पेशल पॉवर एक्ट की धारा 6 के तहत किसी जीवित व्यक्ति के नकली अंतिम संस्कार का आयोजन करना एक अपराध है, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ तीन महीने तक की जेल की सजा का प्रावधान है।