चुनाव आयोग ने बुधवार (अप्रैल 17, 2019) की देर रात ओडिशा की संबलपुर सीट के पर्यवेक्षक आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन को निलंबित कर दिया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस निलंबन के पीछे प्रधानमंत्री को दोषी बता रहे हैं। ऐसे लोगों का मानना है कि मोहसिन को केवल प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ के हेलीकॉप्टर की जाँच करने के कारण निलंबित किया गया है। जबकि चुनाव आयोग की मानें तो मोहसिन को ड्यूटी में लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया है।
#Odisha: Election Commission of India suspends with immediate effect General Observer Mohammed Mohsin for acting contrary to the instructions of the Commission concerning SPG protectees. He will be posted at Sambalpur till further orders. pic.twitter.com/1PB8IODqTS
— ANI (@ANI) April 17, 2019
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (अप्रैल 16, 2019) को संबलपुर में रैली के लिए पहुँचे थे। जहाँ पर्यवेक्षक मोहसिन ने उनके हेलीकॉप्टर की जाँच की। यह निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत नहीं था।
जिला कलेक्टर और पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट मिलने के बाद चुनाव आयोग ने मोहसिन को निलंबित कर दिया। आयोग की ओर से कहा गया है कि मोहम्मद मोहसिन ने एसपीजी सुरक्षा प्राप्त गणमान्य व्यक्तियों के लिए नियत निर्देशों का पालन नहीं किया है।
Only If you had read the article it clearly says the officer did not act in conformity of the EC. EC guidelines say SPG protectees are exempted from such checking. Your leader & party have proved several times that common sense is not so common and this is yet another occasion. https://t.co/Y1LxNxeha2
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) April 18, 2019
मोहसिन का निलंबन तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इस कारण से मोहसिन को अगले निर्देशों तक संबलपुर में ही रुकना होगा। मोहसिन कर्नाटक कैडर के 1996 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
मीडिया की खबरों के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि संबलपुर में प्रधानमंत्री के हेलीकॉप्टर की जाँच करना निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के ख़िलाफ़ है। उनकी मानें तो एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों को ऐसी जाँच से छूट प्राप्त होती है।
बताते चलें कि निर्वाचन आयोग देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के मद्देनज़र सभी संसदीय क्षेत्रों में सामान्य पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करता है। पारदर्शिता और स्थानीय प्रशासन से दूरी सुनिश्चित करने के लिए ये हमेशा राज्य के बाहर के अधिकारी होते हैं।