भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की जनता अब ‘एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरे गाल को आगे बढ़ाने’ वाली मानसिकता से निकल चुकी है। उन्होंने कहा कि भारतीयों को मुकाबला करने की जरूरत है। पहले के ‘दूसरे गाल को आगे बढ़ाने की स्मार्ट रणनीति’ से भारत की जनता अब निकल चुकी है। उन्होंने कहा कि आजादी के तुरंत बाद से ही भारत सीमापार से आतंक झेल रहा है। अब सामना करने की जरूरत है।
गाँधी नगर के लावड में स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत को आजादी के दिन से ही आतंकवाद झेलना पड़ रहा है। भारत को जब आजादी मिली, तभी पाकिस्तान से आए हमलावरों ने कश्मीर पर हमला शुरू कर दिया था। आज इस देश में एक बदलाव आया है। विदेश मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि मुंबई पर 26/11 हमला एक निर्णायक बिंदु था, जिसके बाद देश की मानसिकता बदली है।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “अब हमें सबसे पहले जो करने की जरूरत है, वह यह है कि हमें मुकाबला करने की जरूरत है। मैं जानता हूँ कि जिन लोगों ने कहा था, ‘ओह, हमने दूसरा गाल आगे करने की एक बहुत ही स्मार्ट रणनीति’ बनाई थी। मुझे नहीं लगता कि देश का अब यह मूड है। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई मतलब है। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई रणनीतिक मतलब है। अगर कोई सीमा पार आतंकवाद कर रहा है, तो आपको इसका जवाब देना चाहिए। उन्हें इसकी कीमत चुकानी चाहिए।”
Speaking at the Convocation ceremony of Rashtriya Raksha University @RakshaUni in Gandhinagar https://t.co/bwsKCrUY6k
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) December 23, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले जिसमें 5 जवान बलिदान हो गए, इस मामले पर विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद लंबे समय से भारत के लिए एक चुनौती रहा है। हमें तेजी से जवाब देना होगा। जो भी हम पर हमला करे, उसे नतीजा भुगतना होगा।
कार्यक्रम के दौरान एस जयशंकर ने कहा, “आतंकवाद का मुकाबला इसलिए हमारी क्षमताओं और हमारी कल्पनाओं दोनों को चुनौती देता है। जैसे-जैसे हमारे हितों का विस्तार होता है, हमें दूसरों की सुरक्षा में योगदान देने का भी प्रयास करना होगा। यह तत्काल पड़ोस में हो सकता है, या यह वित्तीय, स्वास्थ्य और ऊर्जा सहायता के संदर्भ में हो सकता है उनके लिए या यह ग्लोबल साउथ जैसे बड़े क्षेत्र के लिए हो सकता है।”