सबसे खतरनाक वो लोग हैं जिनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं होता है। अपने दोषपूर्ण आँकड़ों और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग, जिसे कि समय-समय पर एक्सपोज़ किया जा चुका है, IndiaSpend के पास शायद ही कोई विश्वसनीयता बाकी रह गई है। जो कि उन्हें एक खतरनाक एजेंडा फ़ैलाने वाला प्लेटफॉर्म साबित करता है।
अपनी नवीनतम रिपोर्ट में ‘स्वराज्य’ ने उनके ‘भ्रामक और सेलेक्टिव रिपोर्टिंग’ के माध्यम से अपने ‘Hate Crime Watch’ लिस्ट में पीड़ित मुस्लिमों की संख्या को बढ़ाकर दिखाने के, उनके एक और प्रयास को एक्स्पोज़ किया है।
अक्टूबर 2018 में, दक्षिण दिल्ली में रहने वाले आठ साल के अज़ीम की खेल के मैदान में हाथापाई के दौरान मृत्यु हो गयी थी। ‘लिबरल्स’ ने उसकी मृत्यु को पुलिस के नकारने के बाद भी ‘घृणा-जन्य अपराध’ साबित कर दिया था। इस घटना के एक महीने बाद, उसी स्थान पर एक दूसरी घटना में मस्जिद जाने वाले लोगों ने दावा किया कि लोगों ने उनपर पत्थरबाज़ी की। IndiaSpend के अनुसार यह घृणा-जन्य अपराध है।
सच्चाई IndiaSpend के दावे से बहुत अलग है। स्वराज्य की रिपोर्ट के अनुसार, ऊपर दी गई रिपोर्ट में वर्णित दोनों युगल, मुमताज़ तथा उसकी पत्नी शबाना और लियाक़त तथा उसकी पत्नी सरोज की आपस में लड़ाई हुई और उन्होंने एक-दूसरे को घायल कर दिया। निश्चित है कि यहाँ पर पीड़ित ही अपराधी हैं और अपराधी ही पीड़ित भी हैं। इसे वास्तव में किसी दूसरी तरह से पेश नहीं किया जा सकता है।
हौज़ ख़ास के नज़दीक बेगमपुर में ही दक्षिण दिल्ली का सबसे बड़ा मदरसा स्थित है। यहाँ पर स्थित जामिया फरीदिया और जामा मस्जिद वाल्मीकि समाज की झुग्गियों से घिरी हुई है, जहाँ लगभग वाल्मीकि समाज (अनुसूचित जाति) के 500 परिवार और लगभग 20-25 मुस्लिम परिवार रहते हैं। इसके पास ही एक मैदान है, जिसे लोग सार्वजनिक बताते हैं और मदरसा इसे अपनी जमीन बताता है। इन दोनों समुदायों के बीच तनाव का यह एक प्रमुख कारण है। इस मामले में पुलिस ने हताक्षेप किया और विवादास्पद प्रवेश को स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया, साथ ही निवास करने वालों के लिए एक अलग रास्ता बनाया गया।
नवम्बर के आख़िरी सप्ताह में स्थानीय निवासी और मदरसा के मालिकों के बीच एक दूसरा विवाद सामने आया। IndiaSpend ने अपने कहानी बनाने के आदतानुसार, इंस्पेक्टर विजय सिंह के बयान को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से उठाकर अपना विशेष कलेवर दे दिया।
इंस्पेक्टर विजय सिंह ने कहा, “मुमताज़ और उसकी पत्नी शबाना, लियाक़त और उसकी पत्नी सरोज और उसकी बेटियों को कुछ मामूली चोटें आई हैं, और उन्हें अस्पताल पहुँचा दिया गया है। झगड़े की वजह एक आम रास्ता है।” IndiaSpend ने इस घटना से सुविधानुसार चारों को पीड़ित तो बता दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि झगड़े की वज़ह एक आम रास्ता है।
स्वराज्य की रिपोर्ट के अनुसार, लियाक़त अली और उसकी पत्नी शबाना (दूसरा नाम सरोज) वाल्मीकि कॉलोनी में रहते हैं। मोहम्मद मुमताज़ मदरसा में शिक्षक और संरक्षक है। मूलरूप से विवाद इन दोनों के बीच का ही है।
वाल्मीकि कॉलोनी के निवासियों के अनुसार, कुछ महिलाएँ निर्माणाधीन नए रास्ते की जानकारी लेने गई थीं। वहाँ पर इन दोनों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया और मदरसा संरक्षक मुमताज़ ने उन पर लाठी से हमला कर दिया। लियाक़त के अनुसार, उसे मोहम्मद मुमताज़ के हाथों से चोट लगी, जब वो महिला और खुदको बचाने के लिए आगे आया। लियाक़त ने कहा, “मुल्ला महिला पर हमला कर रहा था। जब मैंने बीच-बचाव की कोशिश की तो उन्होंने मुझे ये कहकर मारा कि मैं हिन्दुओं के साथ खड़ा रहता हूँ, इसलिए मेरी पिटाई ज़रूर की जानी चाहिए।”
लियाक़त ने आगे कहा कि वो मदरसे के पक्ष में सिर्फ इसलिए खड़ा नहीं हो सकता क्योंकि उनका एक ही धर्म है। उसने कहा कि वो सिर्फ अपने पड़ोसियों और सही लोगों का ही साथ देगा।
This is same place where 8-yr-old madrassa boy Azeem died in scuffle with minors from colony
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) January 8, 2019
In subsequent tweets, will post video statements by “victims”.
My report details what the issue really is.
Here’s Liaqat Ali aka Kakoo, talking abt the incident: pic.twitter.com/BWT8FLfaH4
This is Shabnam Ali aka Saroj, who told me it’s all about the madrassa encroaching public land (details in report)
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) January 8, 2019
Here she’s saying Mumtaz is popularising her as Hindu using her other name to make it a religious issue and get away with encroachment pic.twitter.com/onyIhDOZ83
लियाक़त ने अपने कथन में आगे कहा कि उसकी पत्नी शबनम भी घटनास्थल पर पहुँची और उसे भी पीटा गया। शबनम ने बताया की उनकी 13 साल की लड़की को भी ज़ख़्मी किया गया।
शबनम उसी कॉलोनी में पली-बढ़ी है और उसका कहना है कि 30 साल पहले ये कुछ परिवारों के लिए ही सिर्फ एक छोटी सी मस्जिद हुआ करती थी। लेकिन समय के साथ इसका अवैध तरीके से एक मदरसे के रूप में विस्तार किया गया, जिसमें 40 कमरे हैं।
वर्तमान में, इस मदरसे का भी अपनी ही अलग स्वरुप है। मुमताज़ और उसका भाई इजाज़ अली, जो कि मदरसे में पढ़ाते हैं और उसका संरक्षण भी करते हैं, का दावा है कि झगड़ा लियाक़त और उसकी पत्नी द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने उन पर पथराव किया था। मुमताज़ का कहना है कि क्योंकि उन्होंने मुमताज़ को गुंडा और आतंकवादी कहा था, इसीलिए उसने छड़ी उठाई थी (लेकिन किसी पर उससे हमला नहीं किया था)। ये लोग वहाँ पर भड़काने और लड़ने के लिए गए थे, न कि रास्ते का काम देखने।
मुमताज़ ने आगे जोड़ा कि यहाँ पर मस्जिद विवादित जगह पर वाल्मीकि समाज के लोगों के आने से पहले से थी। उसने एक क़ब्रिस्तान भी दिखाया और दावा किया कि पूरी ज़मीन कब्रिस्तान हुआ करती थी और उन्होंने ही बाद में आकर झुग्गियाँ बनाकर जमीन पर अतिक्रमण किया।
दोनों समूह नए रास्ते के तैयार हो जाने के बाद दावा कर रहे हैं कि मामला समाप्त हो गया है। लेकिन जमीन विवाद के थमने के अभी आसार नहीं हैं।
ज़ुबैर, वाल्मीकि कॉलोनी के दूसरे निवासी, मदरसे द्वारा रास्ता रोककर सार्वजनिक ज़मीन के हड़पे जाने के ख़िलाफ़ हाई कोर्ट चले गए हैं। मुमताज़ का कहना है कि ज़ुबैर ही है जिसने इलाके में हिन्दू-मुस्लिम तनाव को हवा दी और वास्तव में वो खुद मदरसे की जमीन में हस्तक्षेप चाहता था।
इस मामले से अब तक ये तो स्पष्ट है कि विवाद की वजह ज़मीन है, न कि घृणा-जन्य अपराध। स्पष्ट रूप से, अपराध पीड़ितों की धार्मिक और जाति जैसे मुद्दों से पैदा नहीं हुआ था। सवाल ये है कि IndiaSpend लगातार अपनी आदतानुसार किस कारण फ़र्ज़ी ख़बरों को तैयार कर रहा है? ऐसा प्रतीत होता है कि अब IndiaSpend अपने हिन्दू-विरोधी पूर्वग्रहों को छुपाने तक की भी कोशिश नहीं कर रहा है।
यह एकमात्र वाकया नहीं है जब प्रोपगेंडा वेबसाइटों ने अपने कथित विश्लेषण में हिंदू-विरोधी पूर्वग्रह को दिखाया है। हमने पहले भी रिपोर्ट में बताया है किस तरह हिन्दुतान टाइम्स ने भी एक पक्षपातपूर्ण ‘हेट ट्रेकर’ जारी किया था, जिसमें इसी तरह से तथ्यों में त्रुटि और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग मौजूद थी। IndiaSpend की ‘फैक्ट-चेकर’ वेबसाईट ने भी एक ‘ट्रेकर’ शुरू किया था, जिसने गाय से सम्बंधित अपराधों पर नज़र रखने की कोशिश की थी, उसमें दिया गया डेटा भी त्रुटिपूर्ण और पक्षपाती था।
अभिषेक बनर्जी ने, जो कि Opindia पर कॉलम लिखते हैं, IndiaSpend के बारे में पहले भी लिखा है कि किस तरह IndiaSpend रोजाना इस तरह की कहानी को बनाने में मशगूल रहता है। उन्होंने पहले भी एक रिपोर्ट लिखी है कि किस तरह से एक गाय से सम्बंधित हिंसा में 87 लोग मारे गए, जिनमें से 97 प्रतिशत अपराध नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुए हैं। ऊपर दी गई रिपोर्ट उसी एक रिपोर्ट का चित्रण है। जैसा कि देखा जा सकता है, उनकी ‘रिसर्च’ गूगल सर्च भी कुछ विशेष ‘कीवर्ड्स’ पर आधारित थी। पाठकों को यह भी मालूम होना चाहिए कि Indiaspend का संस्थापक ट्रस्टी, factchecker.in का मूल ऑर्गनाइजेशन, अब कॉन्ग्रेस पार्टी में डेटा अनालिस्ट प्रमुख बन चुके हैं। क्या हमें इन कड़ियों को जोड़ना चाहिए?