Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय16 मस्जिद, 1 गुरुद्वारा: अमेरिका में 'हाउडी मोदी' रैली का विरोध करने के लिए...

16 मस्जिद, 1 गुरुद्वारा: अमेरिका में ‘हाउडी मोदी’ रैली का विरोध करने के लिए अलगाववादियों का यह है प्लान

इन मस्जिदों में से कुछ की पहचान क्लेरियन प्रोजेक्ट द्वारा कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा देने के रूप में की गई है। इनमें से एक इस्लामिक एजुकेशन सेंटर और मस्जिद अत-तक्वा है।

अमेरिका के ह्यूस्टन में 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हाउडी, मोदी’ रैली का आयोजन किया जाएगा। इसमें एक मेगा शो के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शामिल होने की संभावना है। भारत-विरोधी कुछ अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा इस रैली के सामने विरोध-प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। बता दें कि मानवाधिकारों के नाम पर असल में यह विरोध अलगाववादी समूहों द्वारा योजनाबद्ध किया गया है। इनकी माँग स्वतंत्र कश्मीर और स्वतंत्र पंजाब है- हास्यास्पद है, लेकिन है।

इस विरोध-प्रदर्शन के लिए आयोजक बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटाने की कोशिश में हैं। साथ ही प्रदर्शनकारियों के लिए यात्रा करने के लिए बसों की व्यवस्था भी की गई है। शनिवार (14 सितंबर) को, प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन के लिए एक ‘ड्रेस रिहर्सल’ भी आयोजित किया, जिसमें उन्होंने विरोधी-नारे लिखे झंडों के साथ ट्रैक्टर-ट्रेलर्स को सिख नेशनल सेंटर से एनआरजी तक चलाया।

विरोध-रैली के लिए जो रिहर्सल किया गया, उसमें ‘गो बैक मोदी’, ‘कश्मीर में हत्या बंद करो’, ‘पंजाब जनमत संग्रह 2020 खालिस्तान’, ‘फ्री कश्मीर’ आदि जैसे संदेश देखे गए।

यह विरोध-प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी फाउंडेशन के बैनर तले हो रहा है। इसके अलावा फाउंडेशन ने प्रदर्शनकारियों के लिए परिवहन सुविधा का विवरण भी प्रकाशित किया है। ग़ौर करने वाली बात यह है कि विरोध-प्रदर्शन रैली जिस रास्ते से होकर गुज़रेगी, वहाँ धार्मिक संस्थान हैं। आयोजकों ने उन 17 स्थानों की सूची प्रकाशित की है, जहाँ बसें तैनात होंगी। इनमें से 16 मस्जिदें या अन्य इस्लामी केंद्र हैं, जबकि एक सिख गुरुद्वारा भी है।

धार्मिक संस्थानों की सूची इस प्रकार है:

  1. मस्जिद अबू बक्र
  2. मरयम इस्लामिक सेंटर
  3. मस्जिद अत-तक्वा
  4. मस्जिद हमज़ा (मिशन बेंड इस्लामिक सेंटर)
  5. बीयर क्रीक इस्लामिक सेंटर/ मस्जिद अल-मुस्तफा
  6. वुडलैंड्स मस्जिद
  7. इस्लामिक सेंटर ऑफ बेटाउन
  8. एमएएस कैटी सेंटर
  9. मदरसा इस्लामिया
  10. अल-नूर सोसायटी ऑफ ह्यूस्टन
  11. इस्लामिक एजुकेशन सेंटर
  12. पियरलैंड इस्लामिक सेंटर
  13. मस्जिद अल सलाम
  14. सिख नेशनल सेंटर
  15. मिशकाह सेंटर
  16. सिप्रस मस्जिद
  17. बिलाल मस्जिद नॉर्थ

इन मस्जिदों में से कुछ की पहचान क्लेरियन प्रोजेक्ट द्वारा कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा देने के रूप में की गई है। इनमें से एक इस्लामिक एजुकेशन सेंटर और मस्जिद अत-तक्वा है।

विरोध-प्रदर्शन करने वाले सिख आयोजकों ने ह्यूस्टन क्रॉनिकल से बात की और उनकी टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि वे खालिस्तानी आंदोलन से जुड़े हुए हैं। विरोध करने वाले सिख आयोजकों में से एक जगदीप सिंह है, जो 2020 पंजाब जनमत संग्रह की दिशा में काम कर रहा है। सिख नेशनल सेंटर के अध्यक्ष हरदाम सिंह आज़ाद ने कहा, “यह स्वतंत्रता के लिए एक विरोध रैली है।” इससे यह बात स्पष्ट है कि यह विरोध रैली अलगाववादियों द्वारा आयोजित की जाएगी।

दूसरी ओर, जो समुदाय विशेष वाले ह्यूस्टन में मोदी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं, वे कश्मीर अलगाववादी हैं। वे खुलेआम भारत से कश्मीर की आज़ादी की गुहार लगा रहे हैं। 

22 सितंबर को ह्यूस्टन के एनआरजी स्टेडियम में आयोजित होने वाली हाउडी मोदी रैली में शामिल होने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई थी। फ़िलहाल, 50,000 से अधिक लोग इसमें शामिल होने के लिए पंजीकृत हो चुके हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -