पैगंबर मुहम्मद को लेकर नूपुर शर्मा के कथित बयान के विरोध में सबसे पहले आगे आने वाले अरब देश कतर में 29 कुत्तों की बेरहमी से हत्या किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। घटना 10 जुलाई की बताई जा रही है। बताया जाता है कि 10 जुलाई को कतर के दोहा शहर के पास स्थित एक औद्योगिक परिसर में हथियारबंद लोगों ने ये हत्याएँ की। इस हमले में दो गर्भवती कुतिया समेत तीन अन्य कुत्ते घायल भी हो गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुत्तों को 4 बदमाशों ने मारा है और कतर की पुलिस ने इनको आईडेंटिफाई भी कर लिया है। आरोपितों ने पहले औद्योगिक परिसर में गार्डों को धमकाया और फिर कुत्तों को राइफलों से गोली मारने चले गए। एक कार्यकर्ता के मुताबिक, मारे गए कुत्तों को लगा कि वो कुछ खाने के लिए देने आए हैं और वो हमलावरों के पास आ गए। लेकिन कुत्तों के पास आते ही हमलावरों ने बेरहमी से फायरिंग कर 29 कुत्तों की हत्या कर दी।
हत्यारों ने कथित तौर पर औद्योगिक परिसर की सुरक्षा में तैनात गार्डों को बताया कि कुत्तों ने उनके एक बेटे को काट लिया था। हालाँकि, इस दावे को खारिज करते हुए एक्टिविस्ट ने जोर देकर कहा, “कैम्पस को ऊँची बाड़ से सील कर दिया गया है और कोई भी बच्चा कुत्तों के पास खेलने के लिए अंदर नहीं घुस सकता।”
एक इंस्टाग्राम पोस्ट में कतर के पशु अधिकार समूह ‘पॉज़ रेस्क्यू कतर’ ने लिखा, “ईद के पहले दिन पुरुषों के एक समूह (उन्हें राक्षस कहते हैं) ने सुरक्षा गार्डों को बंदूकों से धमकाया और सुरक्षित कारखाने की एरिया में घुस गए।” पशु अधिकार समूह ने आगे कहा, सही मायनों में कहें तो दो आदमियों के हाथों में बंदूक थी और इस कारण से सुरक्षा टीम डरी हुई थी। सिक्योरिटी गार्डों ने हमलावरों को सुंदर और न्यूटर्ड कुत्तों के एक समूह को गोली मारने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें लगा कि ऐसा करके वो खुद को खतरे में डाल रहे हैं।”
गन कल्चर पर सवाल उठाते हुए ‘पॉज़ रेस्क्यू कतर’ ने कहा,”अगर ये राक्षस लोगों को धमकाकर इन्हें इतनी आसानी से मार सकते हैं, तो सोचिए ये आगे क्या करेंगे। आवारा जानवरों के लिए आगे बढ़िए। बंदूक की किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ खड़े होइए।”
उल्लेखनीय है कि कतर में बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं और वे इस्लाम का पालन करते हैं। ये कुत्तों को ‘अशुद्ध‘ मानते हैं। पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट अक्सर कहते रहते हैं कि घरेलू पशुओं की रक्षा के लिए बने कानूनों को खाड़ी देश में लागू नहीं किया जाता है। हाल के दिनों में फ्लेमिंगो सहित कुत्तों और पक्षियों बंदूकधारियों ने बड़े पैमाने पर शिकार किया है। एक कार्यकर्ता ने पूछा, “यहाँ मुद्दा यह है कि लोगों को जानवरों के शिकार के लिए राइफल्स और बंदूकों का उपयोग करने की अनुमति क्यों है। जहाँ तक हम जानते हैं कि किसी भी मामले में सफल अभियोजन नहीं हुआ है।”