Wednesday, November 13, 2024
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17 साल की लड़की को माँ-बेटे ने किया किडनैप, इस्लाम कबूल करा 2 महीने तक 5 लोगों ने बलात्कार किया

"मैं फर्श साफ कर रही थी तभी गुलाम रसूल और उसकी माँ घसीट कर मुझे बाहर ले गए। क्योंकि मैं मूक-बधिर हूँ, इसलिए मैं शोर मचा कर अपने घर वालों को बता नहीं पाई। मुझे जबरन इस्लाम कबूल कराया। उसके बाद 5 मुस्लिम युवकों ने..."

साल 2020 के मार्च महीने की 16 तारीख को पाकिस्तान के लाहौर में 17 साल की मूक बधिर लड़की का उसके घर से अपहरण किया गया और पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम युवक के साथ जबरन निकाह कराया गया। ब्रिटिश पाकिस्तानी क्रिश्चियन एसोसिएशन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ 17 मार्च को इस घटना के संबंध में संधा पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की थी।

पुलिस ने इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसके बाद स्थानीय विधायक तारिक गिल के दखल देने के बाद पुलिस ने पीड़िता के गायब होने के ठीक पहले उसकी माँ रुबीना के फोन पर आए कॉल को ट्रेस करना शुरू किया। 

जाँच के दौरान पता चला कि संदिग्धों का नाम अली मोबशीर और मोहम्मद अज़ीम है। पुलिस को यह भी पता चला कि जिस वक्त पीड़िता गायब हुई थी, उस वक्त यह दोनों उसके घर के पास ही मौजूद थे। इसके बाद पुलिस ने अज़ीम से संपर्क करने का प्रयास किया और उसने पूछताछ में सहयोग करने पर सहमति भी जताई लेकिन बाद में मोबशीर के साथ 2 महीने तक गायब रहा। 10 अप्रैल को रुबीना के पास एक और कॉल आया, जिसमें उसने कथित तौर पर अपनी बेटी की आवाज़ सुनी। 

इस बात की जानकारी पुलिस को दी जाने के बाद जब नंबर की ट्रेसिंग शुरू हुई तो उसकी लोकेशन पड़ोस में रहने वाले कासिफ़ गुलाम रसूल घर पर मिली। रसूल के अलावा मोहम्मद अज़ीम, मोबशीर अली और अली अब्बास पीड़िता को वैन में लेकर गए थे, जिसमें से एक आरोपित की पहचान नहीं हो पाई है। संधा पुलिस ने तीनों आरोपितों को ओकारा शहर के दीपालपुर से गिरफ्तार कर लिया है जबकि कासिफ गुलाम रसूल अभी फ़रार चल रहा है।

आरोपित के चाचा का दावा, लड़की कासिफ की जायदाद है  

घटना के कुछ समय बाद आरोपित कासिफ का चाचा 5 जून को पीड़िता के साथ पुलिस थाने आया, जो कि 2 महीने से लापता थी। इसके बाद उसने निकाह का फर्ज़ी इस्लामी प्रमाण पत्र और पीड़िता की उम्र 18 वर्ष बताने के लिए फर्ज़ी आयु प्रमाण पत्र दिखाया। इसके अलावा आरोपित के चाचा ने सहमति का दस्तावेज़ भी दिखाया, जिससे वह साबित करना चाहता था लड़की ने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम स्वीकार किया है।

इसके बाद उसने पीड़िता को अपने घर वालों से मिलने के लिए जाने दिया और साथ में यह चेतावनी भी दी कि उसे अपने परिवार के पास वापस नहीं भेजा जाएगा। अंत में उसने दावा भी किया कि लड़की अपने पति की जायदाद है और अपने परिवार से मिलने के बाद उसे अपने पति के पास लौटना होगा। 

पुलिस ने नकारी पीड़िता को परिवार के हवाले करने की बात

अपनी बेटी से मुलाक़ात पर रुबीना ने बताया कि सांकेतिक भाषा में बात करते हुए कोमल बहुत ज्यादा हैरान और परेशान नज़र आ रही थी। पीड़िता ने बताया कि 5 मुस्लिम युवकों ने उसे बंधक बना कर उसके साथ बलात्कार किया और अपहरणकर्ता को हिरासत में लेने की जगह उल्टा उसे बंधक बना कर रखा गया। रुबीना ने यह सारी बातें पुलिस को बताईं, फिर भी पुलिस ने उसकी अपनी बेटी को साथ लेकर जाने से मना कर दिया। 

इसके बाद स्थानीय विधायक तारिक गिल ने पुलिस थाने पहुँच कर पीड़िता को रिहा करने और मामले की जाँच करने की बात कही। 6 जून को डॉक्टर तौकीर आसिफ़ा द्वारा किए गए मेडिकल परीक्षण के दौरान यह बात सामने आई कि पीड़िता का शारीरिक शोषण और बलात्कार हुआ है। पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग में किए गए इस मेडिकल परीक्षण के दौरान पीड़िता के बाएँ पैर और दाहिनी कलाई पर कई घाव मिले। 

कोमल ने सुनाई पूरी घटना 

लाहौर में डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर के सामने सांकेतिक भाषा के माध्यम से घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कोमल ने कहा:

“मैं 1.30 बजे अपने घर का फर्श साफ़ कर रही थी तभी कासिफ गुलाम रसूल और उसकी माँ रकिया अचानक से आए और घसीट कर मुझे बाहर ले गए। क्योंकि मैं मूक-बधिर हूँ, इसलिए मैं शोर मचा कर अपने घर वालों को बता नहीं पाई कि मेरे साथ क्या हो रहा है। इसके बाद उन्होंने मुझे एक कार में बैठाया और रावी नदी के किनारे लेकर गए। 19 मार्च को वह मुझे लाहौर स्थित जामिया नामिया लेकर गए और वहाँ मुझे जबरन इस्लाम कबूल कराया, कासिफ ने यह सब कुछ अंजाम दिया। उसने ही मुझसे जबरन निकाह भी किया, इसके बाद पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए वह मुझे अलग-अलग जगहों पर लेकर गया और इस दौरान वह मुझे पीटता भी था।”

पीड़िता की हालत सुधरी नहीं और मुख्य आरोपित को मिल गई जमानत 

कासिफ और उसकी माँ ने गिरफ्तारी के पहले मिलने वाली एडिशनल सेशन जज ज़ुल्फ़िकर अली के सामने गिरफ्तारी के पहले ही जमानत के लिए याचिका दायर की थी। आखिरकार 30 हज़ार रुपए का बॉन्ड भरने के बाद उन्हें जमानत दे दी गई। इसके बाद दार-उल-अलूम जामिया नामिया के करी मोहम्मद सईद ने ने बयान दिया था कि कोमल ने बिना किसी डर के इस्लाम कबूल किया था और 19 मार्च को उसका निकाह कानूनी तरीके से किया गया था।

पीड़िता ने पिता पैटरस मसीह ने भी इस मामले में पुलिस की लापरवाही पर दुःख जताया था। लाहौर प्रेस क्लब के सामने हुए विरोध प्रदर्शन के बाद सीआईए डीसीपी जावेद सादिक ने पीड़िता के परिजनों को भरोसा दिलाया कि पुलिस इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी। फ़िलहाल पीड़िता को एक खुफ़िया स्थान पर रखा गया है, जहाँ उसकी हालत में सुधार के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। 

ब्रिटिश एशियन क्रिश्चियन एसोसिएशन के चेयरपर्सन जूलियट चौधरी ने बताया, “लड़की पर भयावह और दर्दनाक हमला हुआ था। मेरे उम्र की भी ऐसी शायद ही कोई महिला होगी, जो इस तरह के हमले से उबर पाए, उसने जितनी हिम्मत दिखाई है, वह सराहनीय है। उसने अंत तक ईश्वर से प्रार्थना की और भरोसा बनाए रखा। मेरी बेटी हैना भी ठीक उतनी ही उम्र की है और वह भी ब्रिटिश सांकेतिक भाषा समझती है, जैसे ही कोमल की हालत बेहतर होगी, मेरी बेटी उससे ज़रूर बात करेगी। जैसे ही यहाँ की क्रिश्चियन महिलाओं को इस घटना की पूरी जानकारी मिली कि उस बच्ची ने क्या-क्या झेला, सभी को बहुत कष्ट हुआ। यह घटना हमारे लिए आँख खोलने वाली है लेकिन सवाल यह है कि कितने लोग इस अत्याचार को रोकने के लिए आगे आना चाहते हैं।”                                  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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