रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच लगातार युद्ध जारी है। इसका आज दसवाँ दिन है। जिस तरह से पुतिन की सेना यूक्रेन के खिलाफ कार्रवाई कर रही है अमेरिका समेत कई सारे देश उसके ऊपर प्रतिबंधों की बारिश कर रहे हैं। इसी क्रम में विश्व की टेक दिग्गज भी रूस के खिलाफ जंग लड़ रही हैं। गूगल, फेसबुक, ट्विटर और एप्पल के बाद अब दक्षिण कोरिया के कंपनी सैमसंग (Samsung) ने भी रूस के खिलाफ कार्रवाई करते हुए रूस में फोन और चिप बेचने पर रोक लगा दिया है।
सैमसंग रूसियों का पसंदीदा ब्रांड है और वहाँ इसे एप्पल और शाओमी से भी ज्यादा लोग पसंद करते हैं। यहीं नहीं, रूस के खिलाफ एक्शन लेने के साथ ही सैंमसंग यूक्रेन की मदद के लिए आगे आया है। कंपनी ने यूक्रेन में राहत कार्यों में सहायता के लिए $60 लाख (45,85,53,000 भारतीय रुपए) देने का ऐलान किया है। कोरियाई टेक जायंट की इस मदद में ग्राहकों और उसके कर्मचारियों के द्वारा दिया गया दान भी शामिल है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरियाई कंपनी ने कहा कि वो लगातार यूक्रेन के हालात पर नजर बनाए हुए है। चिप्स से लेकर स्मार्टफोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स तक सभी सैमसंग प्रॉडक्ट्स का रूस को निर्यात रोक दिया गया है।
सैमसंग ने इस मामले में एक बयान जारी कर कहा, “हमारी संवेदनाएँ प्रभावित लोगों के साथ हैं और हमारी प्राथमिकता अपने सभी कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।”
पहले भी कई कंपनियाँ ले चुकी हैं रूस के खिलाफ एक्शन
गौरतलब है कि यूक्रेन और रूस के खिलाफ जारी जंग के बीच शुक्रवार (4 फरवरी 2022) को अमेरिकी टेक दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट ने भी रूस के खिलाफ कार्रवाई की थी। कंपनी ने अपने सभी उत्पादों की बिक्री और सेवाओं पर रोक लगा दिया था। इसी तरह से गूगल ने भी रूस में सभी तरह के विज्ञापनों को रोक दिया था। 1 मार्च 2022 को ट्विटर ने भी रूस के खिलाफ कार्रवाई करते हुए ऐलान किया था कि वो रूसी सरकार से जुड़े किसी भी कंटेंट में लेबल लगाएगा।
गूगल के पेमेंट ऐप ने रुस में अनी सेवाओं को बंद कर दिया। वहीं यूट्यूब ने रूस से जुड़े सभी मीडिया आउटलेट्स को ब्लॉक करना शुरू कर दिया है। वहीं PayPal ने भी आधिकारिक रूप से रूस में अपनी सेवाओं को रोक दिया है।
फेसबुक ट्विटर पर रूस की कार्रवाई
दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों के एक्शन के बाद अब रूस ने भी एक्शन लिया है। शुक्रवार को रूसी संसद में फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए एक प्रस्ताव पास हुआ। नए कानून के तहत जानबूझकर फेक न्यूज फैलाने पर 15 साल तक की सजा होगी। इसी के तहत फेसबुक और ट्विटर को रुस में बैन कर दिया गया है।