Thursday, November 14, 2024
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जानिए कौन है भारत विरोधी पाकिस्तानी पत्रकार जहाँजैब अली: अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अपनी प्रोपेगेंडा से नहीं आता बाज

भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित मुद्दों पर अमेरिकी सरकार की राय माँगने का उनका कुख्यात इतिहास रहा है। जहाँजैब अली मूल रूप से पाकिस्तान के रहने वाले हैं। उनके लिंक्डइन प्रोफ़ाइल के अनुसार, वह अक्टूबर 2014 से पाकिस्तानी चैनल ARY न्यूज़ से जुड़े हुए हैं। ऑपइंडिया ने पाया कि उन्होंने फरवरी और अगस्त 2023 के बीच 'द फ्राइडे टाइम्स' के लिए भी लिखा है।

अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित जहाँजैब अली नाम के एक ‘पत्रकार’ ने गुरुवार (25 अप्रैल 2024) को अवनी डायस के ‘वीजा नवीनीकरण’ वाले संदिग्ध मुद्दे को उठाकर विवाद खड़ा कर दिया। ऑस्ट्रेलिया की एबीसी न्यूज़ की दक्षिण एशिया प्रमुख डायस ने 23 अप्रैल को कहा था कि मोदी सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने पर उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

बाद में पता चला कि अवनी डायस ने वीजा नियमों का उल्लंघन किया था। उन्होंने काफी पहले ही अपने देश ऑस्ट्रेलिया जाने की योजना बना चुकी थी। जब जहाँजैब अली को संभावना जगी कि इस मुद्दे से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव आ सकती है तो वे इस मुद्दे को उछालने से अपने आपको रोक नहीं सके।

जहाँजैब अली के नापाक मंसूबों के विपरीत, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, “भारत सरकार अपनी वीज़ा नीति पर बात कर सकती है। यह कोई ऐसी बात नहीं है, जिस पर मैं यहाँ से विचार करूँ।” दरअसल, यह पहली बार नहीं था कि अली को अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा नजरअंदाज किया गया था।

भारत के आंतरिक मामलों से संबंधित मुद्दों पर अमेरिकी सरकार की राय माँगने का उनका कुख्यात इतिहास रहा है। जहाँजैब अली मूल रूप से पाकिस्तान के रहने वाले हैं। उनके लिंक्डइन प्रोफ़ाइल के अनुसार, वह अक्टूबर 2014 से पाकिस्तानी चैनल ARY न्यूज़ से जुड़े हुए हैं। ऑपइंडिया ने पाया कि उन्होंने फरवरी और अगस्त 2023 के बीच ‘द फ्राइडे टाइम्स’ के लिए भी लिखा है।

खालिस्तान का मुद्दा उठाने पर पाकिस्तानी पत्रकार की निंदा

इस साल 17 अप्रैल को जहाँजैब अली ने खालिस्तान का मुद्दा उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत सरकार द्वारा आतंकवादियों की एक्स्ट्रा टेरिटोरियल हत्याओं की बात कबूल की है। उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता से कड़ी प्रतिक्रिया की उम्मीद थी, लेकिन मैथ्यू मिलर ने उनके प्रश्न पर विचार ही नहीं किया।

मैथ्यू मिलर ने जोर देकर कहा था, “जैसा कि मैंने पहले कहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका इसके बीच में नहीं आने वाला है, लेकिन हम भारत और पाकिस्तान दोनों को तनाव से बचने और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

पिछले साल सितंबर में मैथ्यू मिलर ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और भारत-कनाडा के बीच राजनयिक विवाद को लेकर जहाँजैब अली के भारत विरोधी सवाल पर टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया था। बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बिना कोई सबूत दिए निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका का आरोप लगाया था।

जब जहाँजैब अली ने अमेरिकी हस्तक्षेप की गुहार लगाई

पिछले साल मार्च में पाकिस्तानी ‘पत्रकार’ ने तत्कालीन अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से यह गुहार लगाई थी कि भारत सरकार पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर से शुरू करे। उन्होंने नेड से पूछा, “कई विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के पास दोनों साझेदारों (पाकिस्तान और भारत) के बीच मध्यस्थता करने की शक्ति और अधिकार है… तो आप मध्यस्थता क्यों नहीं करते?”

इस पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, “क्योंकि ये देशों का स्वयं का निर्णय है। यदि वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए किसी विशेष भूमिका पर सहमत होते हैं तो संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों देशों के भागीदार के रूप में उस प्रक्रिया का किसी भी तरह से समर्थन करने के लिए तैयार है।”

नेड प्राइस ने अली के सवाल को नजरअंदाज करते हुए ककहा, “हालाँकि, यह संयुक्त राज्य अमेरिका का काम नहीं है कि वह भारत और पाकिस्तान के एक-दूसरे से जुड़ने के तौर-तरीकों को निर्धारित करे। हम भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवादों को सुलझाने के लिए रचनात्मक बातचीत और सार्थक कूटनीति का समर्थन करते हैं।”

अमेरिका-भारत संबंधों में खटास पैदा करने की कोशिश की

जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की राजकीय यात्रा से पहले यह पाकिस्तानी ‘पत्रकार’ भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास लाना चाहता था। उन्होंने विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल से भारत में कथित ‘लोकतांत्रिक वापसी’ और पीएम मोदी से संबंधित ‘मानवाधिकार मुद्दे’ के बारे में पूछा।

पटेल ने जहाँजैब अली को चुप कराते हुए कहा, “ठीक है, मैंने कल आगामी राजकीय यात्रा के बारे में थोड़ी बात की थी और मैं फिर से दोहराऊँगा कि भारत के साथ हमारी साझेदारी सबसे अहम है। हम अपनी कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं पर भारत सरकार के साथ मिलकर काम करते हैं। हम इस महीने के अंत में उनकी मेजबानी करने और अपनी भागीदारी को और गहरा करने के लिए उत्सुक हैं।”

BBC के ऑफिस के सर्वे पर भी फायदा उठाने की कोशिश की

फरवरी 2023 में अमेरिकी विदेश विभाग ने भारतीय कर अधिकारियों द्वारा दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों पर छापे पर जहाँजैब अली के सवाल को नजरअंदाज कर दिया था। पाकिस्तानी पत्रकार जानना चाहते थे कि क्या अमेरिका मोदी सरकार के इस कदम से ‘चिंतित’ है। इस पर नेड प्राइस ने कहा, “हम भारतीय कर अधिकारियों द्वारा दिल्ली में बीबीसी कार्यालयों की तलाशी से अवगत हैं।”

अली ने इस पर भी अफसोस जताया कि 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी द्वारा बनाई गई प्रोपेगैंडा डॉक्यूमेंट्री के आधार पर अमेरिका ने मोदी सरकार की आलोचना नहीं की। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा था, “संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच बेहद गहरे संबंध हैं। हम उन तत्वों को भी साझा करते हैं, जो अमेरिकी लोकतंत्र और भारतीय लोकतंत्र के लिए सामान्य हैं।”

दरअसल, फरवरी 2023 में टैक्स अधिकारियों ने बीबीसी के कार्यालयों का तीन दिनों तक सर्वेक्षण किया था। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बीबीसी की टैक्स धोखाधड़ी को समझाया था। बीबीसी का नाम लिए बिना बयान में कहा गया था कि दिल्ली और मुंबई में एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह की इकाइयों के व्यावसायिक परिसरों पर आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) की धारा 133A के तहत सर्वे की गई थी।

दरअसल, एक सच्चे पाकिस्तानी के रूप में जहाँजैब अली भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में खामियों का फायदा उठाने में शामिल रहे हैं। वे अपने पाकिस्तान समर्थक प्रोपेगेंडा को प्रश्नों के रूप में बहुत चतुराई से रखते हैं। वॉशिंगटन में अपने कार्यक्षेत्र और अमेरिकी विदेश विभाग तक आसान पहुँच को देखते हुए अली भारत विरोधी ताकतों की एजेंडा को पूरा करने के लिए मुखौटा के रूप में काम करते हैं।

(यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। इस लिंक को क्लिक करके आप विस्तार से पढ़ सकते हैं।)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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