इंडोनेशिया ने शुक्रवार (जनवरी 8, 2021) को आतंकी अबू बक्र बशीर को जेल से रिहा कर दिया। साल 2002 में इंडोनेशिया के बाली में नाइट क्लब में हुए धमाके का वह मास्टरमाइंड था। दो दशक पहले हुए उस हमले में कई विदेशियों समेत 200 लोगों की मौत हो गई थी।
इंडोनेशियाई सरकार का कहना है कि 82 साल के अबू की सजा पूरी हो गई है, इसलिए उसे रिहा किया गया है। इस्लामिक आतंकवादी नेटवर्क जेमाह इस्लामिया (JI) के सबसे कट्टर लीडरों में अबु बकर बशीर का नाम गिना जाता रहा है। कथित तौर पर उसके संबंध अल कायदा से भी है। खुद को अध्यापक बताने वाला कट्टरपंथी प्रचारक सारे आरोपों को गलत बताता रहा है।
शुक्रवार को जकार्ता की गुनुंग सिंदूर (Gunung Sindur) जेल से उसे वैन में बैठाकर रिहा किया गया। मुमकिन है कि उसे सीधे उसके गृहनगर सोलो भेजा जाए, जहाँ वह दोबारा ‘इस्लामी शिक्षा’ देना शुरू करे। उसे साल 2011 में मामले की सुनवाई के दौरान 15 साल की सजा हुई हुई थी। लेकिन हाल में अधिकांश कैदियों की सजा में कटौती के बाद उसकी सजा भी कम कर दी गई और उसे रिहा कर दिया गया।
उसके वकील ने कोविड-19 का हवाला देकर भीड़भाड़ वाली जेल से उसे रिहा करने की माँग की थी। बशीर के बेटे ने भी उसे कट्टरपंथी विचारधारा का पीड़ित कहा था और ये भी कहा था कि वह कट्टर विचारों को सॉफ्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।
दो साल पहले भी मानवीय आधार पर बशीर को छोड़ने की माँग उठाई गई थी। लेकिन उस समय ऑस्ट्रेलिया में हड़कंप मच गया और उसकी रिहाई टाल दी गई। बता दें कि जिस हमले में बशीर दोषी पाया गया था उसमें ऑस्ट्रेलिया के 88 लोग मारे गए थे। हमले से बचे लोग आज भी बशीर की रिहाई का विरोध कर रहे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भी रिहाई पर नाराजगी जताई है।
51 साल के Laczynski नाम के सर्वाइवर का कहना है कि उस दिन वह अपने दोस्तों के साथ ऑस्ट्रेलिया वापस लौटने ही वाला था कि अचानक क्लब में हमला हुआ। उनके 5 दोस्त हमले में मारे गए। वह कहते हैं, “उस हमले ने मुझे बहुत दुखी किया। मैं केवल न्याय चाहता हूँ।”
उनके मुताबिक आज भी कई लोग ऐसे हैं जो इंडोनेशिया के क्लब में हुए हमले को नहीं भुला पाए हैं। उनके घाव का इलाज आज तक चल रहा है। सभी पीड़ित चाहते हैं कि बस किसी तरह से इंसाफ मिल जाए। बशीर की रिहाई बिलकुल बर्दाश्त नहीं की जा सकती। वह अपील करते हैं कि उसे किसी प्रकार का मंच देकर कट्टर विचारों को फैलाने न दिया जाए। वह एक राक्षस था और हमेशा रहेगा।
इसी तरह Thiolina Ferawati Marpaung, जिनकी उस विस्फोट में हमेशा के लिए आँखें खराब हो गईं, वह कहती हैं कि बशीर की रिहाई से उन्हें बहुत डर लग रहा है। बस उम्मीद ही की जा सकती है कि प्रशासन उस पर निगरानी रखे।
उल्लेखनीय है कि 2002 में बाली में धमाके के एक साल बाद जकार्ता के जेडब्ल्यू मैरिअट होटल पर हमला करने का आरोप भी जमा इस्लामिया पर लगा था। सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि इंडोनेशिया के जिहादी आंदोलन में अबू बक्र बशीर की काफी बड़ी छवि है और यह असंभव नहीं है कि उसके नाम का फिर से इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।