बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को आरक्षण की आड़ में हिंसा और प्रदर्शन के दम पर उखाड़ फेंका गया और पूरे देश में हिंदुओं के साथ ही आवामी लीग पार्टी के कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाने लगा। कई जगहों पर आवामी लीग के नेताओं, कार्यकर्ताओं और हिंदुओं का कल्तेआम किया गया, जिसके बाद अब दोनों तरफ से पलटवार शुरू हो गया है।
बांग्लादेश में ढाका से लेकर खुलना तक हिंदुओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, तो आवामी लीग के नेताओं ने शेख हसीना के गृह जिले गोपालगंज से हुँकार भरी है। उन्होंने शेख हसीना की वापसी तक लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है। इस बीच, आवामी लीग के कार्यकर्ताओं और सेना में झड़प भी हो गई, जिसमें सैनिकों समेत कई लोग घायल हो गए। इस दौरान एक सैनिक से उसके हथियार भी छीन लिए गए। वहीं, शेख हसीना ने कहा कि वो जल्द बांग्लादेश लौटेंगी।
हिंदुओं का प्रदर्शन, लगातार दूसरे दिन सड़कों पर लाखों लोग
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले के खिलाफ हजारों प्रदर्शनकारियों ने ढाका, चटगाँव, बरिसाल, तंगेल और कुरीग्राम जैसे प्रमुख शहरों में प्रदर्शन किया और कहा कि हिंदुओं को बांग्लादेश में रहने का अधिकार है। शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमलों के विरोध में उन्होंने शनिवार (10 अगस्त) को लगातार दूसरे दिन ढाका में शाहबाग चौराहे को अवरुद्ध कर दिया।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है इस प्रदर्शन के दौरान “अगस्त 2024: बांग्लादेशी हिंदुओं को बचाओ। हमें न्याय और सुरक्षा चाहिए।”, “हिंदुओं को बचाओ”, “मेरे मंदिरों और घरों को क्यों लूटा जा रहा है? हमें जवाब चाहिए”, “स्वतंत्र बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी नहीं रहेगा”, “धर्म व्यक्तियों के लिए है, राज्य सभी के लिए है”, “हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें” जैसे नारे लगाए गए।
शाहबाग में प्रदर्शन कर रहे हिंदू अल्पसंख्यकों ने हिंदुओं और उनके घरों, मंदिरों और व्यवसायों पर हुए हमलों के खिलाफ मुआवजे की मांग की है। बांग्लादेश में दो हिंदू संगठनों बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद के अनुसार, 5 अगस्त को शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को 52 जिलों में हमलों की कम से कम 205 घटनाओं का सामना करना पड़ा है। हजारों बांग्लादेशी हिंदू हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी देश भारत भागने की कोशिश कर रहे हैं।
बैकफुट पर आए मोहम्मद यूनुस, नुकसान पहुँचाने से रोकने की अपील
हिंदुओं के इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने शनिवार को अल्पसंख्यक समुदायों खासकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों की निंदा करते हुए उन्हें घृणित बताया। उन्होंने पूछा कि क्या वे इस देश के लोग नहीं हैं? आप देश को बचाने में सक्षम हैं, क्या आप कुछ परिवारों को नहीं बचा सकते हैं?
प्रोफेसर यूनुस ने बेगम रोकेया विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, “आपको कहना चाहिए कि कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुँचा सकता है। वे मेरे भाई हैं। हमने साथ मिलकर लड़ाई लड़ी है और हम साथ रहेंगे।” उन्होंने छात्रों से सभी हिंदू, ईसाई और बौद्ध परिवारों को नुकसान से बचाने का आग्रह किया।
आवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने भी संभाला मोर्चा, सड़कों पर उतरे, सेना से झड़प
बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक तरफ हिंदू सड़कों पर उतरे, तो दूसरी तरफ आवामी लीग के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर गए हैं। देश में कानून व्यवस्था संभाल रही सेना से भी उनकी झड़प की खबरें आ रही हैं। गोपालगंज जिले में शनिवार को हजारों कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान सेना के एक वाहन को आगे के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने घटना के दौरान सेना के एक जवान का हथियार भी छीन लिया।
इसघटना में सेना के पाँच जवानों समेत 15 लोग घायल हुए हैं। रिपोर्ट करने दो पत्रकारों के साथ भी मारपीट की गई है। गोपालगंज कैंप के लेफ्टिनेंट कर्नल मकसूदुर रहमान ने स्थानीय मीडिया से घटना की पुष्टि की है।
बांग्लादेश के प्रमुख अखबार प्रथम आलो ने स्थायीय सूत्रों के हवाले से बताया है कि अवामी लीग ने शेख हसीना की वापसी की मांग को लेकर रैली बुलाई थी। इसमें गोपीनाथपुर और जलालाबाद यूनियन के साथ ही आस-पास के क्षेत्रों में हजारों की संख्या में अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ढाका-खुलना राजमार्ग बंद कर दिया।
रास्ता खुलवाने के लिए सेना के एक जवानों की एक टीम मौके पर पहुँची। भीड़ को हटाने के लिए सेना के जवानों ने लाठीचार्ज कर दिया। इस बीच सेना की तरफ से फायरिंग किए जाने से प्रदर्शनकारियों का गुस्सा भड़क गया और जवानों की पिटाई शुरू कर दी। सेना के जवानों को घटनास्थल से भागकर एक घर शरण लेनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने सेना के एक जवान से हथियार छीन लिए और उनके वाहन को आग लगा दी।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के गृह जिले गोपालगंज में आवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सर पर कफन बांधकर शेख हसीना को देश में वापस लाने की कसम खाई। गोपालगंज के कोटालीपारा में जुटे हजारों आवामी लीग कार्यकर्ताओं ने कहा कि शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होंने संघर्ष के जरिए उन्हें वापस लाने की शपथ ली।
गोपालगंज जिला आवामी लीग के अध्यक्ष महबूब अली खान ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर के सामने सभी को शपथ दिलाते हुए हा, ‘जब तक आवामी लीग की अध्यक्ष और बंगबंधु की बेटी शेख हसीना जब तक वापसी नहीं आ जाती, हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हम सड़कों पर हैं और सड़कों पर ही रहेंगे।’
शेख हसीना का वादा, मैं वापस आऊँगी, अमेरिका पर लगाए गंभीर आरोप
इस बीच, बांग्लादेश से स्वयं निर्वासन झेल रही पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हुँकार भरी है। उन्होंने अमेरिका पर एक आईलैंड पर कब्जे को लेकर गंभीर आरोप लगाए और बताया कि इस तख्तापलट में अमेरिका का हाथ है। उन्होंने कट्टरपंथियों से भी विदेशी ताकतों के हाथों में न खेलने की अपील की। वहीं, उन्होंने साफ कहा कि वो वापस बांग्लादेश पहुँचेंगी।
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अपने करीबी सहयोगियों के माध्यम से भिजवाए एक संदेश में हसीना ने कहा, “मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझे शवों का जुलूस नहीं देखना पड़े। मैं सत्ता में बनी रह सकती थी यदि मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता अमेरिका के सामने समर्पित कर दी होती और उसे बंगाल की खाड़ी में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की अनुमति दे दी होती। मैं अपने देश के लोगों से विनती करता हूँ, कृपया कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएँ।”
ईटी ने अपनी रिपोर्ट में शेख हसीना के हवाले से कहा, “इन खबरों से मेरा दिल रो रहा है कि मेरी पार्टी आवामी लीग के कई नेता मारे गए, कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है और उनके घरों में तोड़फोड़ और आगजनी की जा रही है। अल्लाह की रहमत से मैं जल्द ही वापस लौटूँगी। आवामी लीग चुनौतियों से लड़कर बार-बार खड़ी हुई है। मैं हमेशा बांग्लादेश के भविष्य के लिए दुआ करूँगी, जिस राष्ट्र का सपना मेरे महान पिता ने देखा था और उसके लिए प्रयास किया। वह देश जिसके लिए मेरे पिता और परिवार ने अपनी जान दे दी।”