बांग्लादेश ने शुक्रवार (नवंबर 4, 2020) को 1500 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिमों को एक निर्जन द्वीप पर भेज दिया। इसके बाद कई अन्य खेप में इन्हें ऐसे ही वहाँ भेजा जाएगा। कई मानवाधिकार संगठन चिल्ला-चिल्लाकर इसका विरोध करते रहे, लेकिन बांग्लादेश की सरकार ने उनकी एक न सुनी। एक अधिकारी ने बताया कि 1642 रोहिंग्या मुस्लिमों को 7 जलपोतों की मदद से चटगाँव पोर्ट से ‘भाषण चार’ नामक निर्जन द्वीप पर भेजा गया है।
बांग्लादेश ने कहा है कि वो उन्हीं रोहिंग्या मुस्लिमों को वहाँ भेज रहा है, जो जाना चाहते हैं। बांग्लादेश ऐसा कर के वहाँ कई शरणार्थी कैम्पों में रह रहे लाखों रोहिंग्याओं की संख्या को कम करना चाहता है, क्योंकि उनमें वे क्षमता से ज्यादा भरे पड़े हैं। म्यांमार से भाग कर आए 10 लाख से भी अधिक रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश को अपना घर बनाया हुआ है। अक्सर बाढ़ग्रस्त रहने वाला ‘भाषण चार’ द्वीप 20 वर्ष पहले ही अस्तित्व में आया है। इसके चारों ओर पानी फैला है।
7 जलपोतों के अलावा 2 अन्य जलपोतों को भी द्वीप पर भेजा गया, जिनमें भोजन-पानी व अन्य ज़रूरत की चीजें थी। विदेश मंत्री अब्दुल मोमेन का कहना है कि किसी को भी बलपूर्वक द्वीप पर नहीं ले जाया जा रहा है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह निर्जन द्वीप अक्सर बाढ़ और चक्रवातों से प्रभावित रहता है। आरोप है कि बांग्लादेश ने UN को भी स्थिति का आकलन करने से रोक रखा है।
‘Al Jazeera’ की खबर के अनुसार, एक महिला ने कहा कि उसका परिवार उस द्वीप पर नहीं जाना चाहता है, लेकिन फिर भी सरकार ले जा रही है। उसका कहना है कि उसके परिवार की बाढ़ के कारण मृत्यु भी हो सकती है। वहीं इसके उलट सरकार का कहना है कि वहाँ जीने के लिए परिस्थितियाँ अच्छी हैं। वहाँ ऐसे कमरे बनाए गए हैं, जिनमें 4 लोग रह सकते हैं। साथ ही 20-20 बेड्स के 2 अस्पतालों का भी निर्माण किया गया है।
लेकिन, आवागमन की सुविधा न होने के कारण कई शरणार्थी वहाँ नहीं जाना चाहते हैं। एक महिला का कहना था कि उनलोगों से भोजन के राशन को लेकर नाम लिखवाया गया, लेकिन बाद में पता चला कि ये कहीं और भेजने के लिए है। ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ संगठन का कहना है कि उसने 12 परिवारों का इंटरव्यू लिया, जो वहाँ नहीं जाना चाहते थे- फिर भी उन्हें भेजा जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार इसके लिए धमकी और प्रलोभन, दोनों दे रही है।
The Rohingya refugees have reached the low-lying island of Bhashan Char. They have been relocated from the camps near the Myanmar border to a settlement on the island despite the lack of consent from the refugees. @MollyGambhir speaks with @somamcj for more details pic.twitter.com/4mElezPmUq
— WION (@WIONews) December 4, 2020
द्वीप में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए नियुक्त अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि सारी व्यवस्थाएँ होने के बाद UN को यहाँ बुलाया जाएगा और वह संतुष्ट होगा। UN का कहना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों से उनकी इच्छा पूछी जानी चाहिए। इस द्वीप पर 1 लाख शरणार्थियों को भेजे जाने की योजना है।
इस साल जनवरी में दौरा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक मानवाधिकार अन्वेषक ने कहा था कि अगर रोहिंग्याओं को द्वीप पर ले जाया जाता है तो उनके जीवन को ख़तरा हो सकता है। म्यांमार में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष संबंध यांगहे ली ने कहा था, “मेरी यात्रा के बाद भी कई चीजें हैं जो अज्ञात हैं। उनमें से प्रमुख यह है कि द्वीप वास्तव में रहने योग्य है या नहीं।” कई शरणार्थी सरकार के इस क़दम का विरोध कर रहे हैं, जिससे किसी नए संकट के पैदा होने की आशंका है।