इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने बांग्लादेश में कितना हाहाकार मचाया है इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर रोज देखने को मिल रही हैं। हिंसा की शुरुआत 13 अक्टूबर को हुई थी। कहा गया था कि इस्लाम का अपमान हुआ है इसलिए दूसरे समुदाय ने ये सब किया। लेकिन अब पता चला है कि ये हिंसा भी उसी पुराने पैटर्न के तहत अंजाम दी गई जैसे पिछले कुछ सालों में दी गई थी। पुलिस का भी कहना है कि ये सुनियोजित हिंसा थी।
जैसा कि पिछले हमलों की घटनाओं में हम देख चुके हैं कि कि किसी सोशल मीडिया पोस्ट की आड़ लेकर इस्लामी कट्टरपंथी उपद्रव करने सड़क पर उतर जाते हैं… वैसे ही चांदपुर के हाजीगंज उपजिला में 13 अक्टूबर को हुआ था। एक पोस्ट को देख तमाम कट्टरपंथी सड़क पर उतरे और फिर हिंदुओं का खून बहाया।
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक 13 अक्टूबर को नमाज के बाद हाजीगंज म्यूनिसिपालटी वार्ड 11 के कुछ युवकों का समूह बिश्व रोड पर जुलूस निकालने के लिए इकट्ठा हुआ था। वहाँ से पहले उन्होंने हाजीगंज बोरो मस्जिद की ओर मार्च किया और फिर नमाज अदा करके सब निकलने लगे। सैंकड़ों लोगों ने इस जुलूस में में भाग लिया और सब दोबारा से चौराहे के ओर बढ़ कर यूटर्न लेकर मस्जिद आ गए। कुछ देर बाद उन्होंने लक्ष्मी नारायण अखाड़ा के पास से गुजरते हुए उस पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे भीड़ में लोग जुड़ते गए और एक ग्रुप पूरा भीड़ में बदल गया। ईंट-पत्थर चलते रहे। पुलिस ने कुछ ही देर में अपनी कार्रवाई की। आंसू गैस छोड़े लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। कम से कम 15 पुलिसवाले इस दौरान घायल हुए। एक समय आया कि पुलिस को भीड़ हटाने के लिए गोली चलानी पड़ी। जिसके कारण तीन मरे भी। वहीं दो ने बाद में इलाज के समय दम तोड़ा।
बांग्लादेश पुलिस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ये हमला पहले से सुनियोजित था। हाजीगंज सर्कल के एडिशनल एसपी सोहेल महमूद के अनुसार, हमलावर मंडप पर कब्जा करके भी रुके नहीं। उन्होंने हाजीगंज उपजिला में लगे 28 मंडपों में से दोपहर 1:00 बजे तक 13 और मंडपों पर हमला किया था।
इस मामले में 2000 लोगों के ख़िलाफ़ तीन केस दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने अब तक 15 लोगों को पकड़ा है। बता दें कि 2021 में भड़की हिंदू विरोधी हिंसा का पैटर्न बिलकुल 2012 में कॉक्स बाजार के रामू, 2013 में पबना के संथिया और 2016 में ब्राह्मणबरिया के नसीरनगर में हुए सांप्रदायिक हमलों की तरह था। उनका पैटर्न भी यही था कि सोशल मीडिया पर भड़काए जाने के बाद भीड़ ने हमले शुरू किए।
बता दें कि 13 अक्टूबर को कमिला में हुई घटना (कथिततौर पर कुरान का अपमान) के बाद कम से कम 13 जिलों में हिंदुओं के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक हमले किए गए हैं। इसके अलावा मालूम हो कि जिस पोस्ट को लेकर ये सब शुरू हुआ वो सज्जाद की आईडी से हुआ था। बाद में इस पोस्ट में लोगों को टैग किया जाता रहा।
फेसबुक प्रोफाइल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार सज्जाद हाजीगंज नगर पालिका छत्र लीग का सदस्य है। लेकिन अवामी लीग समर्थक संगठन ने कहा कि उसका सज्जाद से कोई लेना-देना नहीं है। बीसीएल इकाई के महासचिव मेहदी हसन रब्बी ने कहा कि सज्जाद संगठन से संबंधित नहीं थे। उसने बीसीएल के नाम का दुरुपयोग किया।
वहीं पुलिस ने बताया कि उन्होंने सज्जाद और उसके एक साथी की फेसबुक टाइमलाइन पर नजर बनाई हुई थी।जाँच में पाया कि सज्जाद ने पोस्ट अपलोड की और दूसरे ने उसे लाइक किया। पुलिस के अनुसार, उन्होंने इन दोनों को जाने दिया क्योंकि ये नाबालिग थे और पुलिस के सामने पोस्ट डिलीट कर चुके थे।