अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत में लगातार सुर्ख़ियों में हैं। अब बराक ओबामा ने बताया है कि उनका भारत से हमेशा से अच्छा जुड़ाव रहा है, क्योंकि उनका बचपन इंडोनेशिया में रामायण और महाभारत की कथाओं को सुनते हुए बीता है। उन्होंने बताया है कि वो ये दोनों हिन्दू धर्मग्रंथों की कथाएँ सुनते हुए बड़े हुए। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘अ प्रॉमिस्ड लैंड’ में लिखा है कि भारत जनसंख्या के हिसाब से कितना विशाल राष्ट्र है।
उन्होंने इसमें भारत में हजारों संजातीय समुदाय के लोगों के एक साथ मिल कर रहने और 700 से अधिक भाषाएँ बोले जाने की चर्चा करते हुए इसे खास बताया है। हालाँकि, बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति 2010 में भारत आने से पहले कभी उन्होंने यहाँ का दौरा तो नहीं किया था, लेकिन उन्होंने लिखा कि उनके मन में हमेशा से भारत को लेकर एक खास जगह थी। वो इसके बारे में सोचा करते थे। यहाँ आने की इच्छा रखते थे।
8 साल तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा ने लिखा कि हो सकता है कि ये सब इसीलिए हुआ होगा क्योंकि अपने बचपन के दिनों में वो इंडोनेशिया में रामायण एवं महाभारत की कथाएँ सुनते हुए बड़े हुए थे और पूर्वी धर्मों के प्रति हमेशा से उनकी रुचि रही है। उन्होंने बताया कि भारत और पाकिस्तान के रहने वाले उनके कई दोस्त थे जो उन्हें दाल और कीमा बनाना सिखाते थे। इसी दौरान उन्होंने बॉलीवुड की फ़िल्में देखनी भी शुरू कर दी थी।
.@BarackObama says he had never been to India before his Presidential visit in 2010, but the country had “always held a special place in my imagination”.https://t.co/7ToffeesgC
— WION (@WIONews) November 17, 2020
अपनी पुस्तक ‘A Promised Land’ में बराक ओबामा ने 2008 में बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार अपने चुनावी अभियान से लेकर पाकिस्तान के एबटाबाद में खूँखार आतंकी संगठन अलकायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को मार गिराने तक के सफर का ब्यौरा दिया है। अभी इसका पहला भाग ही प्रकाशित हुआ है। मंगलवार (नवंबर 10, 2020) को ये दुकानों में उपलब्ध कराया गया। अब इसका दूसरा भाग आएगा।
इसी पुस्तक में ओबामा ने वायनाड के सांसद राहुल गाँधी के लिए लिखा है, “उनमें एक ऐसे ‘घबराए हुए और अनगढ़ (Unformed- जो तराशा न गया हो)’ छात्र के गुण हैं, जिसने अपना पूरा पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है और वह अपने शिक्षक को प्रभावित करने की चाहत रखता है, लेकिन उसमें ‘विषय में महारत हासिल’ करने की योग्यता या फिर जूनून की कमी है।” इसके बाद कॉन्ग्रेस नेताओं व समर्थकों ने उनकी खासी आलोचना की।