स्विट्जरलैंड में दुनिया के सबसे महँगे स्कूलों में से एक- ली रोजी (Le Rosey) में भारतीय मूल के अभिभावकों द्वारा नस्लीय भेदभाव और हिन्दूफ़ोबिया का मुकदमा दर्ज किया है। ऑपइंडिया से बातचीत करते हुए पीड़ित के पैरेंट्स ने बताया कि कि उनकी बेटी स्कूल में अपनी भारतीय संस्कृति और हिन्दू पहचान के कारण निशाना बनाई जा रही है, जिस कारण वह मानसिक तनाव से गुजर रही।
ऑपइंडिया से बातचीत में भारतीय मूल के उद्योगपति राधिका ओसवाल (Radhika Oswal) और पंकज ओसवाल (Pankaj Oswal) ने बताया कि स्कूल ने उनकी बेटी के साथ नस्लीय भेदभाव कर उसके मानसिक उत्पीड़न में शामिल आरोपितों को बचाने का भी काम कर रहा है।
पीड़िता के अभिभावकों ने कहा कि उनकी बेटी स्विट्जरलैंड में स्थित ली रोजी स्कूल में पढ़ती है जहाँ बड़े और नामी घरानों के बच्चों ने उसकी भारतीय पृष्ठभूमि जैसे- सांस्कृतिक पहचान, शाकाहारी होना आदि को लेकर उसका मजाक बनाया गया और भावनात्मक शोषण किया गया है।
इस घटना के बारे में बात करते हुए पीड़ित छात्रा की माँ राधिका ओसवाल ने कहा –
“हम संस्थान में अपनी बच्ची के साथ हुए व्यवहार से हताश और चकित हैं। संकाय सदस्य भी अपने ही आचार संहिता के पालन में बुरी तरह से असफल हुए हैं। जाहिर तौर पर ‘आदर’ और ‘शारीरिक समग्रता’ के जिस मूल्य की संस्थान बात कर रहा है तथा जिन छात्रों की ‘धार्मिक, दार्शनिक और राजनैतिक प्रतिबद्धता’ से संबंधित बातें संस्थान करता है वह महज मार्केटिंग व्हाइटवॉश के अलावा कुछ भी नहीं है!”
अपने बच्चे के खिलाफ लगातार बढ़ते दुर्व्यवहार के मामलों के बाद अभिभावकों ने स्कूल को अपनी चिंताओं से अवगत करवाया और अपने बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने कि बात कही। लेकिन स्कूल के सीनियर प्रबंधन ने इन आरोपों को ना तो स्वीकार किया और न ही कोई कदम उठाने की मंशा जताई।
इस दौरान छात्रों की बदमाशियाँ बढ़ती गयी और उनकी बेटी के साथ साइबर दुर्व्यवहार भी शुरू हो गया। छात्रा का विभिन्न सोशल मीडिया ग्रुपों पर अन्य छात्रों की मौजूदगी में मज़ाक उड़ाया जाने लगा। यही नहीं छात्रा के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई करने या किसी उचित निष्कर्ष तक पहुँचने की कोशिश करने के बजाए ‘ली रोजी’ स्कूल ने अगले अकादमिक सत्र में बिना किसी स्पष्टीकरण के उसका पुनः नामांकन तक खारिज कर दिया।
पीड़ित छात्रा के माता-पिता का कहना है कि अन्य भारतीय छात्रों के साथ भी दुर्व्यवहार के स्पष्ट मामले हैं, जिन्हें उनके बैकग्राउंड, संस्कृति और शाकाहारी होने के कारण परेशान किया जाता है।
राधिका ओसवाल ने आगे कहा –
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अन्य भारतीय छात्रों को एक संकाय सदस्य द्वारा जातिगत ताना मारा जा रहा है। बच्चों के सामने अपमानजनक और नस्लीय टिप्पणियाँ की जाती हैं, जैसे कि – भारत एशिया का कूड़ेदान है और भारतीय माता-पिता स्वीपर की तरह दिखते हैं। यह और अधिक दुखद है कि ऐसे व्यवहार के बावजूद कई भारतीय माता-पिता इस स्कूल में अपने बच्चों की शिक्षा जारी रखते हैं। यह चौंकाने वाला है कि बच्चों के शाकाहारी होने तथा उनकी संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं को लेकर उन्हें ताने दिए जाते हैं, उनका मजाक उड़ाया जाता है। लेकिन इससे भी दुखद ये है कि माता-पिता कोई कार्रवाई नहीं करते।”
राधिका ओसवाल ने कहा कि ‘ली रोजी’ स्कूल की आचार संहिता से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी स्कूल बहुत अधिक चिंतित नहीं है। जैसे कि स्कूल का पाँचवा ‘मेजर रूल’ यह है कि ‘सप्ताह के किसी भी दिन परिसर के अंदर या बाहर मादक पेय पदार्थ रखना या सेवन करना’ एक ‘प्रमुख अपराध’ है। तथा आचार संहिता में धूम्रपान और ‘बिना अनुमति के एक भवन से बाहर जाना’ बड़े अपराधों में शामिल है। इसके विपरीत स्कूल में मादक पेय और धूम्रपान का सेवन कथित रूप से प्रचलित है। उदंड छात्रों को अक्सर कक्षा के दौरान ‘ली रोजी’ के आसपास क्लबों और बार में देखा जा सकता है, जहाँ वे महँगे पेय पर खूब खर्च करते हैं।
पीड़ित छात्रा के अभिभावकों ने बताया कि उनकी चिंताओं को दूर करने के विपरीत, ली रोजी और उसकी फैकल्टी मुख्य रूप से उनकी बेटी के चरित्र मूल्यांकन में व्यस्त रहे। उसके ग्रेड को कम कर दिया गया, वह अपनी कक्षा में बेहतर ग्रेड प्राप्त करने वाली छात्राओं में से एक थी। इस तरह उन्होंने उन छात्रों का ही समर्थन किया, जिन्होंने उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। यहाँ तक कि अगले अकादमिक वर्ष में उसके पुनः नामांकन को रद्द कर दिया और उसे अत्यधिक मानसिक यातना देते हुए उसे चुप कराने की कोशिश की।
उल्लेखनीय है कि ‘ली रोजी’ को दुनिया के सबसे महँगे स्कूलों में से एक माना जाता है। स्विटरजरलैंड की राजधानी जिनेवा से लगभग 26 किलोमीटर दूर बसे इस स्कूल के पास अपनी विशाल संपत्ति है। इसके पास अपने जहाज और रिजॉर्ट हैं, जहाँ हर साल जनवरी में स्कूल के बच्चे जाते हैं और अगले 3 महीनों तक फन एक्टिविटीज करते हैं।
ली रोजी स्विटजरलैंड का एक नामी बोर्डिंग स्कूल है। जहाँ पर सिर्फ एक साल की फीस लगभग 100,000 डॉलर (लगभग 75 लाख रुपए) है, और यह भी मात्र ट्यूशन फीस है, जिसमें अन्य खर्चे शामिल नहीं हैं।
सर रोजर मूर, डायना रॉस और एलिजाबेथ टेलर सभी ने अपने बच्चों को इसी ले रोजी स्कूल भेजा था और इसके पूर्व विद्यार्थियों में जॉन लेनन के बेटे सीन और विंस्टन स्पेंसर चर्चिल भी शामिल थे।
पीड़ित छात्रा के अभिभावकों का कहना है कि वह इस मुद्दे पर न्याय माँग रही हैं ताकि भविष्य में भी इस प्रकार की किसी गतिविधि को ना दोहराया जाए और भारतीयों के खिलाफ होने वाले नस्लीय भेदभाव के मामलों में गिरावट आए। उन्होंने कहा कि यह पैसे की नहीं, बल्कि सिद्धांतों की लड़ाई है। साथ ही, किसी भी वित्तीय निर्णय से प्राप्त धन को चैरिटेबल कार्यों के लिए दान करने का वादा किया है।
गौरतलब है कि पीड़ित छात्रा के पिता पंकज ओसवाल (Pankaj Oswal) मशहूर उद्योगपति ओसवाल घराने से हैं। इनकी पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में बर्रप होल्डिंग्स लि. कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी लिक्विड अमोनिया बनाने वाली कंपनी थी। लुधियाना में जन्में पंकज ओसवाल के दादा लाला विद्यासागर ओसवाल ने ‘ओसवाल समूह’ की स्थापना की थी।
नोट – ऑपइंडिया इस सम्बन्ध में ‘ली रोजी’ स्कूल से उनका बयान माँगा है, फिलहाल यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई भी आधिकारिक जवाब प्राप्त नहीं हुआ है।