Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयBelt & Road प्रोजेक्ट से पर्यावरण को होगा भारी नुक़सान, ख़ुद चीन की रिसर्च...

Belt & Road प्रोजेक्ट से पर्यावरण को होगा भारी नुक़सान, ख़ुद चीन की रिसर्च में आया सामने

रिसर्च के अनुसार, अगर कार्बन एमिशन से बचना है तो 12 ट्रिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट्स की कटौती करनी पड़ेगी। बता दें कि बेल्ट एन्ड रोड चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना है और वह चाहता है कि भारत भी इसका हिस्सा बने।

चीन के बेल्ट एन्ड रोड से पर्यावरण को ख़तरा है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं और न ही कोई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान कह रही है। ऐसा ख़ुद चीन की ही एजेंसी ने अपनी रिसर्च में पाया है। चीन की एजेंसी का कहना है कि कम क़ीमत में लो-कार्बन मेथड अपनाने पड़ेंगे। कारण यह है कि चीन अभी भी इस आधुनिक मेथड की जगह पुरानी, प्रदूषण पैदा करने वाली तकनीक अपना रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया कि बीआरआई के तहत एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में बंदरगाहों, रेलवे, सड़क और औद्योगिक पार्क का नेटवर्क बिछाने के लिए 126 देशों में खरबों डॉलर का निवेश होगा। इन परियोजनाओं के लिए चीन पर्याप्त धन मुहैया करा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक केवल बीआरआई योजना के कारण होने वाला कार्बन उत्सर्जन ही पेरिस जलवायु लक्ष्य को पटरी से उतार सकता है।

रिपोर्ट शिन्हुआ सेंटर फॉर फायनेंस एन्ड डेवलपमेंट सिंघुआ ने जारी किया है। वह चीन के नीति-नियंताओं को भी समय-समय पर सलाह देता रहा है। इस रिसर्च में उसके साथ लंदन की विविड इकोनॉमिक्स और अमेरिका की क्लाइमेट वर्क्स भी शामिल थी।

रिसर्च के मुताबिक बेल्ट एन्ड रोड में शामिल 126 देश दुनिया की 28% एमिशन के लिए ज़िम्मेदार हैं और 2050 तक ये आँकड़ा 66% तक चला जाएगा। रिसर्च टीम के मुखिया मा जून चीन के केंद्रीय बैंक के सलाहकार हैं। पेरिस एग्रीमेंट के दौरान यह लक्ष्य तय किया गया था कि कार्बन एमिशन को कम कर के तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न बढ़ने दिया जाए।

ताज़ा आँकड़ों को देखें तो कार्बन एमिशन का जितना लक्ष्य रखा गया है, यह उससे दुगुना बढ़ जाएगा। रिसर्च का कहना है कि डीकार्बनाइज करने की प्रक्रिया के लिए 12 ट्रिलियन डॉलर की ज़रूरत पड़ेगी। एक अन्य रिसर्च के अनुसार, चीन ने बेल्ट एंड रोड के तहत 67.9 गीगावाट कोयला आधारित बिजली में निवेश किया है, जबकि विंड और सोलर जैसे रिन्यूएबल एनर्जी की बात करें तो उसका सिर्फ़ 12.6 गीगावाट में ही निवेश किया गया है।

रिसर्च के अनुसार, अगर कार्बन एमिशन से बचना है तो 12 ट्रिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट्स की कटौती करनी पड़ेगी। बता दें कि बेल्ट एन्ड रोड चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना है और वह चाहता है कि भारत भी इसका हिस्सा बने।

गौरतलब है कि चीन विश्व का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है और दुनिया में मानव जनित कार्बन उत्सर्जन में 30 फीसद योगदान उसी का रहता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -