चीन के राष्ट्रपति के तौर पर लगातार तीसरी बार सत्ता हथियाने के बाद शी जिनपिंग (China President Xi Jinping) और भी ताकतवर बनकर उभरे हैं। इसके साथ ही वो अपने विरोधियों को कुचलने का काम शुरू कर दिया। एक बैठक के दौरान देश के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को जबरन बाहर निकाल दिया गया। इसके साथ ही जिनपिंग ने प्रधानमंत्री ली केकियांग को भी पार्टी लीडरशिप से हटा दिया है।
चीन में कॉन्ग्रेस की 20वीं बैठक यानी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति रह चुके 80 वर्षीय हू जिंताओ को जबरन मीटिंग से निकाल दिया गया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बगल में बैठे हू जिंताओ को दो सुरक्षाकर्मियों ने कुर्सी से उठाया और मीटिंग हॉल से बाहर ले गए। इसका वीडियो भी सामने आया है।
वीडियो में दिख रहा है कि हू जिंताओ इस दौरान शी जिनपिंग से कुछ कहते नजर आए। इस दौरान वे वापस कुर्सी पर बैठने की कोशिश भी किए, लेकिन दो मार्शल उनकी बाँह में हाथ डालकर बाहर लेकर चले गए।
Early drama: Hu Jintao seen being led out soon after reporters are led into the main hall pic.twitter.com/pRffGZF60I
— Danson Cheong (@dansoncj) October 22, 2022
कहा जा रहा है कि हू जिंताओ पार्टी में सुप्रीम लीडर या पारामाउंट की हैसियत रखते हैं, लेकिन अब शीन जिनपिंग ने उन्हें भी किनारे कर दिया है। इस वीडियो को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि जिंताओ का स्वास्थ्य खराब चल रहा है, इसलिए वे मार्शल के सहयोग से बैठक से बाहर निकल गए। हालाँकि, इसको लेकर किसी तरह आधिकारिक बयान नहीं आया है।
जिंताओ कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और 15 मार्च 2003 से 14 मार्च 2013 तक चीन के राष्ट्रपति थे। पार्टी संविधान के मुताबिक दो कार्यकाल पूरे होने के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया था। उनके पद छोड़ने के बाद शी जिनपिंग साल 2013 में चीन के राष्ट्रपति बने थे।
वहीं, शी जिनपिंग ने चीन के पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले प्रधानमंत्री ली केकियांग को भी पार्टी के वरिष्ठ पद से हटा दिया है। उनके साथ-साथ तीन और शीर्ष नेताओं को हटाया गया है। अब ये चारों नेता दोबारा कम्युनिस्ट पार्टी के ताकतवर पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य के रूप में दोबारा नियुक्त नहीं किया है।
प्रधानमंत्री ली केकियांग के साथ 7 सदस्यीय सबसे ताकतवर पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमिटी से जिन तीन अन्य नेताओं को हटाया गया है, उनमें शंघाई पार्टी के प्रमुख हान झेंग, पार्टी एडवाइजरी काउंसिल के प्रमुख वांग यांग और नेशनल पीपुल्स कॉन्ग्रेस के प्रमुख ली झांशु शामिल हैं।
लगातार सात दिनों तक चली कॉन्ग्रेस की बैठक खत्म हो गई है। इस बदलाव के बाद माना जा रहा है कि शी जिनपिंग के आजीवन चीन का राष्ट्रपति बने रहना लगभग तय हो गया है। अब शी जिनपिंग अब माओत्से तुंग, माओ जेडॉन्ग के नाम से भी जाना जाता है, के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता बन गए हैं।
साल 2021 की कॉन्ग्रेस की बैठक में राष्ट्रपति जिनपिंग के खिलाफ बयानबाजी को अपराध की कैटेगरी में डालते हुए सजा का प्रावधान किया गया था। इसके साथ ही दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति रहने की बाध्यता भी खत्म कर दी गई थी।