नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की कुर्सी को बचाने में चीन की राजदूत हाओ यांकी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। चीनी राजदूत एक के बाद एक बड़े नेताओं से मुलाकात कर अपना अहम रोल अदा कर रही हैं। खबर यह भी है कि चीनी राजदूत ने नेपाल के राष्ट्रपति से गुप्त मुलाकात भी की है। इसे लेकर नेपाल के अंदर ही उनका अब विरोध शुरू हो गया है। इतना ही नहीं नेपाल के कई पूर्व राजनयिकों और राजनेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट के मुताबिक पिछले एक सप्ताह में चीनी राजदूत हाओ ने नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या भंडारी, नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार, झालानाथ खनल से मुलाकात की है। ये सब ऐसे समय में किया जा रहा है कि जब पीएम ओली पर उनकी ही पार्टी के नेता लगातार पीएम पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बना रहे हैं।
खबरों के मुताबिक 3 जुलाई को चीनी राजदूत ने राष्ट्रपति बिद्या भंडारी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद चीनी राजदूत और ज्यादा सवालों के घेरे में आ गईं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मुलाकात के बारे में नेपाली राष्ट्रपति के कार्यालय में तैनात विदेश मंत्रालय के अवर सचिव को भी अवगत नहीं कराया गया, जबकि संवैधानिक रूप से ऐसा करना जरूरी होता है।
नियम यह भी है कि ऐसी मुलाकात के दौरान विदेश मंत्रालय के अधिकारी मौजूद रहें, लेकिन उन्हें कोई सूचना ही नहीं दी गई। यही कारण है कि राष्ट्रपति और चीनी राजदूत के बीच क्या बातचीत हुई इसकी अभी तक किसी को कोई जानकारी नहीं है।
चीनी राजदूत के इस कदम को नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप माना जा रहा है। यही नहीं नेपाली विदेश मंत्रालय ने भी कहा कि चीनी राजदूत के मामले में राष्ट्रपति राजनयिक आचार संहिता का उल्लंघन कर रही हैं।
खबर यह भी है कि नेपाली राष्ट्रपति इन दिनों खुद ही अपनी पार्टी में विवादों में चल रही हैं। विद्या भंडारी को प्रचंड बनाम ओली की इस लड़ाई में ओली का समर्थक माना जाता है। याद रहे कि पुष्प कमल दहल प्रचंड, झालानाथ खनल समेत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के 44 में से 30 सदस्यों ने 30 जून को ओली से पीएम पद और पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था।
पूर्व राजदूत लोकराज बरल कहते हैं, “मैं अपने नेताओं को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का न्यौता देने के लिए आलोचना करता हूँ। इससे पहले भारतीय राजदूत इस तरह की चीजों में शामिल रहते थे और अब चीन की बारी है।” उन्होंने कहा कि नेपाल में अब भारत के साथ संबंध को चीन के मुकाबले ज्यादा संदेह के साथ देखा जाता है।
बरल ने कहा कि जब भारतीय राजदूत यह करते थे तो कहा जाता था कि यह हस्तक्षेप है, लेकिन यह चीन पर लागू नहीं हो रहा है। केवल मीडिया ही इस पर सवाल उठा रही है, कोई नेता इस पर आपत्ति नहीं कर रहा है।
इससे पहले ओली के राजनीतिक भविष्य पर निर्णय करने के लिए देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की महत्वपूर्ण बैठक 8 जुलाई, 2020 तक के लिए टाल दिया है। पार्टी के शीर्ष नेता ओली के काम करने के तरीकों को निरंकुश बता रहे हैं।
नेपाल के भारत विरोधी एजेंडे के लिए होऊ यांगी जिम्मेदार बताई जा रही हैं। होऊ यांगी नेपाल में चीन की राजदूत हैं। पहले नेपाल के नए नक्शे के पीछे उनका ही हाथ बताया गया था। अब कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि होऊ यांगी की दखल नेपाल के आर्मी हेडक्वार्टर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक है।