भारत के मजबूत और आक्रामक रवैए के बाद चीन नरम पड़ता जा रहा है। भारत में चीन के राजदूत सुन वेईडॉन्ग (Sun Weidong) ने कहा है कि भारत और चीन को आपसी सहयोग के ऐसे कदम उठाने चाहिए जिनसे दोनों का फायदा हो, न कि ऐसे काम करें जिनसे दोनों को नुकसान भुगतना पड़े।
उन्होंने कहा है कि सीमा का सवाल इतिहास में छोड़ा गया, एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। हमें इस मुद्दे पर एक पक्षों की सहमति वाला शांतिपूर्ण समाधान ढूँढना होगा। सुन वेईडांग ने शुक्रवार (जुलाई 10, 2020) को वीडियो संदेश जारी कर कहा कि दोनों देशों के बीच कोई दुश्मनी नहीं बल्कि हमारे तो मित्रता के संबंध हैं।
भारत में चाइनीज राजदूत ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र स्थित गलवान घाटी में गत 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बारे में कहा कि वह ऐसी परिस्थिति थी जिसे भारत और चीन, दोनों ही देश नहीं देखना चाहते। उन्होंने कहा कि कमांडर लेवल की बातचीत में हुए समझौते के आधार पर अब हमारी सेनाएँ पीछे हट चुकी हैं।
चीनी राजदूत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि गलवान में भारतीय सैनिकों पर चीनी सैनिकों द्वारा धोखे से किए गए वार के बाद भारत में चीन के प्रति अविश्वास का माहौल बढ़ा है।
उन्होंने कहा, “15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच जो हुआ ऐसी स्थिति के बारे में दोनों में से किसी देश ने भी नहीं सोचा था। 5 जुलाई को इस मामले में चीनी के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल के बीच फोन पर बातचीत हुई थी। दोनों नेताओं ने सीमा पर जारी गतिरोध को कम करने को लेकर सहमति व्यक्त की थी।”
सुन वेईडॉन्ग ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए ऐसा समाधान ढूँढना चाहिए जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो।
चीनी राजदूत ने कहा, “लम्बे समय से चला आ रहा सीमा विवाद एक संवेदनशील और पेचीदा विषय है। हमें परामर्श और शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए उचित और तार्किक समाधान खोजने की आवश्यकता है, जो दोनों देशों को स्वीकार हो।”
Chinese Ambassador to India Sun Weidong issues statement over India-China border issue. “The boundary question left over by history, is sensitive and complicated. We need to find a fair & reasonable solution mutually acceptable through equal consultation & peaceful negotiation.” pic.twitter.com/WPti3oTVLi
— ANI (@ANI) July 10, 2020
चीनी राजदूत ने अपने बयान के माध्यम से भारत-चीन के बीच दोस्ताना संबंधों के लिए तीन सुझाव दिए हैं। जिसमें पहला भारत और चीन को प्रतिद्वंदी के बजाए सहयोगी कि तरह रहने का परामर्श है।
दूसरा सुझाव यह है कि भारत और चीन को शांति की चाह रखनी चाहिए, ना कि संघर्ष की। चीनी राजदूत ने तीसरे सुझाव में कहा है कि भारत और चीन को पारस्परिक हित के प्रयास करने चाहिए, न कि दोनों को नुकसान पहुँचाने वाले।
इसके अलावा चीनी राजदूत का कहना है कि दोनों देशों को कोरोना संकट से मिलकर लड़ना चाहिए, ये संकट का समय है और हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए।
हिमाचल प्रदेश में तिब्बती यूथ कॉन्ग्रेस का चीन के खिलाफ प्रदर्शन
तिब्बती यूथ कॉन्ग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला मैक्लोगंज में चीन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने भारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए नारे लगाए। तिब्बती स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं द्वारा शी जिनपिंग और चीनी ध्वज भी जलाए गए।
Tibetan Youth Congress protest against China in McLeodganj, Dharamshala of Himachal Pradesh. Protesters chant slogans to boycott Chinese products in India. Effigy of Xi Jinping & Chinese flag burned by Tibetan freedom activists. Chinese products broken to convey a strong message. pic.twitter.com/wvwrjhlsvF
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 10, 2020
कुछ ही दिन पहले भारत-चीन के बीच एलएसी पर गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद मैक्लोगंज स्थित तिब्बत निर्वासित सरकार के मुख्यालय मैक्लोगंज चौक पर तिब्बतियों ने चीन के खिलाफ विरोध जताया था।
तिब्बतियन यूथ कॉन्ग्रेस के सदस्यों ने मैक्लोगंज में चीन कि कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। संगठन के तिब्बती सदस्यों ने हाथ में बैनर लेकर निर्वासित तिब्बतियों, भारतीयों और पूरी दुनिया के लोगों से ‘बायकॉट चाइनीज गुड्स’ के आह्वान की माँग की।