चीन की मिसाइलों में गोला बारूद की जगह पर पानी भरा हुआ है। इनको लॉन्च नहीं किया जा सकता क्योंकि इनके कवर के ढक्कन तक सही से नहीं खुलते। इसी चक्कर में चीन ने ताइवान को आँख दिखाना बंद कर दिया है। आगे भी चीन की सेना किसी पर हमला करने की अपनी रणनीतियों पर सोच विचार कर रही है क्योंकि उसके अन्दर सैकड़ों खामियाँ निकली हैं। यह सारे खुलासे एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में हुए हैं।
ब्लूमबर्ग द्वारा सूत्रों के हवाले जुटाई गई जानकारी के अनुसार, सेना और इसके साजोसामान खरीदने में भ्रष्टाचार इस कदर पैठ बना चुका है कि अब उसके हथियारों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। इसी कारण से चीन के राष्ट्रपति ने हाल ही में कुछ सैन्य अधिकारियों को सेना से निकाल फेंका था।
रिपोर्ट में बताया गया है 2021 में भी एक खुफिया जानकारी सामने आई थी कि शिनजियांग के मरुस्थल में सैकड़ों परमाणु मिसाइल बना रहा है। इनका उपयोग चीन के पड़ोसियों को डराने धमकाने में किया जाना था। इसके बाद 2022 और 2023 में चीन ने पड़ोसी ताइवान को काफी परेशान भी किया और इसकी तरफ रॉकेट भी तान दिए।
हालाँकि, अब सामने आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इन मिसाइल को जिन कनस्तरों में रखा जाता है, उनके ढक्कन (Lids) ही सही से काम नहीं करते और समय पर नहीं खुलते। इससे मिसाइल सही से लॉन्च नहीं हो पाती। ऐसे में किसी दुश्मन देश के हमले का जवाब देना मुश्किल होगा। खुफिया रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कुछ मिसाइलों में गोला बारूद भरा ही नहीं गया है। इनमें इसकी जगह पर पानी भरा हुआ है, ऐसे में यह काम ही नहीं करेंगी।
ख़ुफ़िया रिपोर्ट में बताया गया है कि यह सारे घोटाले सेना के रॉकेट फ़ोर्स यूनिट में हुए हैं। इन सभी घोटालों के पीछे सेना में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार को जड़ बताया जा रहा है। इसी के चलते चीन अब दूसरे देशों को आँख दिखाने की अपनी रणनीति पर भी दोबारा विचार कर रहा है।
चीन की सेना में इस भ्रष्टाचार के कारण ही हाल ही में रक्षा मंत्री ली शांगफू को भी उनके पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा हाल ही में चीन की सेना के 9 बड़े अधिकारियों को शी जिनपिंग ने बाहर का रास्ता दिखाया था। यह भी चीन की सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार से ही जुड़ा मामला था। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह अधिकारी फ़ोर्स से जुड़े हुए थे और इनमें से 4 इन खराब मिसाइलों के लिए जिम्मेदार थे, जिसके लिए इन्हें सजा दी गई।
चीन की सेना में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है। दरअसल, चीन की सेना देश को समर्पित ना हो कर यहाँ की कम्युनिस्ट पार्टी की फ़ौज है। यह पार्टी के हितों को पूरा करने के लिए काम करती है। इसकी निष्ठा चीन देश के प्रति ना हो कर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति है। ऐसे में यहाँ भ्रष्टाचार भी काफी बड़ी बात है क्योंकि अधिकांश समय चीन की सेना में पार्टी से ही बड़े कार्यकारी अधिकारी भर्ती किए जाते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सत्ता में आने के बाद से ही भ्रष्टाचार पर कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन इसमें उन्हें कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली है।