प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘स्वदेशी’ और ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ का प्रभाव कितना व्यापक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चायनीज मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ हिन्दुओं के पवित्र त्यौहार दीपावली को भी अपने अजेंडा के लिए इस्तेमाल करता नजर आ रहा है। चीन का मानना है कि चायनीज लड़ियों के बिना दीपावली काली रहने जा रही है।
दरअसल, चीनी सामान के बहिष्कार और स्वदेशी को लेकर बढ़ रही जागरूकता का प्रभाव अब चीनी बाजार में नजर आने लगा है। यही वजह है कि चीनी सरकार बौखलाई हुई है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीन की सरकार का कहना है कि चायनीज LED लड़ियों के बिना भारत में दीपावली की रात काली रहेंगी। इसी के साथ, ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ की मुहीम का भी मजाक बनाने का प्रयास किया है।
‘वोकल फॉर लोकल’ अपील की आलोचना करते हुए ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने लिखा है कि पीएम मोदी की इस अपील का असर नहीं हो रहा है। उनकी इस अपील के बावजूद भारतीय कारोबारी एवं उपभोक्ता चीन से बड़ी मात्रा में एलईडी लाइट्स खरीद रहे हैं। और यह माँग इतनी ज्यादा है कि चायनीज कंपनियों को सप्लाई करने में समस्या आ रही है जिस कारण चीनी कंपनियाँ दिन-रात काम कर रही हैं।
#Diwali in #India is originally a symbol of light, but without LED lights from #China, this light would turn ‘dark’: expert https://t.co/uc9TInYp2F
— Global Times (@globaltimesnews) November 12, 2020
ग्लोबल टाइम्स ने अपनी बात को साबित करने के लिए एक फैक्ट्री के सेल्स मैनेजर वांग के बयान का उल्लेख भी रिपोर्ट में किया है। इस रिपोर्ट में वांग के हवाले से कहा गया है कि दिवाली के समय पर ऑर्डर की आपूर्ति करने के लिए कंपनी अक्टूबर महीने से अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रही है। सेल्स मैनेजर का कहना है कि बड़े पैमाने पर उत्पादों का निर्माण होने से लागत कम आती है।
रिपोर्ट में इस सेल्स मैनेजर के बयान को कोट करते हुए कहा गया कि उन्हें दसियों लाख इकाइयों से जुड़े निर्यात ऑर्डर मिले हैं। जिसमें भारत का नाम भी शामिल है। उनकी ऑटोमेटेड प्रोडक्शन लाइन हर दिन 1 लाख एलईडी लाइट बनाती है। मगर यह ऑर्डर पूरे करने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए वह अपनी प्रोडक्शन लाइन बढ़ा रहे हैं।
इसके बाद वांग के बढ़ते कारोबार के दम पर ग्लोबल टाइम्स ने भारत में बिन एलईडी के लाइट का मुद्दा खूब भुनाया और यह बखान किया कि उनकी कंपनी किस प्रकार की लाइटें बनाती हैं।
बता दें कि चीन के मुखपत्र का अपने पाठकों से यह भी कहना है कि भारत सरकार ने गत अप्रैल महीने में चीन निर्मित इलेक्ट्रानिक्स सामानों पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाए थे लेकिन उनके पास इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों की माँग में कमी नहीं आई है।
रिपोर्ट में ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के हवाले से कहा गया है कि दिवाली के मौके पर भारत एलईडी वल्बों का बड़ी मात्रा में चीन से आयात करता आया है। भारत की आयात की यह रकम 13.4 करोड़ डॉलर है।
ग्लोबल टाइम्स की मानें तो अभी भी भारतीय कारोबारी उनसे संपर्क कर रहे हैं और उन्हें ऑर्डर दे रहे हैं। मुखपत्र में विशेषज्ञों के नाम पर शिंघुआ यूनिवर्सिटी में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट के रिसर्च विभाग के निदेशक क्वेन फेंग के हवाले से भी प्रोपगेंडा फैलाया गया।
जहाँ फेन ने कहा कि मोदी सरकार ने चीनी सामानों पर निर्भरता कम करने के लिए त्योहारों के मौकों पर लोगों से स्थानीय वस्तुओं की खरीदारी करने की अपील की है, लेकिन चीनी वस्तुओं की कीमत कम एवं उनकी गुणवत्ता बेहतर होने से भारतीय उपभोक्ताओं में चीन निर्मित वस्तुओं की माँग काफी ज्यादा है। आगे कहा कि भारत में दिवाली प्रकाश का पर्व है लेकिन चीन के एलईडी वल्बों के बिना यह दीपावली ‘काली’ हो जाएगी। इसलिए भारतीय उपभोक्ता चीनी लाइट जम कर खरीद रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि चीन का दावा चाहे कुछ भी हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद से लोगों ने चीनी लाइट्स व सामानों का बहिष्कार किया है। ट्विटर पर स्वदेशी दीवाली जैसे शब्द डालने पर अनेकों लोगों द्वारा चलाए जा रहे ऐसे अभियान सामने आ रहे हैं जिनमें विदेशी कंपनियों के हर सामान को बॉयकॉट करके स्वदेशी चीजों की ओर लोगों को आकर्षित करवाया जा रहा है ताकि भारतीय ब्रांड भी खुद को स्थापित कर पाएँ और देश का पैसा चीन जैसे मुल्कों में भी न जाए।