Saturday, November 16, 2024
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9 साल में बना दिए 9600 मस्जिद, खर्च कर डाले ₹3287 करोड़: अब खाने को मोहताज हुआ मिस्र, पाकिस्तान की तरह कंगाल हुआ एक और इस्लामी मुल्क

मिस्र के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के मंत्री मोहम्मद मुख्तार गोमा ने धार्मिक नेताओं के साथ एक बैठक में मस्जिद-निर्माण कार्यक्रम की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि मिस्र और किसी अन्य देश के इतिहास में मस्जिद निर्माण की यह अभूतपूर्व संख्या है। इसे 'धर्म के संरक्षण' का संकेत भी बताया।

एशिया और अफ्रीका से जुड़ा मुस्लिम मुल्क मिस्र (Egypt) की हालत भी खस्ता है। पाकिस्तान की तरह ही वहाँ के लोग भी महँगाई की मार झेल रहे हैं और गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। लोगों के पास अब रोटी खरीदने तक के पैसे नहीं हैं।

आर्थिक संकट के दौरान भी मिस्र की सरकार द्वारा लोगों को बेसिक चीजें उपलब्ध कराने के बजाए मस्जिदों के निर्माण (Construction of Masjid) और उसके रख-रखाव पर पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। इसको लेकर वहाँ के लोग सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।

पिछले महीने मिस्र के धार्मिक बंदोबस्ती मंत्रालय ने बताया था कि साल 2013 में राष्ट्रपति अब्देल फत्तह अल-सिसी के पद सँभालने के बाद से 10.2 बिलियन मिस्र पाउंड (लगभग 404 मिलियन डॉलर यानी लगभग 3,287 करोड़ रुपए) की लागत से 9,600 मस्जिदों का निर्माण या नवीनीकरण किया गया है।

अल-मॉनिटर के अनुसार, मिस्र की राजधानी काहिरा (Cairo) के 20 वर्षीय महमूद अब्दो सरकार के इस फैसले से बहुत नाराज हैं। अब्दो कहते हैं, “पहले हम लोगों को यह कहते सुना करते थे कि गरीब परिवारों के लिए जिस पैसे की ज़रूरत होती है, उसे मस्जिदों पर खर्च नहीं किया जाना चाहिए।”

अब्दो का कहना है कि आज देश के मस्जिदों में जकात के नाम पर चंदा वसूलने के लिए बक्से बने हुए हैं। हालाँकि, पिछले साल नवंबर में मिस्र के धार्मिक बंदोबस्ती मंत्रालय ने दान पेटियों को हटाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि जिन्हें चंदे देने होंगे वे मस्जिदों के खाते में सीधे जमा करा सकते हैं।

बता दें कि मिस्र की लगभग 10.30 करोड़ जनसंख्या है। मिस्र भर में मस्जिदों की कुल संख्या 1,40,000 से भी अधिक हैं। इनमें से 1,00,000 बड़ी मस्जिदें शामिल हैं। हालाँकि, मिस्र के ऐसे लोगों की संख्या भी खूब है, जो मस्जिद नहीं जाते हैं। इसके बावजूद वहाँ की सरकार मस्जिदों पर पैसे बहा रही है।

मिस्र के पत्रकार और डॉक्टर खालिद मॉन्टेसर ने पिछले महीने ट्विटर पर खर्च की आलोचना की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि प्रार्थना कहीं भी की जा सकती है, लेकिन शैक्षिक सेवाओं के लिए स्कूलों की आवश्यकता होती है और चिकित्सा उपचार के लिए अस्पतालों की आवश्यकता होती है।

बता दें कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मिस्र के पाउंड के अवमूल्यन के अलावा मिस्र में खाद्य पदार्थों के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। अगर अरब देशों की तुलना करें तो मिस्र में लोगों की आय सबसे कम है। इसके बावजूद मिस्र के मंत्री मस्जिद निर्माण को सही ठहरा रहे हैं।

मिस्र के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के मंत्री मोहम्मद मुख्तार गोमा ने धार्मिक नेताओं के साथ एक बैठक में मस्जिद-निर्माण कार्यक्रम की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि मिस्र और किसी अन्य देश के इतिहास में मस्जिद निर्माण की यह अभूतपूर्व संख्या है। बंदोबस्ती मंत्रालय से संबद्ध इस्लामी मामलों की सर्वोच्च परिषद के सदस्य शेख खालिद अल-जुंदी ने कहा था कि मस्जिद निर्माण ‘धर्म के संरक्षण’ का संकेत है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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