चीन (China) के कर्ज के जाल में फँसकर कंगाली के कगार पर खड़े श्रीलंका में पाँच दिन बाद राष्ट्रीय आपातकाल को खत्म कर दिया गया है। देश के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने मंगलवार (5 अप्रैल 2022) की देर रात एक गजट नोटिफिकेशन 2274/10 जारी किया, जिसके बाद देशभर में जारी आपातकाल का अंत हो गया। उन्होंने आपातकालीन अध्यादेश को वापस लेने की बात कही।
आपातकालीन नियम के तहत के तहत सुरक्षाबलों को देश में किसी भी तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए असीमित अधिकार दिए गए थे। उससे पहले विपक्ष ने सोमवार (4 अप्रैल 2022) को संसद में चर्चा के दौरान इमरजेंसी को खत्म करने की माँग की थी।
उल्लेखनीय है कि देश में जारी आर्थिक संकट के कारण गुरुवार (31 मार्च 2022) को लोगों ने राष्ट्रपति आवास के बाहर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था। लोगों का मानना है कि देश की इस हालात के लिए राजपक्षे जिम्मेदार हैं। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने 45 लोगों को गिरफ्तार भी किया था। हालात बिगड़ते देख राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे ने शुक्रवार (1 अप्रैल 2022) को देशभर में आपातकाल की घोषणा कर दी थी।
Sri Lankan President revokes State of Emergency
— ANI Digital (@ani_digital) April 5, 2022
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजपक्षे सरकार को इस बात की जानकारी मिली थी कि देश की जनता 3 अप्रैल को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बना रही है। इसी विरोध को दबाने के लिए राष्ट्रपति ने यह निर्णय लिया गया था। आपातकाल के साथ ही देशभर में कर्फ्यू लगा दिया गया। प्रदर्शन के दौरान आगजनी की घटनाएँ भी हुई थीं। कई सरकारी गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था।
वहीं, श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (SLFP) के नेता मैत्रीपाला सिरिसेना ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। सिरिसेना ने कहा कि उनकी पार्टी आम लोगों के साथ है। इससे 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में राजपक्षे अपना बहुमत खो चुके हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के 40 से अधिक सांसदों ने बागी रूख अपना चुके हैं। बता देें कि सत्ताधारी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी के 117 सासंद हैं, जबकि SLFP के 15 सांसद हैं। वहीं, गठबंधन सरकार में 10 अन्य दलों के 14 सांसदों का भी समर्थन प्राप्त था।
महंगाई चरम पर
द्वीपीय देश में महंगाई चरम पर है। खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर रसोई गैस तक लोगों को नहीं मिल पा रही है। बिजली कटौती तो 13 घंटे तक हो रही है। देश के राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे अभी भी आपातकाल के अपने फैसले का बचाव कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश में आर्थिक संकट कोरोना महामारी के कारण आया है। उन्होंने ये भी कहा है कि 113 सदस्यों का बहुमत साबित करने वाले किसी भी दल को सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं।