फ्रांस सरकार ने ‘कट्टरपंथी इस्लाम’ को पनाह देने और ‘आतंकवादी हमलों को वैध ठहराने’ के लिए ले मैंस के पास एलोनेस में एक मस्जिद को बंद करने का आदेश दिया है। गृहमंत्री गेराल्ड डारमैनिन ने कहा कि मस्जिद को छह महीने के लिए बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही मस्जिद के प्रशासकों के बैंक अकाउंट भी जब्त कर लिए गए हैं।
मस्जिद पर लगे आरोपों में फ्रांस, पश्चिमी देशों, ईसाइयों और यहूदियों के प्रति नफरत भड़काना शामिल है। डारमैनिन ने बंद का सपोर्ट करते हुए ट्विटर पर लिखा, “इस मस्जिद में फ़्रांस के प्रति घृणा पैदा करने वाले संदेशों के जरिए भड़काया गया।” प्रशासन ने कहा कि नफरत और भेदभाव के अलावा, मस्जिद ने फ्रांस में ‘शरिया की स्थापना’ को भी बढ़ावा दिया।
मस्जिद के साथ-साथ उसके द्वारा आयोजित इस्लामिक स्कूल को भी यह कहते हुए बंद कर दिया गया है कि स्कूल में ‘सशस्त्र जिहाद’ को बढ़ावा दिया गया था। बुधवार (27 अक्टूबर 2021) को स्कूल के दरवाजे पर एक नोटिस चिपका हुआ था, जिसमें लिखा गया था कि कक्षाओं को ‘अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है।’
फ्रांस के आंतरिक मंत्री ने यह भी कहा कि साल के अंत तक सात और एसोसिएशन या मजहबी भवनों को बंद करने की योजना पर काम चल रहा है। मंत्री ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के एलिसी पैलेस में पदभार सँभालने के बाद से 13 मजहबी एसोसिएशन को बंद करने की भी जानकारी दी। डारमैनिन ने यह भी कहा कि सितंबर 2020 से, ‘जनता के लिए खतरा’ के कारण 36,000 विदेशियों के निवास परमिट रद्द कर दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक मुस्लिमों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ चल रहे अभियान के बीच, फ्रांस ने नवंबर 2020 से 89 निरीक्षण की गई मस्जिदों में से एक-तिहाई को बंद कर दिया है। इससे पहले खबर आई थी कि फ्रांसीसी सरकार ने एक साल से भी कम समय में लगभग 30 मस्जिदों को बंद कर दिया था।
सार्थे गवर्नरेट ने 25 अक्टूबर को एक बयान जारी कर कहा कि एलोन्स में 300 लोगों की क्षमता वाली मस्जिद को इस आधार पर छह महीने के लिए बंद कर दिया गया था कि यह ‘कट्टरपंथी इस्लाम का बचाव करती है।’ यह एक अभियान का हिस्सा था जिसकी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के साथ-साथ वैश्विक नेताओं, विशेष रूप से मुस्लिम-बहुल देशों में दुनिया भर में आलोचना की गई थी।
गौरतलब है कि पिछले दिनों इस्लामी कट्टरपंथ से निपटने के लिए अपनी नई योजना को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुस्लिम देशों के निशाने पर आ गए थे। मैक्रों ने देश के मुस्लिम नेताओं से ‘चार्टर ऑफ रिपब्लिकन वैल्यूज’ पर सहमति देने के लिए कहा है। इसी को लेकर विवाद है।
चार्टर के मुताबिक, इस्लाम एक मजहब है और इससे किसी भी तरह के राजनीतिक आंदोलन को जोड़ा नहीं जा सकता है। चार्टर के तहत, फ्रांस के मुस्लिम संगठनों में किसी भी तरह के विदेशी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया गया। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों से धार्मिक आधार पर किसी तरह की बहस करने वालों के खिलाफ भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया।