फेसबुक (Facebook) की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) जल्द ही कुछ लोगों को फेसबुक और इंस्टाग्राम (Instagram) पर नग्न शरीर वाली तस्वीरों को पोस्ट करने की अनुमति देगा। फेसबुक ऐसी तस्वीरों पर प्रतिबंध लगाने के लगभग 10 साल बाद अपने नियमों में बदलाव करने का फैसला लिया है।
दरअसल, एक दशक पहले फेसबुक ने नंगी तस्वीरों, खासकर महिलाओं की नग्न स्तन वाली तस्वीरों को प्रतिबंधित कर दिया था। इन प्रतिबंधों का स्तनपान कराने वाली महिलाओं ने विरोध किया था। उन्होंने कहा कि फेसबुक उनके साथ पोर्नोग्राफर की तरह व्यवहार कर रहा है।
इन महिलाओं ने 2008 में फेसबुक मुख्यालय के बाहर प्रतिबंध के विरोध में प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनों करने वालों में ‘फ्री निप्पल मूवमेंट’ (Free Nipple Movement) की महिलाएंँ शामिल थीं।
‘फ्री द निप्पल’ नाम से कई महिलाओं ने ग्लोबल मूवमेंट चलाया है। इस मूवमेंट की महिलाओं की माँग है कि उन्हें भी पुरुषों की तरह टॉपलेस घूमने का अधिकार दिया जाए। इन महिलाओं की माँग पर अमेरिका के छह राज्यों ने सितंबर 2019 में टॉपलेस घुमने की अनुमति दे दी थी।
फेसबुक पर इन्हीं महिलाओं की माँग को देखते हुए ओवरसाइट बोर्ड ने मेटा को सलाह दी कि वह महिलाओं और ट्रांसजेंडर को नंगी छाती वाली तस्वीरों पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करे। ओवरसाइट बोर्ड में शिक्षाविद, नेता और पत्रकार शामिल होते हैं, जो कंपनी को उसकी सामग्री-मॉडरेशन नीतियों पर सलाह देते हैं।
दरअसल, एक ट्रांसजेंडर और गैर-बाइनरी जोड़े ने मेटा के आदेश को लेकर बोर्ड से संपर्क किया था। इस जोड़े ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2021 और 2022 में इंस्टाग्राम पर दो अलग-अलग कंटेंट पोस्ट की थी। पोस्ट की तस्वीरों में कैप्शन में स्वास्थ्य देखभाल के बारे में बात किया गया था।
हालाँकि, मेटा ने दोनों पोस्ट को सेक्सुअल सॉलिसिटेशन कम्युनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन करने के आरोप में हटा दिया। बोर्ड ने अपने निष्कर्षों में कहा कि इन पोस्ट को हटाना मेटा के सामुदायिक मानकों, मूल्यों या मानवाधिकारों की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं है। ये मामले मेटा की नीतियों के मूलभूत मुद्दों को भी उजागर करते हैं।