भारत के अलावा दुनिया में और भी कई देश हैं, जहाँ मस्जिद होने के बावजूद मुस्लिमों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने के कारण माहौल खराब हो रहा है। ऐसे ही देशों में एक देश फ्रांस है। फ्रांस में वर्ष 2017 में सडकों पर नमाज पढ़ने को लेकर वहाँ के लोगों में मुस्लिमों के प्रति काफी रोष फैल गया था। उस समय लगभग 100 फ्रांसीसी नेताओं ने इसके विरोध में पेरिस में फ्रांस का राष्ट्रगान गाकर सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने वाले मुस्लिमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
#Clichy Les élus entonnent une Marseillaise, sur une place pour l’instant déserte : à un quart d’heure de la #prière de rue devenue “habituelle”, pas de fidèles. pic.twitter.com/QCCulhdXNi
— Théo Maneval (@TheoManeval) November 10, 2017
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दौरान नेताओं ने फ्रांस के ध्वज वाले कपड़े पहनकर राष्ट्रगान गाते हुए पेरिस के क्लिची की सड़क पर लगभग 200 नमाजियों को नमाज पढ़ने से रोकने का प्रयास किया था। इसको लेकर दोनों समूहों में काफी विवाद भी हुआ था। पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद दोनों समूहों के बीच विवाद इतना बढ़ था गया कि मामला हाथापाई तक पहुँच गया था।
फ्रांस के लोगों का कहना था कि वहाँ सार्वजनिक स्थानों पर नमाज की अनुमति नहीं है। वहीं, मुस्लिमों का कहना था कि उनके पास इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि टाउन हॉल ने मार्च में उनके नमाज पढ़ने के लिए दिए गए कमरे को वापस ले लिया था। फ्रांस में लगभग पाँच मिलियन यानी 50 लाख मुसलमान रहते हैं, जो पश्चिमी यूरोप में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है।
पेरिस रीजनल काउंसिल के अध्यक्ष वैलेरी पेक्रेस ने नमाजियों का विरोध करते हुए कहा था, “सार्वजनिक स्थान पर इस तरह कब्जा नहीं किया जा सकता।” उन्होंने मध्य-दक्षिणपंथी रिपब्लिकन (centre-right Republicans) और यूडीआई पार्टियों (UDI parties) के पार्षदों और सांसदों के साथ मिलकर शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने वालों का विरोध किया था।
क्लिची (Clichy) के दक्षिणपंथी महापौर रेमी मुज़्यू ने आंतरिक सुरक्षा विभाग से सड़कों पर खुलेआम नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था, “मैं अपने शहर में सभी की शांति और स्वतंत्रता के लिए जिम्मेदार हूँ।”
अब्देल कादेर नाम के एक नमाजी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया था कि हर शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए बेहतर स्थान चाहता है। सड़कों पर रहने का उन लोगों को कोई शौक नहीं है। उसने बताया कि वह विरोध प्रदर्शन के दौरान फ्रांसीसी नेताओं के राष्ट्रगान गाने से बेहद नाराज था। अब्देलकादर ने कहा था कि वे फ्रांस का राष्ट्रगान (Marseillaise) गा रहे थे, हमें उकसा रहे थे, जबकि मुस्लिम भी फ्रांस के ही लोग हैं। सोशल मीडिया पर नवंबर 2017 में इस घटना के कई वीडियो भी सामने आए थे।
#Clichy Scène hallucinante : aucun dialogue, mais des élus qui chantent la Marseillaise en même temps que la prière débute. Deux groupes face à face, mais qui ne se parlent pas.#E1midi pic.twitter.com/2tKXTj73lA
— Théo Maneval (@TheoManeval) November 10, 2017
बता दें कि ऐसी खबरें थीं कि मुस्लिम लोग मेयर द्वारा मस्जिद को बंद करने के विरोध में नमाज पढ़ने के लिए सड़कों का इस्तेमाल कर रहे थे। इसके तहत हर दिन कम-से-कम 5,000 मुस्लिम सड़कों पर नमाज पढ़ने के लिए आते थे। हालाँकि, अधिकारियों ने मुस्लिम समुदाय के लिए एक नई मस्जिद बनवाई थी, लेकिन यह 1.5 किमी दूर थी। नमाजियों का कहना था कि इतनी दूर जाना उनके लिए मुश्किल है। दरअसल, हर शुक्रवार को सड़कों पर नमाज पढ़ने का एक उद्देश्य यह भी था कि क्लिची के सेंटर में एक नई मस्जिद खोलने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सके।