अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले में बुधवार (25 मार्च 2020) को 27 सिख मारे गए थे। हमले की खबर ने सबको झकझोर दिया। सामने आई तस्वीरें दर्दनाक हैं। लगभग 150 सिखों पर उस समय हमला हुआ जब वह दुनिया को कोरोना के प्रकोप से बचाने की अरदास लेकर गुरुद्वारे में इकट्ठा हुए थे। मगर, यहाँ अचानक पाकिस्तान पोषित आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया।
सबसे पहले एक फिदायीन हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। फिर उसके बंदूकधारी साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। पुलिस के एक्शन लेने के बाद कई लोगों का रेस्क्यू हुआ, लेकिन कुछ को बचाया न जा सका। जो लोग मानवता को बचाते-बचाते खुद शहीद हो गए, उनमें से 25 को आज अंतिम विदाई दी गई। इसका एक विडियो बीबीसी के पत्रकार रविंद्र सिंह रॉबिन ने शेयर की है। विडियो में सभी सिखों के शव को अंतिम संस्कार के लिए एक साथ रखा देखा जा सकता है और साथ ही अपनों को खोने के गम में परिजनों के सिसकने की आवाज भी सुनी जा सकती है।
In tears. Helpless in mourning. Funeral pyre of 25 out of 26 innocent Sikh being lit in #Kabul right now. Yesterday as they worshiped for good health for all across globe amidst #COVID19, Pakistan backed terrorists gunned them mercilessly. What was their crime? #WaheGuru help us! pic.twitter.com/8dYWbkKXDh
— Ravinder Singh Robin ਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ راویندرسنگھ روبن (@rsrobin1) March 26, 2020
रविंद्र सिंह रॉबिन वाहे गुरु से मदद माँगते हुए लिखते हैं, “काबुल में अभी 26 में से 25 निर्दोष सिखों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। कल ये सभी जब कोरोना वायरस के बीच दुनिया भर के अच्छे स्वास्थ्य की अरदास करने पहुँचे तब पाक समर्थित आतंकियों ने इन्हें निर्ममता से गोली मार दी। आखिर इनका क्या अपराध था?” पत्रकार रविंद्र सिंह के इस सवाल पर गुरप्रताप सिंह ने लिखा, इनका कसूर सिर्फ ये है कि ये सिख धर्म के अनुयायी हैं। ये उस मजहब से नहीं जिससे आतंकी आते हैं। उनके लिए सिख काफिर हैं और वे इन्हें मारना उचित समझते हैं। सिखों ने शाहीन बाग में लंगर तक बाँटा। लेकिन उनमें से कितनों ने इस हमले की निंदा की? शून्य।
Their only crime- they follow Sikhism and not the religion of the terrorist, which means they are kafirs and hence fit for murder. No other reason!. Sikhs are serving langar ( which we’ll keep on doing) in Shaheen bagh street drama, how many of them have condemned this? ZERO!
— Gurpratap Singh (@gurpratapgps) March 26, 2020
वहीं, एसएस सिंह नाम के यूजर ने लिखा, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे भाइयों ने उस देश में अपनी किस्मत को लेकर जाकर छोड़ा, जहाँ उनके जीवन का मूल्य नहीं…। भारत में कुछ लोग इनके प्रवेश का विरोध करते हैं, इन्हें नागरिकता देने की बात पर राजनीति साधते हैं। क्योंकि वे चाहते हैं कि आतंकियों को भी नागरिकता दी जाए ताकि वे यहाँ उनका पालन कर सकें और हत्याएँ को जारी रख सकें।”
our unfortunate brothers left to their fate in countries that give no value to thier lives.
— S S Singh (@Singh2639) March 26, 2020
Some in India oppose their entry & citizenship for their appeasement politics.
They want the perpetrators also to be given citizenship so they can follow them here and continue killing
गौरतलब है कि कल यानी 25 मार्च को जब ये हमला हुआ उस वक़्त अरदास के लिए गुरुद्वारे में कई छोटे-छोटे बच्चे भी मौजूद थे। हमले के बाद हर तरफ चीख-पुकार मची हुई थी। सुरक्षाकर्मियों ने जब उन्हें बाहर निकाला, तब उनके चेहरे पर खौफ साफ दिखाई दे रहा था।