पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार और हिंदू लड़कियों के अपहरण और धर्म परिवर्तन की घटनाएँ लगातार जारी हैं। वहाँ एक और 14 वर्षीय हिंदू लड़की का अपहरण कर लिया गया है। पाकिस्तान में काम कर रहे एक्टिविस्ट राहत ऑस्टिन के अनुसार यह अपहरण ( 27 जून, 2020 ) को सैदाबाद, हला मितारी, सिंध प्रांत पाकिस्तान में हुआ।
“It is a curse to born in an Islamic County”.
— Rahat Austin (@johnaustin47) June 27, 2020
Says a Non-Muslim, Hindu mother, while hiting herself with grief, falling unconscious, whose 14-years daughter, Nasiban, is taken for sexual exploitation & forced conversion to Islam in Saedabad,Hala,Mitiari, Sindh-Pakistan.27-6-2020 pic.twitter.com/h8rdVoXJlX
एक्टिविस्ट राहत ने ट्विटर के जरिए एक वीडियो शेयर कर यह जानकारी दी है। इस वीडियो में पीड़ित लड़की की माँ का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है। वह रोते-बिलखते बार-बार यही कह रही हैं, “इस्लामी देश में पैदा होना एक अभिशाप है।”
राहत ऑस्टिन के मुताबिक अपहरणकर्ता ने 14 वर्षीय नाबालिग हिंदू लड़की नसीबन का अपहरण यौन शोषण और जबरन धर्म परिवर्तन के मकसद से किया है।
जबरन धर्मांतरण और यौन शोषण के लिए अपहरण
गौरतलब है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय और विशेष रूप से हिन्दू लड़कियों के खिलाफ अत्याचार, जबरन इस्लाम कबूल करवाना, यौन शोषण के मकसद से शादी करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। और यही पाकिस्तान का इतिहास भी रहा है। अपहरणकर्ता ज्यादातर अपना निशाना नाबालिग लड़कियों को ही बनाते हैं।
कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के जकोबाबाद से 18 जून को एक नाबालिग हिंदू लड़की का वजीर हुसैन नाम के एक शख्स ने अपहरण कर और जबरन धर्मपरिवर्तन करवाकर उससे निकाह भी कर लिया था। वहीं इससे पहले मई में हिन्दू और ईसाई धर्म की 2 नाबालिग लड़कियों (जोकि बोल और सुन नहीं पाती थी) उनका अपहरण कर लिया गया था।
इस घटना के एक महीने पहले अप्रैल में, सिंध प्रांत से दो हिंदू लड़कियों का अपहरण किया गया था। वहीं जनवरी में एक सिख लड़की का अपहरण कर लिया गया था, जिसके बाद ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर हमला भी हुआ था।
उल्लेखनीय है कि भले ही इमरान सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का बड़े-बड़े दावे करती है। मगर, वास्तविकता यही है कि वहाँ पर अल्पसंख्यकों का दमन धड़ल्ले से जारी है। आलम ये है कि अब पाकिस्तान के हालातों से पूरा विश्व वाकिफ हो गया है कि पाकिस्तान वो देश है, जहाँ धार्मिक स्वतंत्रता में किसी को जबरन धर्मांतरण का अधिकार भी निहित है।
पाकिस्तान की मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट बताती है कि सालाना पाकिस्तान में कम से कम 1000 लड़कियाँ इस्लाम कबूलती हैं। इनमें से अधिकांश सिंध में रहने वाली हिंदू समुदाय की होती हैं।
सैकड़ों अपहरण और जबरन धर्मपरिवर्तन के मामले आने के बाद भी पाकिस्तान सरकार का इन मामलों पर कोई एक्शन नहीं है। साल 2016 और 2019 में एक विधेयक लाने की बात जरूर सामने आई थी। जिसमें अपने मन से धर्म-परिवर्तन के लिए किसी भी धर्म के व्यक्ति-विशेष की आयु सीमा 18 साल तक करने की बात थी। साथ ही उसमें यह भी प्रावधान था कि अगर कोई इसके बाद भी दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भेजा जाएगा और पीड़ित को 21 दिन का समय दिया जाएगा कि वह स्वतंत्र होकर अपना फैसला ले।
मगर, साल 2016 में इस बिल को खारिज करते हुए सिंध के गवर्नर सईदुज्जमां सिद्दीकी ने तर्क दिया कि जब हज़रत अली (सुन्नी संप्रदाय में चौथा ख़लीफ़ा और शिया के लिए पहला इमाम) कम उम्र में परिवर्तित हो सकते हैं (9 वर्ष) तो हिंदू लड़कियाँ क्यों नहीं कर सकती हैं?”