बांग्लादेश में एक हिन्दू युवक की मौलानाओं और फौज ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। युवक को इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसका एक मुस्लिम लड़की से प्रेम प्रसंग करता था। यह घटना जिस दिन हुई उसके अगले दिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद युनुस ने कहा कि अल्पसंख्यकों पर हमलों की बातें झूठी हैं और उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना बांगाल्देश के ढाका मंडल के किशोरगंज जिले में हुई। यहाँ करीमगंज उपजिला में रहने वाले रिदॉय रोबी दास की शनिवार (17 नवम्बर, 2024) की हत्या कर दी गई। रिदॉय यही नाई का काम करता था और उसकी खुद की दुकान थी।
उसे शुक्रवार को उसकी दुकान से ही 3 मौलानाओं और बाकी कुछ लोगों ने उठा लिया। रिदॉय का अपहरण करने वालों में स्थानीय प्रशासन के लोग भी शामिल थे। उसके साथ ही उसके एक चचेरे भाई को भी उठाया गया। इसके बाद उन्हें एक अनजान जगह पर ले जाया गया।
यहाँ पर मुस्लिम मौलानाओं ने उसको बुरी तरीके से पीटा और यातनाएँ दी। इसके बाद उसका फोन भी छीन लिया। इसके बाद जब रिदॉय अधमरा हो गया तो उसे पास के फौजी कैम्प में एक ऑटो में भेज दिया गया गया। यहाँ पर फौजियों ने रिदॉय और उसके चचेरे भाई को अलग कर दिया।
रिदॉय से फौजी कैंप में भी पूछताछ हुई। यहाँ से उसे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि जब उसे इलाज के लिए लाया गया था तब उसके शरीर पर पिटाई के निशान थे। अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद शनिवार सुबह उसकी मौत हो गई।
फौजियों ने रिदॉय के घरवालों को फोन करके उसकी मौत की सूचना दी। रिदॉय के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और यहाँ से रिपोर्ट आने के बाद ही उसकी मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। रिदॉय के साथ ले जाए गए शकील रबी दास ने कहा है कि उसे नहीं पता फौजी कैम्प में रिदॉय के साथ क्या हुआ।
स्थानीय मौलानाओं ने आरोप लगाया है कि रिदॉय जिस मुस्लिम लड़की से प्रेम करता था उसको हिन्दू बनाना चाहता था, इसलिए उसको यह सजा दी गई। रिदॉय के घरवालों ने इस घटना के बाद फौजियों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं और दोषियों पर कार्रवाई की माँग की है।
जिस दिन रिदॉय की हत्या हुई उसके अगले ही दिन रविवार (17 नवम्बर, 2024) को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनुस ने देश में अल्पसंख्यकों पर हमले की बात को सिरे से नकार दिया। मोहम्मद युनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की बातों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है।
उन्होंने देश के नाम संबोधन में कहा, “उस समय अल्पसंख्यकों में डर भय फैलाने की कोशिश की गई थी। कुछ मामलों में उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा। हालाँकि, इन घटनाओं के बारे में बहुत ज़्यादा प्रचार बढ़ा-चढ़ाकर किया गया… हिंसा के जो कुछ मामले हुए वे राजनीति से प्रेरित थे, लेकिन बांग्लादेश को एक बार फिर अस्थिर करने के लिए उन्हें मजहबी संघर्ष के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया। हमने इस स्थिति को संभाल लिया है।”
मोहम्मद युनुस ने इस दौरान देश में दुर्गा पूजा का जिक्र भी किया। हालाँकि मोहम्मद युनुस यह बताना भूल गए कि दुर्गा पूजा के दौरान इस्लामी संगठनों ने खुली धमकियाँ दी थी। एक और इस्लामी कट्टरपंथी संगठन ने दुर्गा पूजा आयोजन के लिए 5 लाख टका की रंगदारी माँगी थी।
मोहम्मद युनुस को यह भी नहीं याद रहा कि किस तरह इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने ASI संतोष साहा को मार कर उन्हें चौराहे पर लटका दिया था और उनकी देह से बर्बरता की थी। कई जगह पर हिन्दू मंदिरों पर हमले हुए थे, आग लगाई गई थी। मोहम्मद युनुस यह भी नहीं याद रख पाए कि ईशनिंदा के आरोप में एक हिन्दू युवक को मार मार कर अधमरा कर दिया गया था।