पाकिस्तान के लाहौर स्थित ज़मान पार्क क्षेत्र फ़िलहाल चर्चा में है। इसका कारण है कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का आवास यहीं पर है। उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में सशस्त्र बल के जवान गोलीबारी कर रहे हैं और आँसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं। वहीं उनकी पार्टी PTI के कार्यकर्ता लगातार पुलिस से भिड़े हुए हैं। पुलिस इमरान खान के घर उन्हें गिरफ्तार करने आई है, लेकिन समर्थन उसे अंदर घुसने ही नहीं दे रहे।
वहीं इमरान खान को डर है कि उनका अपहरण कर के उनकी हत्या कराई जा सकती है। जनसंख्या के मामले में लाहौर दुनिया का 26वाँ सबसे बड़ा शहर है और पाकिस्तान में दूसरा। कभी सिख साम्राज्य के रणजीत सिंह की राजधानी लाहौर ही हुआ करती थी। वो अलग बात है कि पाकिस्तान द्वारा पोषित खालिस्तानी इसे अपने खालिस्तान के नक़्शे में शामिल नहीं करते, जबकि पूरे भारत को तबाह करने की बातें करते रहते हैं।
Rangers firing straight into unarmed citizens at Zaman Park as if they are attacking an enemy force on the battlefield. pic.twitter.com/dK8mlLHA4Y
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) March 15, 2023
माजिद शेख ने ‘The Dawn’ में 16 सितंबर, 2018 को प्रकाशित एक लेख में पुराने नक्शों का हवाला देकर बताया था कि आज जिसे ज़मान पार्क कहते हैं, वो क्षेत्र अंग्रेजों के समय में ‘PLH (पंजाब लाइट हॉर्स)’ ग्राउंड हुआ करता था। वहाँ एक फायरिंग रेंज भी था। ये क्षेत्र एचिसन कॉलेज के पीछे और मायो गार्डन्स के दक्षिण में स्थित है। 1857 के आसपास के नक़्शे में यहाँ किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं दिखता। PLH की स्थापना सन् 1867 में हुई थी।
लाहौर में फ़ौज की त्वरित तैनाती के लिए इसकी ज़रूरत अंग्रेजों को महसूस हुई थी। ब्रिटिश काल के समय पंजाब के लाहौर और अमृतसर सहित कई इलाकों में निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल किया गया। 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद इस रेजिमेंट को खत्म कर दिया गया। मायो गार्डन्स के दक्षिण में एक ‘सुंदर दास रोड’ भी है। असल में 1936 में इसका नाम ‘सुंदर दास पार्क’ था। इस कॉलोनी के मध्य में एक वृत्ताकार क्रिकेट ग्राउंड 1936 के नक़्शे में दिखता है।
माजिद खान, जावेद बुर्की और इमरान खान इस मैदान में अपने करियर के शुरुआती दौर में खेल चुके हैं। फिर पता चलता है कि असल में 1942 में यहाँ 6 समृद्ध हिन्दू परिवारों के घर थे, जो आपस में रिश्तेदार भी हुआ करते थे। इनमें से एक सूरी परिवार था, जिसके मुखिया का नाम था राय बहादुर सुंदर दास सूरी। वो पंजाब के स्कूलों के चीफ इंस्पेक्टर थे और बच्चों की शैक्षिक ज़रूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी उनकी ही थी।
लाहौर स्थित गवर्नमेंट कॉलेज के प्रोफेसरों लाला लाजपत राय और रुचिराम साहनी के साथ वो काम कर चुके थे। ‘Aitchison College’ के परिसर को विस्तार देने में भी उनकी बड़ी भूमिका थी। लाहौर में ‘सेन्ट्रल मॉडल स्कूल’ और ‘ल्यालपुर स्कूल एंड कॉलेज’ की स्थापना का श्रेय उन्हें ही जाता है। ये बाद में कृषि विश्वविद्यालय बन गया। विभाजन के समय यहाँ 15 समृद्ध हिन्दू परिवार रहते थे। विभाजन के बाद जनरल बुर्की ने पठानों को यहाँ बसाया।
मुग़ल काल में ये पठान वजीरिस्तान से जालंधर में बस गए थे और विभाजन के बाद फिर पाकिस्तान चले गए। जालंधर पठान परिवार के मुखिया के नाम पर इसका नाम ज़मान पार्क पड़ा। 1935 के नक़्शे से पता चलता है कि जेल रोड-लाहौर कैनाल-फिरोजपुर रोड वाला इलाका सरकारी अस्पतालों, जेलों और सरकारी इमारतों का था। इसमें मेन्टल हॉस्पिटल, महिला जेल और सेन्ट्रल जेल था। बाबा शाह जमाल की एक मजार भी यहाँ दिखती है।
सिख साम्राज्य के समय सिख सरदार शोबा सिंह की फ़ौज यहाँ रहती थी। शोबा सिंह लाहौर के शासक थे, रणजीत सिंह के 1799 में गद्दी सँभालने से पहले। इस परिसर में कई ईंट-भट्टे भी थे। पकिस्तान के लोग आज अपने सिख और हिन्दू इतिहास की सच्चाई से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। ज़मान पार्क के पठान परिवारों में से पाकिस्तान को कई क्रिकेटर, सैन्य अधिकारी और डॉक्टर मिले हैं। खुद ज़मान खान के बेटों हुमायूँ, जावेद और फवाद ने भी क्रिकेट खेला था। पाकिस्तान में इसे सबसे शांत और समृद्ध लोगों का रिहायशी इलाका माना जाता है।