भारत के साथ हाल ही में सामने आए सीमा विवाद को लेकर नक़्शे में परिवर्तन सम्बन्धी नेपाल सरकार द्वारा लाए गए संविधान संशोधन प्रस्ताव को खारिज किए जाने की माँग करने वाली जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि (Sarita Giri) के घर कुछ लोगों ने हमला किया। यहाँ तक की हमलावरों ने उनके घर पर काला झंडा लगाकर उन्हें देश छोड़ने की चेतावनी तक दे डाली। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कहा जा रहा है कि शिकायत के बाद भी पुलिस उनकी मदद के लिए नहीं आई। यहाँ तक कि ऐसे समय में उनकी पार्टी ने भी उनसे किनारा कर लिया है।
मामला क्या है
पिछले हफ्ते नेपाल संसद की प्रतिनिधि सभा में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया गया। नेपाल के केपी शर्मा ओली सरकार की तरफ से जिस दिन विवादित नक्शा संबंधित संविधान संशोधन प्रस्ताव को संसद में पेश किया गया था, उसी दिन नेपाल के राजपत्र में इसे प्रकाशित भी कर दिया गया। इससे पहले इस विवादित नक्शे का विरोध करने के लिए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता पार्टी का विलय कराकर नई पार्टी जनता समाजवादी पार्टी बनाई गई थी। इसी पार्टी से सरिता गिरि सांसद हैं।
लेकिन, अब संभावित विरोध की इस हालात में उनकी पार्टी भी उनके साथ खड़ी नहीं दिख रही है। प्रमुख प्रतिपक्षी दल नेपाली कॉन्ग्रेस तो पहले ही इस प्रस्ताव का समर्थन करने की घोषणा कर चुकी है। लेकिन भारत के पक्ष में रहने वाली नेपाल की मधेशी पार्टी ने भी संसद में इस बिल का विरोध नहीं किया। जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि ऐसी पहली सांसद हैं जिन्होंने इस संविधान संशोधन का विरोध किया है।
सांसद सरिता गिरि का विरोध क्यों?
नेपाल सरकार द्वारा नए नक्शे को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए लाए गए संविधान संशोधन प्रस्ताव पर जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि ने अपना अलग से संशोधन प्रस्ताव लाते हुए उन्होंने इसे इस विवादित संविधान संशोधन को खारिज करने की माँग की थी। वहीं, उनकी पार्टी ने उनको तुरंत अपना यह संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सख्त निर्देश दिया। लेकिन, सरिता गिरी ने साफ-साफ कहा था कि चीन के इशारों पर नेपाल सरकार नक्शे में बदलाव करना चाहती है।
सरिता गिरि ने ये भी दावा किया था कि नेपाल की जनता भी नहीं चाहती है कि नक्शे को लेकर भारत के साथ कोई विवाद हो। उनकी राय थी कि नेपाल का नया नक्शा जारी करने से पहले नेपाल को भारत से बातचीत करनी चाहिए थी।
सरिता गिरि को NYA ने दी धमकी
गौरतलब है कि सरिता गिरि के संविधान संशोधन के इस प्रस्ताव का विरोध करने के कारण, उन पर नेपाल विरोधी रुख का आरोप लगाते हुए नेशनल यूथ एसोसिएशन (NYA) ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। नेशनल यूथ एसोसिएशन (NYA) ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि देश की भावना को ठेस पहुँचाने के लिए उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाया। इतना ही नहीं NYA ने उन्हें तुरंत संसद से बर्खास्त करने की माँग भी कर डाली। यहाँ तक कि इस बिल का विरोध करने के कारण उनकी पार्टी ने भी पहले ही उनसे किनारा कर लिया है। पार्टी ने उनको तुरंत ये संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का आदेश दिया है।
‘विवादित नक़्शे’ को नेपाल ने दी मंज़ूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के उपप्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ईश्वर पोखरैल के बातचीत के प्रस्ताव के कुछ ही घंटों बाद नेपाल की संसद ने देश के नए ‘विवादित’ राजनीतिक नक्शे के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव पारित कर दिया। गौरतलब है कि इस नए नक़्शे के प्रस्ताव को नेपाली संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इस नए विवादित नक़्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल में दिखाया गया है।
भारत ने जताया विरोध
बता दें कि नेपाल ने सबसे पहले 18 मई को नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिमिपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था। नेपाल ने अपने नक़्शे में कुल 335 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया था। इसके बाद 22 मई को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था।
गौरतलब है कि नेपाल सरकार द्वारा लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपने नए राजनीतिक नक़्शे में दिखाने पर भारत सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि देश के किसी क्षेत्र पर इस तरह के दावे को भारत द्वारा नहीं स्वीकार किया जाएगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि नेपाल सरकार ने जो आधिकारिक नक़्शा जारी किया है उसमें भारतीय क्षेत्र को नेपाल में दिखाया गया है, ये एकतरफ़ा हरकत ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है। इसका भारत विरोध करता है।
नेपाल की ओर से अपने नए राजनीतिक नक्शे में भारतीय क्षेत्र दिखाए जाने पर भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, “हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे बनावटी कार्टोग्राफिक प्रकाशित करने से बचें। साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।”