Monday, December 23, 2024
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इजरायल की महिला को प्रताड़ित कर खदेड़ दिया, भारतीय पर्यटकों पर हमला… जानिए कैसे मालदीव इस्लामी कट्टरपंथ का बना गढ़, सुनामी का आतंकी संगठनों ने उठाया फायदा

12वीं शताब्दी में बड़े पैमाने पर इस्लामी धर्मांतरण हुआ। पाकिस्तान और सऊदी अरब से बड़ी संख्या में लोग स्थानीय जनसंख्या की मदद के नाम पर 2004 में राजधानी माले में बसे।

मालदीव के हुलहुमले में में 2 भारतीयों और वहाँ के स्थानीय लोगों के बीच सोमवार (29 अप्रैल, 2024) को वाद-विवाद की खबर आई है। घटना माले से 7 किलोमीटर उत्तर-पूर्व स्थित शहर के सेन्ट्रल पार्क की है। रात के 9 बजे के करीब हुई इस घटना में घायल 2 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थानीय पुलिस ने हमले के आरोप में मालदीव के एक स्थानीय शख्स को गिरफ्तार किया है। घायलों को इलाज के बाद अस्पताल से रिहा कर दिया गया है।

इस घटना के अगले ही दिन इजरायल की एक महिला के साथ मालदीव के स्थानीय लोगों ने बदतमीजी की और उसे पीट खदेड़ दिया। मालदीव मल्टी पार्टी डेमोक्रेडिट सिस्टम के संस्थापक माउद मोहम्मद ज़की ने गर्व जताते हुए इस वीडियो को शेयर किया। उन्होंने इजरायली महिला की ब्लर की हुई तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि इजरायल नरसंहार करता है जबकि वहाँ की एक महिला मालदीव के एक द्वीप में घुसने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने लिखा कि उक्त महिला वहाँ से एयरपोर्ट के लिए निकल गई, क्योंकि उसे पता चल गया कि मानवता उनलोगों का स्वागत नहीं कर सकती।

मालदीव में हमास आतंकियों और फिलिस्तीन का समर्थन

हाल ही में हमास आतंकियों ने इजरायल में घुस कर वहाँ के 1100 लोगों का नरसंहार किया। इसके बाद इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई की। मुस्लिम बहुल मालदीव ने इस मामले में फिलिस्तीन का समर्थन किया। अक्टूबर 2023 में हुए इस हमले में बच्चों और पालतू पशुओं तक को नहीं छोड़ा गया, महिलाओं से रेप हुआ, उनका नग्न परेड निकाला गया। ईरान और अल्जीरिया जैसे देशों ने भी फिलिस्तीन का समर्थन किया। मालदीव ने गाजा पट्टी में हिंसा पर चिंता ज़ाहिर की।

मालदीव ने कहा कि 1967 के पहले की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से द्विराष्ट्रीय व्यवस्था ही इस समस्या का समाधान है, जिसके तहत पूर्वी जेरुसलम को फिलिस्तीन की राजधानी बनाई जाए। इजरायल के पर्यटकों और वहाँ के उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। वहाँ की संसद में प्रस्ताव पारित कर ये नियम बनाया गया। 14 अक्टूबर, 2023 को विल्लिंगिली के सांसद सऊद हुसैन ये प्रस्ताव लेकर आए, जिसे 41 सांसदों का समर्थन मिला।

मालदीव ने आरोप लगाया कि वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में इजरायली सेना अत्याचार कर रही है, साथ ही इसकी निंदा भी की। अधिकतर सांसदों ने इजरायल का पासपोर्ट रखने वालों की मुल्क में एंट्री बैन करने को कहा। इजरायल से आने वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया, सरकार को सलाह दी गई कि वो इजरायल से कूटनीतिक संबंध तोड़ दे। विश्लेषकों का मानना है कि मालदीव इस्लामी कट्टरपंथी गतिविधियों का गढ़ बन गया है, न सिर्फ ISIS बल्कि जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैय्यबा ने भी यहाँ ठिकाना बना रखा है

पत्रकार गौरव सावंत ने कहा कि इजरायल की उक्त महिला को खुद को भाग्यशाली मानना चाहिए, वो वहाँ से जीवित निकलने में कामयाब हो गईं, वरना मालदीव में युवा उच्च-स्तर पर कट्टरपंथी बनाए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो 2004 की सुनामी के बाद से ही मालदीव में कट्टरपंथ तेज़ी से प्रसारित होने लगा। 2022 की जनगणना को एक नज़र देखें तो मालदीव की 5.15 लाख जनसंख्या में 1.32 लाख विदेशी हैं। जिनमें अधिकतर दक्षिण एशियाई और पड़ोसी देशों के ही हैं जो ब्लू कॉलर्ड (फैक्ट्री वगैरह वाली नौकरियाँ) जॉब में काम करते हैं।

सांप्रदायिक इस्लामी विचारधारा में सना मालदीव

मालदीव में 189 द्वीप, 18 प्रवालद्वीप और 4 शहर हैं। सैकड़ों वर्षों तक मालदीव में बौद्ध धर्म का बोलबाला रहा। 12वीं शताब्दी में बड़े पैमाने पर इस्लामी धर्मांतरण हुआ। पाकिस्तान और सऊदी अरब से बड़ी संख्या में लोग स्थानीय जनसंख्या की मदद के नाम पर 2004 में राजधानी माले में बसे। इनमें से अधिकतर सांप्रदायिक व सशस्त्र समूहों का हिस्सा थे, जैसे – खिदमत-ए-खल्क और लश्कर-ए-तैय्यबा चैरिटी विंग। इन्होंने जोर-शोर से सांप्रदायिक इस्लाम का प्रचार-प्रसार शुरू किया।

जब इन समूहों ने मालदीव छोड़ा तब वो बड़ी संख्या में वहाँ के किशोरों और युवाओं को कट्टरपंथ का प्रशिक्षण देने के लिए अपने साथ पाकिस्तान और सऊदी अरब ले गए। इस तथाकथित चैरिटेबल यूनिट को अमेरिका ने भी अप्रैल 2006 में आतंकी संगठन घोषित किया। दिसंबर 2011 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार, राजधानी माले कट्टरपंथ का सबसे ज्यादा शिकार हुआ। इस रिसर्च पेपर को प्रकाशित करने वाले हस्सन आमिर अब मालदीव की नेशनल फोर्स में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं।

उनका मानना है कि 1990 के दशक से ही मालदीव के लोगों में इस्लामी कट्टरपंथ का ज़हर बोया जाने लगा था। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जामिया-अल-सलफ़िया द्वारा पाकिस्तान में चलाए जा रहे शिक्षण संस्थानों में भर्ती होने वाले एक दर्जन से भी अधिक युवाओं को कयूम की सरकार के खिलाफ भड़काया गया। शरिया पर आधारित सरकार की स्थापना के लिए उनमें तख्तापलट के विचार डाले गए। पाकिस्तान में मालदीव के इन युवाओं को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन फिर बाद में वो बिना किसी भय के द्वीपों पर इस्लामी कट्टरंथ का प्रचार-प्रसार करने लगे।

अफगान युद्ध के दौरान पाकिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले कई छात्र इसका हिस्सा बने। 2004 के सुनामी से मालदीव में भारी तबाही आई, आतंकी समूहों ने इसका फायदा उठाया। चैरिटी की आड़ में इन्होंने लोगों को वित्तीय मदद दी, राहत कार्य में हाथ बँटाया। लामू प्रवालद्वीप क्षेत्र में इसका ज्यादा असर दिखा। आपदा पीड़ित युवाओं को पाकिस्तानी शैक्षिक संस्थानों में भर्ती कराया गया, उनका ब्रेनवॉश किया गया। इस तरह मालदीव के युवा पूरी तरह उनके चंगुल में आ गए।

1400 कट्टरपंथी, जो इस्लाम के लिए हत्याएँ करने को तैयार

2007 में हुए सुल्तान पार्क बम ब्लास्ट के आतंकियों में से एक मूसा इनास आपदा के मददगारों में शामिल था, जिसके पीछे कोई रहस्यमयी वित्तीय ताकत थी। इस हमले में 12 अंतरराष्ट्रीय पर्यटक घायल हुए थे। इद्रा खिदमत-ए-खल्क जैसे चैरिटी संस्था बनाए गए। IKK का कनेक्शन अहल-ए-हदीथ से है, उसने भी खुद को मालदीव में स्थापित किया। IKK तब्लीग को समर्पित जमात-उल-दावा से भी जुड़ा हुआ है। ये भारत में कई हमले करने वाले लश्कर-ए-तैय्यबा से भी अधिक खतरनाक है।

मालदीव के इस्लामी मंत्रालय ने दिसंबर 2019 में 3 प्रोफेसरों को निलंबित किया, जो आतंकी विचारधारा का प्रसार कर रहे थे। आरोप लगाया गया कि वो घृणा फैला रहे थे, अमानवीय कृत्यों को बढ़ावा दे रहे थे, और अन्य देशों में गृहयुद्ध के लिए उकसा रहे थे। उसी दौरान ये खुलासा हुआ कि मालदीव में 1400 कट्टरपंथी इस्लाम के लिए खून बहाने को तैयार हैं। सीरिया और इराक में ISIS के लिए लड़ने वालों में सबसे ज्यादा मालदीव के ही लोग थे। 2013-18 तक ये स्थिति और भयवाह रही।

याद दिलाते चलें कि कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप के पर्यटन को वहाँ जाकर प्रमोट किया, जिसके बाद मालदीव के 3 मंत्रियों ने उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। विरोध के बाद उन तीनों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। फिर मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु ने भारत की सेना की एक टुकड़ी को वहाँ से जाने का आदेश दे दिया। भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बॉयकॉट भी किया। हाल ही में भगवान की प्रतिमा रखने के आरोप में 3 भारतीयों को वहाँ गिरफ्तार कर लिया गया था।

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Siddhi Somani
Siddhi Somani
Siddhi is known for her satirical and factual hand in Social and Political writing. After completing her PG-Masters in Journalism, she did a PG course in Politics. The author meanwhile is also exploring her hand in analytics and statistics. (Twitter- @sidis28)

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