हॉन्ग कॉन्ग में चीन द्वारा थोपे जा रहे क़ानून के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क़रीब 10 लाख लोग काले कपड़ों में सड़कों पर उतरे। बीजिंग द्वारा प्रदेश पर थोपे जा रहे क़ानून के ख़िलाफ़ लोगों ने सड़कें जाम की। लोग उस क़ानून के विरोध में क्रोधित हैं, जिसमें कहा गया है कि किसी भी आरोपित को पहले मेनलैंड चीन ले जाया जाएगा और वहाँ पर उसके ख़िलाफ़ मामला चलाया जाएगा। चीन ने 1997 में इस पूरे क्षेत्र को नियंत्रण में लिया था, उसके बाद से लेकर आज तक विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र के लिए यह सबसे कठिन समय है। जनता और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें भी हुईं।
यह सब एक सप्ताह से चल रहा है। लोगों ने अपने बैनरों में प्रशासक कैरी लैम के इस्तीफे की माँग की। जनता कैरी से नाराज़ है और इस क़ानून को हॉन्ग कॉन्ग की स्वतन्त्रता और संप्रभुता पर हमले के रूप में देख रही है। जनता को आशंका है कि इस क़ानून के लागू हो जाने के बाद किसी भी आरोपित को चीन भेज कर उसके बाद बुरा बर्ताव किया जाएगा। ऐसे आरोपितों को प्रताड़ित कर के उसपर राजनीतिक षड़यंत्र के तहत सजा देने की कोशिश की जा सकती है। जनता का कहना है कि कैरी लैम इस्तीफा दें, पुलिस अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ हिंसक रुख अख्तियार करने के लिए माफ़ी माँगे और यह प्रत्यर्पण क़ानून वापस लिया जाए।
According to organizers, 1m Hong Kongers marched against the mainland China extradition bill.
— ian bremmer (@ianbremmer) June 10, 2019
If the figure is accurate, it would be Hong Kong’s largest demonstration since it was handed over to China in 1997pic.twitter.com/q7iMkQ3kNp
बीजिंग ने हॉन्ग कॉन्ग के मामले में ‘एक देश, दो सिस्टम’ वाली नीति अपनाने की बात हमेशा से की है लेकिन हॉन्ग कॉन्ग की जनता मानती है कि अब प्रदेश के सामाजिक, न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था पर शी जिनपिंग द्वारा धीरे-धीरे प्रहार किया जा रहा है। हालाँकि, कैरी ने इस क़ानून पर तत्काल के लिए रोक लगाने की बात कही है लेकिन फिर भी जनता ने सरकारी इमारतों का घेराव किया। चीन के विदेश मंत्रालय ने सफ़ाई देते हुए कहा, “हॉन्ग कॉन्ग के निवासियों के अधिकार और स्वतन्त्रता क़ानून के अनुसार पूरी तरह सुरक्षित है। हॉन्ग कॉन्ग की समृद्धि और स्थिरता को बनाए रखना ना केवल चीन के हित में बल्कि दुनिया के सभी देशों के हित में हैं।“
In Hong Kong, aerial footage shows thousands of protesters gathering to march in opposition to a controversial extradition bill. Many are dressed in black and wearing white ribbons on their chests: https://t.co/zbrvayAaKo pic.twitter.com/VytfOV7RdE
— CNN International (@cnni) June 16, 2019
मानवाधिकार के मामले में चीन के रवैये को देखते हुए हॉन्ग कॉन्ग के लोगों का डर जायज है। हॉन्ग कॉन्ग पहले ब्रिटिश शासन के आधीन था। हॉन्ग कॉन्ग को विशेष दर्जे के तहत कई अधिकार 50 वर्षों के लिए दिए गए थे, जो 2047 में ख़त्म होने वाला है। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट सरकार इसे पहले ही ख़त्म करना चाहती है। प्रशासक कैरी लैम को भी चीन समर्थक माना जाता है।