अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत में खाद्य सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार की सराहना की है। IMF ने कहा है कि, केंद्र सरकार ने कोरोना काल में गरीबों के लिए जैसा काम किया है, वह तारीफ के काबिल है। IMF के अनुसार, भारत ने फूड सिक्योरिटी स्कीम, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से देश को अत्यधिक गरीबी की जद में जाने से बचाया है।
दुनियाभर में कोरोना महामारी का सबसे बड़ा असर विकासशील देशों और गरीब देशों पर पड़ा। तमाम देशों में गरीबी ने निचले स्तर के आम नागरिकों की कमर को तोड़कर रख दिया। लेकिन भारत में प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से गरीबों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना की शुरुआत 26 मार्च 2020 को की गई थी, जिसके तहत गरीबों को 5 किलो गेहूँ और 5 किलो चावल प्रति माह दिया जाने लगा। प्रधानमंत्री की इस योजना की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF ने सराहना की है।
IMF की रिपोर्ट के अनुसार, इन अनुमानों में पहली बार गरीबी और असमानता पर फूड सब्सिडी का प्रभाव शामिल है। महामारी से पहले यानी साल 2019 में अत्यधिक गरीबी 0.8 फीसदी थी और प्रधानमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना यह सुनिश्चित करने में सहायक थी कि यह महामारी के दौरान, साल 2020 में भी इसी स्तर पर बना रहे। खाद्य सुरक्षा के बाद असमानता का स्तर अब 0.294 है, जो साल 1993-94 के सबसे निचले स्तर 0.284 के बेहद करीब है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, IMF ने महामारी, गरीबी और असमानता को लेकर एक शोध पत्र जारी किया है जिसमे यह बात सामने आई है कि भारत में 2019 तक अत्यंत गरीबी का स्तर 1 फीसदी से कम था जिसे महामारी के काल में भी बरकरार रखा गया। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना ने अत्यंत गरीबी को रोकने में अहम भूमिका निभाई है, साथ ही कोरोना से आए आर्थिक दबाव और गरीबों को बड़ा झटका देने से रोकने में मदद की है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को सितंबर 2022 तक के लिए बढ़ा दिया था। इस योजना में नियमित मासिक NFSA खाद्यान्न के अलावा प्रति व्यक्ति को हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।