पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में 30 दिसंबर 2020 को कट्टरपंथी इस्लामी भीड़ द्वारा हिन्दू मंदिर तहस-नहस किए गए जाने वाली घटना पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत ने इस घटना के प्रति कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान को नाराज़गी जाहिर की है।
India has lodged a formal protest with Pakistan via diplomatic channels against vandalisation of a Hindu temple there: Sources
— ANI (@ANI) January 1, 2021
भारत सरकार के अधिकारी के अनुसार, “पाकिस्तान में इस घटना पर आधिकारिक रूप से संज्ञान लिया जा चुका है और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज की गई है।”
पाकिस्तान में कट्टर इस्लामी भीड़ ने किया था मंदिर को ध्वस्त
इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर आए थे। जिसमें देखा जा सकता था कि उग्र इस्लामी भीड़ ने हथौड़े की मदद से हाल ही में निर्मित कृष्ण मंदिर की दीवार तोड़ दी थी। कट्टरपंथियों की भीड़ की अगुवाई स्थानीय मौलाना और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फज़ल रहमान ग्रुप) के समर्थकों ने की थी। यही भीड़ मौके पर अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते हुए पहले मंदिर को आग के हवाले करती है और फिर उसे हथियारों से तहस-नहस कर देती है। सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो में यह भी देखा जा सकता है कि कट्टरपंथियों की भीड़ घंटों तक इस भयावह घटना को अंजाम देती है।
जिस दौरान यह घटना हुई उस वक्त जिला प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर ही मौजूद थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ इस मंदिर का निर्माण जुलाई 1919 में कराया गया था जब गुरु श्री परमहंस दयाल उस जगह पर विश्राम के लिए ठहरे थे। क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिम लोगों ने 1947 में विभाजन के बाद मंदिर बंद कर दिया था। 2015 में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आदेश जारी होने के बाद इस मंदिर का नवीनीकरण शुरू किया गया था।
अधिवक्ता और हिन्दू एक्टिविस्ट रोहित कुमार ने कहा स्थानीय लोगों ने मंदिर में तोड़ फोड़ करके समझौते का उल्लंघन किया है। 22 दिसंबर को हिन्दू और मुस्लिमों ने एक समझौते पर सहमति जताई थी कि मंदिर का नवीनीकरण एक तय क्षेत्र से बाहर नहीं जाएगा। जिसके बाद स्थानीय मुस्लिमों ने आरोप लगाया कि हिन्दू समुदाय के लोगों ने ग़ैरक़ानूनी रूप से मंदिर की इमारत का आकार बढ़ा दिया। इस मामले की शिकायत पुलिस से भी की गई थी।
मुस्लिमों का कहना था जब पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने क़ानून अपने हाथों में लेकर मंदिर ध्वस्त कर दिया।
पाकिस्तानी हिन्दुओं ने किया हिन्दू मंदिर पर हमले का विरोध
पाकिस्तान में मौजूद अल्पसंख्यक समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करते हुए अंजाम दी गई इस घटना की पाकिस्तान सहित दुनिया भर के तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने निंदा की थी। इस घटना के एक दिन बाद पाकिस्तानी हिन्दुओं ने कराची में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के मुखिया और नेशनल असेंबली के सदस्य रमेश कुमार वंकवानी ने भी इस घटना पर पक्ष रखा था। उन्होंने कहा था, “इस तरह की घटना कभी नहीं हुई होती अगर प्रशासन ने 1997 के दौरान ऐसी ही कोशिश करने वाले कट्टरपंथियों को उचित दंड दिया होता।
हिन्दू मंदिर में तोड़-फोड़ और आगजनी की इस घटना के बाद अभी तक लगभग 30 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें ज़्यादातर कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (नेता, रहमत सलमान) से जुड़े हुए हैं। प्रांत की पुलिस के मुखिया सनाउल्लाह अब्बासी ने बताया कि इस मामले में दर्ज की गई एफ़आईआर में कुल 350 लोगों का नाम शामिल है।