मालदीव के भारत विरोधी रवैये का नुकसान उसकी टूरिज्म इंडस्ट्री को उठाना पड़ा है। भारत विरोधी स्टैंड लेने के कारण मालदीव जाने वाले भारतीय टूरिस्टों की संख्या में 41% तक की कमी दर्ज की गई है। वहीं लक्षद्वीप में जाने वाले भारतीयों की संख्या इस बीच दोगुनी हो गई है। पीएम मोदी का लक्षद्वीप के प्रचार करने का असर भी पड़ा है।
मालदीव के पर्यटन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 में अप्रैल से जुलाई के बीच मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या बीते वर्ष के इसी समय के मुकाबले लगभग आधी हो गई है। मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, 2023 में जनवरी से जुलाई के बीच में भारत से 1.22 लाख पर्यटक मालदीव पहुँचे थे।
वर्ष 2024 के जनवरी से जुलाई के बीच यह संख्या घट कर 71,600 पर आ गई है। पर्यटकों की संख्या में यह 41.6% की कमी है। भारत 2023 में जनवरी-जुलाई के बीच मालदीव में पर्यटकों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत था। वर्तमान में भारत इसमें छठे स्थान पर पहुँच गया है।
मालदीव भारतीय पर्यटकों की घटती संख्या से होने वाले नुकसान को चीन के जरिए पूरा करने की कोशिश कर रहा है। चीन से मालदीव पहुँचने वाले पर्यटकों की संख्या में 2024 में 59% की बढ़ोतरी हुई है। चीन से 2023 (जनवरी-जुलाई) में लगभग 92,391 पर्यटक पहुँचे थे। यह संख्या 2024 (जनवरी-जुलाई) के बीच बढ़ कर 1.59 लाख हो चुकी है।
रूस को पछाड़ कर मालदीव में पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत अब चीन बन गया है। चीन के बाद अब रूस इस मामले में दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। भारत अब शीर्ष 5 में भी नहीं है। यह भारतीयों के मालदीव के बहिष्कार करने का असर है। इस कारण मालदीव की टूरिज्म इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होने की संभावना है।
जहाँ मालदीव को भारतीय पर्यटक अब त्याग रहे हैं वहीं भारत के अपने नैसर्गिक स्थान लक्षद्वीप में पर्यटकों की आमद में बढ़ोतरी हो रही है। आँकड़ों के अनुसार, लक्षद्वीप के अगात्ती एयरपोर्ट पर जाने वाली फ्लाइट्स की संख्या बीते वर्ष के मुकाबले लगभग दोगुनी हो गई है।
अगात्ती एयरपोर्ट पर बीते वर्ष अप्रैल से जून के बीच 418 फ्लाइट्स पहुँची थी। यह संख्या 2024 के अप्रैल से जून के बीच बढ़ कर 786 हो गई। अप्रैल और जून के बीच लक्षद्वीप पहुँचने वाले पर्यटकों की संख्या 22,890 रही है। यह संख्या बीते वर्ष की इसी अवधि के दौरान 11,074 थी। यानी इसमें दोगुना उछाल देखा गया है।
मालदीव से भारतीय पर्यटकों के मोहभंग के पीछे सबसे बड़ा कारण वहाँ के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत विरोधी रवैया है। मोहम्मद मुइज्जू 2023 में देश के राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्होंने लगातार भारत विरोधी अभियान चुनाव में चलाए थे। जीतने के बाद भी उन्होंने राहत बचाव में लगे भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर जाने को कहा था।
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप का प्रचार करने के बाद मालदीव के मंत्रियों द्वारा की गई गाली गलौच का भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मालदीव के मंत्रियों के अभद्र बयानों के कारण भारत में बायकाट अभियान चलाया गया था। इसका सीधा असर अब दिख रहा है।