ईरान का इस्लामी कानून एक बार फिर विवादों में है। मरियम करीमी नाम की एक महिला को उसकी ही 19 साल की बेटी से फाँसी दिलवाई गई है। मरियम ने प्रताड़नाओं से तंग आकर शौहर का कत्ल कर दिया था। इसके बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई थी।
रिपोर्टों के अनुसार फाँसी देने के लिए मरियम को बुर्के में लाया गया। गले में फंदा डाल एक कुर्सी के सहारे खड़ा किया गया। फिर उसकी बेटी से कुर्सी को लात मरवाई गई ताकि फंदे से झूलकर उसकी मौत हो जाए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 2009 में मरियम ने अपने शौहर की हत्या कर दी थी। निकाह के बाद से ही वह मरियम को प्रताड़ित करता था। उसे मारता-पीटता था। भूखा रखता था। शौहर के जुल्म के बारे में मरियम ने अपने अब्बा इब्राहिम को बताया। इब्राहिम ने दामाद को समझाने की काफी कोशिश की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यहाँ तक कि वह मरियम को तलाक देने को तैयार नहीं था।
आखिर में मरियम ने अपने अब्बू के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद मरियम करीमी और उसके अब्बा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शरिया अदालत ने दोनों को फाँसी की सजा सुनाई। फाँसी पर लटकाने से पहले ही इब्राहिम की मौत हो गई। हत्या के वक्त मरियम की बेटी 6 साल की थी। उसे दादा-दादी के घर भेज दिया गया। दादा-दादी उसे बताते रहे कि वह अनाथ है। उसके अम्मी-अब्बू की मौत हो चुकी है। मरियम को फाँसी पर लटकाने से कुछ हफ्ते पहले ही उसकी बेटी को इस घटना के बारे में बताया गया।
‘द सन’ के मुताबिक, मरियम को फाँसी इस साल 13 मार्च में दी गई थी। लेकिन यह बात अब दुनिया के सामने आई है। बताया जा रहा है कि बेटी ने मरियम को माफ करने से इनकार कर दिया था। यह भी कहा जा रहा है कि अपनी ही अम्मी को फाँसी देने का दबाव उस पर प्रशासन ने डाला था।
गौरतलब है कि ईरान में आँख के बदले आँख जैसा कानून है। इस बर्बर कानून को किसास (Qisas Law) कहते हैं। इसके अलावा यहाँ ‘ब्लड मनी’ का भी कानून है। ब्लड मनी के तहत मृतक के रिश्तेदारों से दोषी को दी जाने वाली सजा के बारे में पूछा जाता है। इसमें रिश्तेदार दोषी को फाँसी की सजा दे सकते हैं। इसके अलावा वो मौत के बदले में पैसा भी ले सकते हैं और उनके पास माफी देने का विकल्प भी होता है।