एक ओर इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य मुस्लिम देशों के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने में लगा हुआ है, जिससे मध्य-पूर्व एशिया में शांति स्थापित की जा सके लेकिन संभवतः ईरान इजरायल के इस प्रयास का समर्थक नहीं दिख रहा है। ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खामनेई ने इजरायल के खिलाफ मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की है और कहा है कि इजरायल से लड़ना हर मुस्लिम देश का एक साझा कर्त्तव्य है।
अयातुल्लाह खामनेई रमजान के आखिरी शुक्रवार को ईरान में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय कुद्स दिवस पर सम्बोधन दे रहे थे। कुद्स, येरुशलम के लिए उपयोग किया जाने वाला अरबी शब्द है। इस मौके पर खामनेई ने कहा कि इजरायल एक देश नहीं अपितु फिलिस्तीन और अन्य मुस्लिम देशों के खिलाफ एक आतंकी ठिकाना है। खामनेई ने कहा कि इजरायल के खिलाफ सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इजरायल के खिलाफ लड़ना सभी का कर्त्तव्य है।
इजरायल का विरोध ईरान की इस्लामिक विचारधारा का प्रमुख भाग है क्योंकि ईरान ने न तो अभी तक इजरायल को मान्यता दी है और न ही इजरायल के साथ शांति में उसकी कोई दिलचस्पी है। इजरायल के विरोध में ईरान, फिलिस्तीन और लेबनीज के इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों का भी समर्थन करता है।
हालाँकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इस वर्ष ईरान में कुद्स दिवस अधिकारिक तौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया गया किन्तु ईरान के सरकारी मीडिया ने राजधानी तेहरान की सड़कों पर मोटरसाइकिल और अन्य वाहनों पर निकलने वाली रैलियों की फुटेज दिखाई जिनमें फिलिस्तीन और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन हेजबुल्लाह के झंडे लगे हुए थे। प्रतिबंधों के बाद भी ईरान की राजधानी तेहरान में सड़कों पर लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने इजरायल तथा अमेरिका के झंडे जलाए और दोनों देशों के मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।
हाल के कुछ समय से इजरायल और मध्य-पूर्व एशिया के कई मुस्लिम देशों के मध्य संबंधों में सुधार हो रहा है लेकिन फिर भी कई इस्लामिक देश अभी भी इजरायल को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, जिनमें पाकिस्तान और ईरान जैसे कुछ देश शामिल हैं।