Sunday, November 17, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयक्या 1 करोड़ लोगों को एयरलिफ्ट करने का आ गया वक्त: मिसाइल हमलों, प्लेन...

क्या 1 करोड़ लोगों को एयरलिफ्ट करने का आ गया वक्त: मिसाइल हमलों, प्लेन क्रैश से बढ़ी आशंका

तनाव बढ़ने से तेल का संकट गहरा सकता है। इसका असर भारत पर पड़ना लाजिमी है। खाड़ी देशों में भारत के 1 करोड़ के क़रीब कामगार मौजूद हैं। वे भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।

ईरान के सर्वोच्च कमांडर क़ासिम सुलेमानी को बग़दाद के एयरपोर्ट पर अमेरिका ने मार गिराया। इसके बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया। बदला लेने की बात करते हुए ईरान ने अमेरिका की पूरी सेना को ही ‘आतंकवादी समूह’ घोषित कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि अगर ईरान ने एक भी मिसाइल दागी तो अमेरिका उसकी ऐतिहासिक इमारतों को निशाना बनाएगा। अब पता चला है कि बगदाद के पश्चिमी क्षेत्र में ईरान ने अमेरिकी एयर बेस पर दर्जन भर मिसाइलें दागी है। दुनिया भर में तेल के दाम बढ़ गए हैं और भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है।

सबसे पहले ताजा घटना के बारे में जानते हैं। ईरान ने अमेरिकी एयर बेस पर बैलिस्टिक मिसाइल फायर किया। हालाँकि, इसमें किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि सब ठीक है और यूएस इस बात के आकलन में लगा है कि नुकसान कितना हुआ है? ईरान के सबसे बड़े नेता आयतुल्लाह खामनेई ने कहा कि ये हमले अमेरिका को तमाचा है। मिसाइल हमले के ठीक बाद तेहरान से यूक्रेन जा रहा यात्री विमान उड़ान भरने के बाद दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। इसमें 176 लोगों की मौत हो गई।

ईरान ने 1979 में तेहरान स्थित अमेरिकी दूतावास को सीज़ कर लिया था। इसके बाद से यह पहला मौक़ा है, जब ईरान ने हमला किया हो। ईरान के ‘रिवोल्यूशनरी गार्ड्स’ ने स्पष्ट कर दिया है कि ये हमले सुलेमानी की मौत के बदले के लिए किया गया है। ईरान ने उन सभी देशों को भी चेतावनी दी है, जिन्होंने अमेरिकी सेना को अपना एयरबेस इस्तेमाल करने की अनुमति दी हुई है। ईरान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद बाकेरी ने कहा कि ये हमले ईरान की क्षमता का एक नमूना भर है। वहीं ईरान के विदेश मंत्री जावेद जारिफ ने दावा किया कि हमले बदले की भावना से नहीं, बल्कि आत्मरक्षा में किए गए। इससे पता चलता है कि ईरान बदला तो ले रहा है, लेकिन वो दुनिया की नज़र में दोषी नहीं दिखना चाहता।

जहाँ तक ईरान-अमेरिका के रिश्तों की बात है तो 1979 तक सब ठीक था। ईरान में शाह का राज था, जिन्हें अमेरिका का समर्थन प्राप्त था। तख्तापलट के बाद ईरान एक इस्लामी गणतंत्र बना और दर्जनों अमेरिकी नागरिकों को बंधक बनाया गया। तब से रिश्ते तनावपूर्ण हैं। 2015 में लगा था कि सब ठीक हो रहा है, क्योंकि ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों पर लगाम लगाने का वादा किया था। उस पर से कई आर्थिक प्रतिबन्ध हटा लिए गए थे, जिसके बाद उसने वादा निभाया भी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस करार को ग़लत ठहराया और तनाव बढ़ने फिर शुरू हो गए।

2018 में ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए गए, जिसके बाद उसकी अर्थव्यवस्था की स्थिति ख़राब हो गई। 2019 के दिसंबर में इराक़ में एक अमेरिकी कांट्रेक्टर की मौत का इल्जाम ईरान पर लगा। अमेरिका ने बदले की कार्रवाई की, जिसमें 25 ईरानी लड़ाका मारे गए। इसके बाद इराक़ की राजधानी बग़दाद में यूएस एम्बेसी पर हमला किया गया। इस हमले में सुलेमानी का हाथ सामने आने के बाद अमेरिका ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उसे मार गिराया। सुलेमानी मिडिल ईस्ट का एक ताक़तवर चेहरा था, जो ईरान के लिए लड़ाकू युद्धों का नेटवर्क बना रहा था और उसका प्रबंधन करता था।

अब सवाल ये उठता है कि इसका भारत पर क्या पड़ेगा? भारत में ईरानी दूतावास ने कहा था कि अमेरिका-ईरान के संबंधों में आए तनाव में अगर भारत मध्यस्थता करता है तो ईरान उसका स्वागत करेगा। तेल के दाम बढ़ने पर भारत में इसका असर पड़ना लाजिमी है। भारत, ईरान के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर हाल ही में तेहरान गए थे। खाड़ी देशों में भारत के 1 करोड़ के क़रीब कामगार मौजूद हैं, जिन पर इसका असर पड़ सकता है। भारत ने वहाँ की यात्रा करने वालों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।

1990-1991 में खाड़ी संकट के वक्त हजारों की संख्या में फँसे नागरिकों को को कुवैत और दूसरी जगहों से निकालने में भारत के पसीने छूट गए थे। अगर फिर से ऐसी स्थिति बनती है तो ये और भी परेशानी की बात हो सकती है। भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट में अरबों रुपए का निवेश किया है और अफ़ग़ानिस्तान तक सड़क निर्माण भी करवाया है। भारत को ये भी देखना है कि अमेरिका से उसके रिश्ते ख़राब न हों।

गौरतलब है कि 1990 में जब इराक़ ने कुवैत पर हमला किया था, तब वहाँ से 1 लाख 70 हज़ारो भारतीयों को निकाला गया था। भारत सरकार और कुवैत में भारतीय उद्योगपति जॉन मैथ्यू ने एयरलिफ्ट को अंजाम देने में बड़ी भूमिका निभाई थी। सोचिए, आज तो खाड़ी देशों में हमारे 1 करोड़ लोग हैं। लगभग ढाई महीने चली उस प्रक्रिया में एयर इंडिया की 488 फ्लाइट्स ने उड़ान भरी थी। सोचिए, अभी अगर ऐसी हालत आती है तो कितना समय लगेगा और कितनी उड़ानों की व्यवस्था करनी पड़ेगी।

ईरानी कमांडर के जनाजे में इकट्ठा हुए 10 लाख लोग: भगदड़ में 48 से ज्यादा घायल, 35 की मौत

बगदाद में US दूतावास पर फिर बरसे रॉकेट, तनाव के बीच भारत ने की अमेरिका और ईरान से बात

दिल्ली की सुनहरी मस्जिद पर लहरा रहा था लाल झंडा और मचा था कत्लेआम, अब उसी से ललकार रहा ईरान

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -