आतंकी समूह ISIS ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले का दोष भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के मत्थे मढ़ने का प्रयास किया है। इस्लामिक स्टेट के मुताबिक गुरुद्वारे पर हमला नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान के विरोध में किया गया है। 18 जून 2022 (शनिवार) को हुए इस आतंकी हमले में 2 लोगों की मौत और 7 लोगों के घायल होने की सूचना है।
According to ISIS, the suicide bombing at the Sikh temple “was in response to an attack on the shrine of the Prophet Mohammed… by an official in the Hindu government, which took place just a few days ago while overseen by the Taliban.”
— Evan Kohlmann (@IntelTweet) June 19, 2022
‘ट्रिब्यून’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय ISIS आतंकियों से जुड़े टेलीग्राम चैनल पर यह दावा किया गया है। दावे के मुताबिक, तालिबान शासित देश में यह हमला नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान का बदला था। लेकिन यह सिखों के धर्मस्थलों पर पहला हमला नहीं है। इस से पहले मार्च 2020 में भी अफगानिस्तान के शोर बाजार इलाके में आतंकियों ने एक गुरुद्वारे को निशाना बनाया था। इस हमले में 29 लोगों की मौत हो गई थी।
उस हमले की भी जिम्मेदारी ISIS ने ही ली थी। इस आतंकी हमले में हमलावर का नामा खालिद अल हिंदी था जो मूल रूप से भारत का ही रहने वाला बताया गया था। तब उसने हमले को कश्मीर में मुस्लिमों के साथ हो रहे अन्याय का बदला बताया था।
अक्टूबर 2021 में तालिबानियों ने एक गुरुद्वारे में जबरन घुस कर वहाँ मौजूद श्रद्धालुओं को धमकाया था। ये वही काबुल का कर्ते परवान गुरुद्वारा था जहाँ अब ISIS का हमला हुआ है। तब दुनिया भर के सिख समुदाय ने भारत ने इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने की माँग की थी। तब तो नूपुर शर्मा द्वारा कोई भड़काऊ बात नहीं कही गई थी।
15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने हाथों में ले ली थी। तब से वहाँ डर और भय का माहौल है। अक्टूबर 2021 में अफगानिस्तान के सिखों को 2 विकल्प मिले थे। या तो वो देश छोड़ कर चले जाएँ वरना इस्लाम कबूल कर लें। हालाँकि तालिबान के आने से पहले ही अफगानिस्तान में सिखों के हालात दयनीय थे। वहाँ की कोई भी सरकार उन्हें सुरक्षा नहीं दिला पाई। साल 1990 में अधिकतर सिखों के घरों को जबरन कब्ज़ा कर लिया गया। तालिबान के वापस आने के बाद अधिकांश सिख अफगानिस्तान से पलायन कर के भारत आ गए हैं।