Sunday, November 17, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीय'पोनीटेल में लड़कियों को देख लड़के हो जाते हैं उत्तेजित': जापान में स्कूली लड़कियों...

‘पोनीटेल में लड़कियों को देख लड़के हो जाते हैं उत्तेजित’: जापान में स्कूली लड़कियों के अंडरवियर से लेकर बाल का रंग तक निर्धारित

बुराकू कोसोकू 1870 में तब लागू किया गया था, जब जापानी सरकार ने शिक्षा का अपना पहला व्यवस्थित नियमन लागू किया था। 1970 और 80 के दशक में स्कूलों में छेड़छाड़ और हिंसा को कम करने के प्रयास के तहत इसे सख्ती से लागू किया गया। यह प्रथा आज भी जारी है।

जापान (Japan) में अजीबोगरीब अजीबो गरीब प्रतिबंध लागू हैं। वहाँ के कुछ स्कूलों में लड़कियों को सिंगल चोटी या पोनीटेल बनाकर स्कूल जाने पर पाबंदी है। लड़कियों को अपने बाल रंगने की भी इजाजत नहीं है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि इससे लड़के उत्तेजित नहीं होंगे।

इस नियम को लेकर साल 2020 में एक सर्वे किया गया। इस सर्वे में फुकुओका इलाके के कई स्कूलों शामिल किया गया था। इसमें यह बात निकलकर आई कि पोनीटेल रखने के कारण लड़कियों की गर्दन दिखती है और इसे देखकर लड़के उत्तेजना महसूस करते हैं। यही कारण है कि स्कूलों ने लड़कियों के पोनीटेल रखने पर पाबंदी लगा दी है।

यही नहीं जापान में लड़कियों की चड्ढी का रंग निर्धारित किया गया है। वहाँ के कुछ स्कूलों में सिर्फ लड़कियों को ही चड्ढी पहनने की इजाजत है और वो सिर्फ सफेद रंग की। लड़के चड्ढी नहीं पहन सकते। इसके साथ ही लड़कियाँ अपने बालों को रंग नहीं सकती। अगर किसी के बाल का रंग काला से अलग है तो उसे साबित करना होगा कि वह उसका प्राकृतिक रंग है। वहाँ स्कर्ट और मोजे की लंबाई से लेकर भौंहे के आकार तक लेकर कई तरह के नियम बनाए गए हैं।

वहाँ के एक मिडिल स्कूल के पूर्व शिक्षक मोतोकी सुगियामा ने वाइस को बताया कि स्कूलों के प्रबंधन ने उनसे कहा कि लड़कियों को पोनीटेल नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि इससे उनकी गर्दन के पिछले हिस्से दिखते हैं और लड़के यौन रूप से उत्तेजित महसूस करे हैं।

सर्वे में यह बात सामने आई कि फुकुओमा के 10 में से एक स्कूल में यह नियम लागू है। सुगियामा का कहना है कि वह पिछले 11 सालों में वह 90 मील के दायरे में पाँच अलग-अलग स्कूलों में पढ़ा चुके हैं और हर जगह पोनीटेल पर पाबंदी है।

बुराकू कोसोकू नाम से पहचाने जाने वाले इस कानून को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस होने के बाद वहाँ के सरकार ने शिक्षा बोर्ड को इस कानून को बदलने के लिए कहा था। कुछ संस्थानों ने इसे बदल दिया, लेकिन कुछ स्कूलों में यह पाबंदी आज भी जारी है।

बुराकू कोसोकू 1870 में तब लागू किया गया था, जब जापानी सरकार ने शिक्षा का अपना पहला व्यवस्थित नियमन लागू किया था। 1970 और 80 के दशक में स्कूलों में छेड़छाड़ और हिंसा को कम करने के प्रयास के तहत इसे सख्ती से लागू किया गया। यह प्रथा आज भी जारी है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र में उलझा है झारखंड, सरना कोड से नहीं बचेगी जनजातीय समाज की ‘रोटी-बेटी-माटी’

झारखंड का चुनाव 'रोटी-बेटी-माटी' केंद्रित है। क्या इससे जनजातीय समाज को घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के दोहरे कुचक्र से निकलने में मिलेगी मदद?

दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत का AAP से इस्तीफा: कहा- ‘शीशमहल’ से पार्टी की छवि हुई खराब, जनता का काम करने की जगह...

दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने अरविंद केजरीवाल एवं AAP पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -