अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बायडेन का भारत के प्रति रुख एकदम अच्छा रहने वाला है और वो दोनों देशों के रिश्तों को आगे ले जाने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने 2006 में ही बयान दिया था कि 2020 में भारत और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका दो सबसे करीबी देश होंगे। इसके बाद भारत-अमेरिका के बीच परमाणु करार हुआ, जिसमें जो बायडेन ने अहम भूमिका निभाई थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी वो भारत की दावेदारी का समर्थन करेंगे।
जो बायडेन ‘कैम्पेन’ के नीति पत्र (पॉलिसी पेपर) का कहना है कि उनकी सरकार भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनवाने में मदद करेगी, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग जारी रखेगी और इसी तरह के अन्य फैसलों के साथ भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देगी। इस नीति-पत्र की मानें तो जो बायडेन अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का समर्थन करेंगे।
आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और व्यापार जैसे कई अहम मुद्दों पर जारी एक नीति पत्र में ‘जो बायडेन कैम्पेन टीम’ ने भारत के साथ रिश्तों पर भी गर्मजोशी से काम करने की बात कही थी। अब 2006 में दिए गए उनके बयान के हिसाब से इस साल तो नहीं, लेकिन जनवरी 20, 2021 से शुरू होने वाले उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान वो अपने इस स्वप्न को साकार करने पर निश्चित रूप से काम शुरू कर सकते हैं।
The #Biden administration will place high priority on strengthening the Indo-US relationship by pushing #India to became a permanent member of the UN Security Council, according to a policy paper released by the Biden campaignhttps://t.co/4Kkm11jfPZ
— The Hindu (@the_hindu) November 8, 2020
जलवायु परिवर्तन और द्विपक्षीय व्यापार में कई गुना वृद्धि की दिशा में काम करने जैसे कई मुद्दों पर उन्होंने भारत का साथ देने की बात कही थी। नीति पत्र में कहा गया है कि बायडेन ने सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में और बराक ओबामा प्रशासन में उप राष्ट्रपति के रूप में सामारिक सहयोग को प्रगाढ़ करने में, लोगों के बीच संबंधों को गहरा करने और वैश्विक चुनौतियों पर भारत के साथ सहयोग बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
याद होना चाहिए कि हाल ही में राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में आधिकारिक बहस में भाग लेते हुए जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ट्रंप ने भारत को ‘गंदा’ बताया था, जिसके बाद बायडेन ने उनकी आलोचना की थी। नीति पत्र में ये भी कहा गया है कि बायडेन ने ओबामा के साथ मिल कर रणनीति, रक्षा, आर्थिक, क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों पर भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में अपनी ताकत झोंक दी थी।
चुनाव प्रचार के दौरान जो बायडेन ने कहा था कि वो तुर्की को सबक सिखाते, भले ही इसके लिए उन्हें ‘सिचुएशन रूम’ में हजारों घंटे ही क्यों न व्यतीत करना पड़े या फिर सीरिया या ईराक में स्थिति सुधारने के लिए क्यों न कुछ भी करना पड़े। चुनाव प्रचार के समय ही उन्होंने साफ़ कर दिया था कि वो तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआँ (Erdogan) से बात कर उन्हें चेता देते कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, इसके लिए उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।