कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी की लोकप्रियता देश में लगातार घट रह है। उनसे सिर्फ मुस्लिमों और यहूदियों ही दूर नहीं जा रहे हैं, बल्कि सिख और हिंदुओं में भी उनकी लोकप्रियता घटी है। कनाडा में अगले साल अक्टूबर में चुनाव होने की उम्मीद है। ऐसे में इस तरह की रिपोर्ट आना, ट्रूडो सरकार के लिए बेहद परेशानी की बात है।
मुस्लिमो और यहूदियों के बीच ट्रूडो और लिबरल पार्टी की लोकप्रियता घटने की प्रमुख वजह गाजा में इजरायल और हमास के बीच जारी लड़ाई है। एंगस रीड इंस्टीट्यूट (एआरआई) के एक हालिया सर्वे में कहा गया है कि मुस्लिम और यहूदी मतदाता लिबरल पार्टी से दूर जा रहे रहे हैं। ये दोनों समुदाय कुछ समय पहले तक ट्रूडो और लिबरल पार्टी पर बेहद विश्वास करते थे।
इस समय ट्रूडो की लिबरल पार्टी पर 22 प्रतिशत हिंदू और 21 प्रतिशत सिख विश्वास करते हैं। वहीं, सिर्फ 41 प्रतिशत मुस्लिम ही लिबरल्स का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, यहूदियों का 42 प्रतिशत वोट कंटरवेटिव पार्टी को जा रहा है। साल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 8.30 लाख हिंदू रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.30 प्रतिशत हैं। वहीं, सिख आबादी 7.70 लाख है।
‘द ग्लोब एंड मेल’ के लिए 28 अप्रैल से 1 मई के बीच कराए गए सर्वेक्षण में जस्टिन ट्रूडो के लिए नतीजे और भी बुरे हैं। सर्वे में भाग लने वाले 10 में से सात से अधिक कनाडाई लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री को सुनने से मूर्खता, क्रोध, रोष, घृणा और अयोग्यता जैसी भावनाएँ या प्रतिक्रियाएँ उनके अंदर उत्पन्न होती हैं।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले उत्तरदाताओं ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को 10 में से 3.7 की औसत विश्वसनीयता रेटिंग दी है। उनसे बेहतर स्थिति उनके विपक्षी दल कंटरवेटिव पार्टी के प्रमुख पियरे पोइलिवरे है। उनकी एवरेज क्रेडिबलिटी रेटिंग 10 में से 3.9 अंक है। हालाँकि, सर्वे में यह नतीजा भी निकल कर आया है कि ट्रूडो के साथ-साथ पियरे के प्रति भी लोगों में नराजगी बढ़ी है।
नैनो रिसर्च के संस्थापक निक नैनो ने एक साक्षात्कार में कहा, “लोग नहीं सोचते कि कोई भी विकल्प विश्वसनीय है। आज देश का मूड पियरे पोइलिवरे के दृष्टिकोण या स्वयं पियरे पोइलिव्रे से अधिक बदलाव को लेकर है।” एंगस रीड इंस्टीट्यूट द्वारा ट्रैक और संकलित किए गए 50 वर्षों के आँकड़ों के अनुसार, कनाडा के तीन मुख्य राजनीतिक नेता कभी इतने अलोकप्रिय नहीं रहे।
ट्रूडो इस बात पर अड़े हुए हैं कि वह अगले चुनाव में लिबरल्स का नेतृत्व वही करेंगे़। हालाँकि, इस सप्ताह जब उनसे पूछा गया कि यदि वह पद पर बने रहेंगे तो उनकी पार्टी की क्या संभावनाएँ होंगी तो उन्होंने इस प्रश्न को ओटावा “प्रक्रिया” कहानी के रूप में खारिज कर दिया और कहा कि उनका ध्यान कनाडाई लोगों के लिए परिणाम देने पर केंद्रित है।