कृषि क्षेत्र में पशु उत्पादों के निर्यात मामले में भारत पहले से ही एक बड़ा हब रहा है, वही अब इसमें एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। कृषि क्षेत्र में भारत में पशु उत्पादों का सफल इस्तेमाल हजारों वर्षों से होता आ रहा है। इस्लामी मुल्क कुवैत के एक वैज्ञानिक रिसर्च में पता चला है कि फसलों के लिए गाय का गोबर काफी उपयोगी है, जिसके बाद भारत को इसके लिए आर्डर दे दिया गया है। पहली खेप में 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर कुवैत भेजा जाएगा। गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से इसे कुवैत भेजा जाएगा।
बताया जा रहा है कि ये पहली बार है जब भारत को कुवैत से गाय के गोबर के लिए ऑर्डर मिला है। भारत इससे पहले पशु उत्पादों में मानस और पशुओं के खाल के अलावा दूध और दूध से बने अन्य प्रोडक्ट्स का निर्यात करता रहा है। अब गाय के गोबर की गुणवत्ता को विदेशी वैज्ञानिक रिसर्चों में पुष्टि मिलने के बाद भारत को और भी ऑर्डर्स मिल सकते हैं। सबसे बड़ी बात कि ये निर्यात सरकारी नहीं, बल्कि सहकारी स्तर पर हो रहा है। कुवैत ने पाया है कि गाय के गोबर के इस्तेमाल से खजूर के फसल का आकर और उत्पादन बढ़ता है।
गोभक्तों का भी इसमें बड़ा योगदान है। जयपुर के टोंक मोड़ पर स्थित पिंजरापोल गौशाला स्थित ‘सनराइज आर्गेनिक पार्क’ में कस्टम विभाग की देखरेख में कंटेनरों में गाय के गोबर की पैकिंग का काम चालू है। बुधवार (15 जून, 2022) को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से पहली खेप रवाना की जाएगी। ‘भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ’ के अध्यक्ष डॉ अतुल गुप्ता के प्रयासों से ये सफलता मिली है। ‘सनराइज एग्रीलैंड एंड डेवलपमेंट रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड’ को ये ऑर्डर मिला है। लैमोर नामक कंपनी ने गोबर मँगाया है।
कंपनी के डायरेक्टर प्रशांत चतुर्वेदी का कहना है कि भारत में पहली बार शायद इस किस्म का कुछ हो रहा है। उन्होंने बताया कि 2020-21 में भारत का पशु उत्पाद निर्यात 27,155.56 करोड़ रुपए था और जैविक खाद की माँग लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कई वैज्ञानिक रिसर्चों का हवाला देते हुए बताया कि गाय के गोबर के इस्तेमाल से हुई फसल से कई बीमारियाँ भी ठीक होती हैं। भारत के मवेशी रोज 30 लाख टन के आसपास गोबर देते हैं। चीन 1.5 करोड़ परिवारों को बिजली देने के लिए गोबर का इस्तेमाल करता है।