मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने एक बयान दिया था, जिसमें उनका कहना था कि समुदाय विशेष के पास लाखों फ्रांसीसी लोगों को जान से मारने का अधिकार है। इस बयान पर उनकी पूरी दुनिया में आलोचना हुई लेकिन इसके बाद वह शुक्रवार (30 अक्टूबर 2020) को फिर अपने नफ़रत भरे बयान के पक्ष में खड़े हुए नज़र आए। इस बयान के संबंध में ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया जा रहा है।
दरअसल गुरूवार (29 अक्टूबर 2020) मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने ट्विटर पर जहर उगलते हुए कहा था कि मजहब विशेष वालों के पास फ्रांस के लोगों की हत्या करने का अधिकार है। फ्रांस के लोगों की हत्या का समर्थन करते हुए महातिर मोहम्मद ने अपने ट्वीट में लिखा था, “क्रोधित लोगों के पास जान लेने का अधिकार है क्योंकि भूतकाल (इतिहास) में फ्रांस ने लाखों लोगों का नरसंहार किया है।
अपने नफ़रत भरे ट्वीट पर पूरी दुनिया में विवाद बढ़ने और आलोचना का शिकार होने के बाद उन्होंने इस संबंध में सफाई भी पेश की। उन्होंने कहा, “जिस तरह मेरे द्वारा पेश किए गए विचारों की गलत व्याख्या की गई और तोड़-मरोड़ का उनका प्रचार किया गया, मैं इस बात से बहुत ज़्यादा निराश हूँ।”
महातिर मोहम्मद ने कहा कि लोग उनके ट्वीट को पूरा नहीं पढ़ पाए, जिसके अगले हिस्से में यह लिखा था, “मुस्लिमों ने कभी आँख के बदले आँख वाली नीति के क़ानून का पालन नहीं किया। मुस्लिम ऐसा नहीं करते हैं और फ्रांस के लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए। बल्कि फ्रांस सरकार को अपने लोगों को इस बात की शिक्षा देनी चाहिए कि वह दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें।”
MISREPRESENTED CONTEXT
— Dr Mahathir Mohamad (@chedetofficial) October 30, 2020
1. I am indeed disgusted with attempts to misrepresent and take out of context what I wrote on my blog yesterday. https://t.co/QFQZ0y7HUD
इसके बाद महातिर मोहम्मद ने कहा कि जिस तरह उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और इसके गलत मायने निकाले गए। उसके आधार पर उन्हें फेसबुक और ट्विटर पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। इस कार्रवाई को मद्देनज़र रखते हुए उन्होंने फेसबुक और ट्विटर की आलोचना की। आलोचना करते हुए उन्होंने लिखा कि उनके द्वारा अपना पक्ष रखने और सफाई पेश किए जाने के बावजूद इस तरह की कार्रवाई गलत है।
6. FB and Twitter had then requested the administrators of my Facebook and Twitter accounts to remove the postings. Despite attempts to explain the context of the posting, they were removed.
— Dr Mahathir Mohamad (@chedetofficial) October 30, 2020
फ्रांसीसी लोगों के नरसंहार की बात कहने वाले महातिर मोहम्मद अगले ही क्षण खुद ही भुक्तभोगी (victim) भी बन गए।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि उनके लिए यही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। एक तरफ उन्होंने ऐसे लोगों का बचाव किया, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाया। साथ ही समुदाय के लोगों से इस बात की आशा रखी कि वह अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए इसे पचा (स्वीकार) लें।
खुद को भुक्तभोगी साबित करते और ट्विटर की आलोचना करते हुए महातिर मोहम्मद इस बात पर अड़े थे कि पैगंबर मोहम्मद का कार्टून बनाना अभिव्यक्ति की आज़ादी के दायरे में नहीं आता है लेकिन उनकी प्रतिक्रिया ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ की मिसाल है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिमों से इस बात की उम्मीद की जाती है कि वह अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कार्टून स्वीकार कर लें जबकि ट्विटर ने उनका यह ट्वीट डिलीट कर दिया था। महातिर मोहम्मद की तरफ से यह प्रतिक्रिया शुक्रवार को कट्टर इस्लामियों द्वारा नीस शहर में आतंकी हमलों के बाद आई थी।
इस आतंकवादी हमले में एक आतंकी ने नीस शहर स्थित एक चर्च के पास कुल 3 लोगों की हत्या कर दी थी, जिसमें एक महिला भी शामिल थी, जिसका गला काट दिया गया था। यह भयावह हमला फ्रांस के एक शिक्षक का अभिव्यक्ति की आज़ादी से संबंधित मुद्दे पर एक कार्टून (पैगंबर मोहम्मद) दिखाने के लिए गला काटने के बाद हुआ था। महातिर मोहम्मद के ट्वीट पर विवाद बढ़ने के बाद ट्विटर ने उसे हिंसा को बढ़ावा देने वाला बता कर डिलीट कर दिया था।