Sunday, September 15, 2024
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31 साल की महिला डॉक्टर के ‘उपचार’ से डरी पाकिस्तान सरकार, मार्च करने निकली तो 2 लाख लोग साथ हो लिए: बलूचिस्तान की आवाज महरंग बलोच को जानिए

महरंग उस समय तक इतना सक्रियता से प्रदर्शनों में नहीं जुड़ीं थीं, लेकिन 2017 में जब भाई भी अचानक किडनैप कर लिया गया, तब उन्होंने मैदान में आने की ठानी। महरंग ने अपने भाई के लिए प्रदर्शन किए, मार्च में शामिल हुई, बैठकों में गईं।

पाकिस्तान के अत्याचारों के खिलाफ बलूचिस्तानियों के संघर्ष का इतिहास पुराना रहा है। आज भी बलोच के लोग अपने अधिकारों के लिए पाकिस्तान सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं। कुछ ने इस क्रम में हिंसा का रास्ता अपना लिया है तो कुछ ऐसे भी हैं जो अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए भी पाकिस्तान सरकार के नाक में दम किए हुए। 31 साल की महरंग बलोच इनमें सबसे ज्यादा जाना-माना नाम है।

कौन हैं महरंग बलोच

1993 में जन्मीं महरंग पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन वैश्विक स्तर पर उनकी पहचान मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर होती है। उन्हें बलूचिस्तान के लोगों के हकों के लिए लड़ते-लड़ते एक दशक से ज्यादा का समय बीत गया है।

इस लड़ाई में वो अपने अब्बा को खो चुकी हैं और भाई के अचानक गायब होने के दर्द को जानती हैं। उन्होंने वैसे तो बलोच लोगों के लिए 2006 से ही आवाज उठाना शुरू कर दिया था लेकिन कुछ समय बाद उनके अब्बा का अपहरण कर लिया गया और फिर 2011 में उनका शव क्षत-विक्षत हालत में मिला।

महरंग उस समय तक इतना सक्रियता से प्रदर्शनों में नहीं जुड़ीं थीं, लेकिन 2017 में जब भाई भी अचानक किडनैप कर लिया गया, तब उन्होंने मैदान में आने की ठानी। महरंग ने अपने भाई के लिए प्रदर्शन किए, मार्च में शामिल हुई, बैठकों में गईं। उनके आवाज उठाने का ये लाभ हुआ कि अपहरणकर्ताओं को 2018 में उनके भाई को लौटाना पड़ा।

राजनीति में कैसे हुई एंट्री

महरंग इस बीच ये समझ चुकी थीं कि ये दर्द जो उन्होंने सहा वो उनके अकेले के साथ हुई घटना नहीं है बल्कि बलूचिस्तान में कई परिवार इस दर्द को झेल रहे हैं। नतीजतन भाई के आने के बाद भी महरंग ने अपना काम नहीं छोड़ा। वह अपहरण होने वाले लोगों के लिए इंसाफ को माँगती रहीं। बाद में 2019 में उन्होंने अपनी एक पार्टी बनाई- बलूच यकजहती समिति (बीवाईसी)।

पार्टी बनाने के बाद उन्होंने छोटी-छोटी बैठकें शुरू कीं। दरवाजे पर जा जाकर ऐसे लोगों को जोड़ा। धीरे-धीरे उनके साथ घर की बुजुर्ग औरतों से लेकर घर की बेटियाँ तक जुड़ने लगीं। उनके साथ चलने वाला काफिला बड़ा होने लगा।

महरंग का बलूचिस्तानियों पर असर

महरंग का असर आज बलूचिस्तान पर ऐसा है कि हाल में उनके नेतृत्व में एक मार्च हुआ था जिसमें अनुमान था कि करीबन 2 लाख लोग आए होंगे। इन लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्च किया, आंसू गैस छोड़े, तमाम प्रयत्न किए, लेकिन लोगों ने हार नहीं मानी।

महरंग को सुनने जटी भीड़

उलटा लोग महरंग की हिम्मत देख उनके कायल हो गए। युवा लड़कियों ने बताया कि वो मार्च में महरंग को देखकर आई हैं। उन्होंने कहा कि मार्च में उन्हें पहली बार पता चला कि बलूचिस्तानी लोग अपने परिजनों को खोने से दर्द में हैं। लड़की ने कहा कि महरंग सच में लोगों के दिल और दिमाग जीत रही हैं। उन्हीं के कारण सबको पता चला कि आखिर बलूचिस्तानियों के साथ उनके अपने देश में क्या हो रहा है।

वहीं महरंग है जिन्हें आए दिन अपने लोगों की आवाज उठाने के लिए मारने की धमकियाँ मिलती हैं, लेकिन महरंग कहती हैं, “पहले मुझे मृत्यु से डर लगता था। यहाँ तक मैं अंतिम संस्कार में भी नहीं जाती थी। मगर 2011 में पहली बार मुझे अपने पिता के क्षत-विक्षत शव की पहचान करनी पड़ी। पिछले 15 वर्षों में अपने लोगों के दर्जनों शवों को देखा है। अब मुझे मौत से भी डर नहीं लगता है।”

डरती है पाकिस्तान सरकार

बता दें कि महरंग के पिता मजदूर थे, लेकिन उन्होंने एमबीबीएस हासिल करके डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और आज वो जिन बलोच लोगों के लिए संघर्ष कर रही हैं वो उन तमाम लोगों के दर्द को बयान करता है जिन्होंने पाकिस्तानी फौज के कारण अपने अपनों को खोया और जिन्हें पता भी नहीं कि उनके अपने जीवित हैं भी या नहीं। आज उनके नाम और काम के बारे में सिर्फ बलूचिस्तानी ही नहीं जानते बल्कि अलग-अलग जगह के लोग, जो इंसानियत की पैरवी करते हैं वो उनके मुरीद हैं। उनकी लोकप्रियता तेजी से मुल्क में बढ़ रही है। वहीं सरकार कोशिश कर रही है कि महरंग का असर देश के अन्य जगहों पर न पड़े। इसी कारण से मुल्क की सरकार लोगों को महरंग के साथ जुड़ने से रोक रही है। इंटरनेट बंद कराया जा रहा है और जवान तैनात किए जा रहे हैं ताकि प्रदर्शन पर काबू पाया जा सके।

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