मोहम्मद मुइज्जू सरकार की भारत विरोधी नीति के खिलाफ अब मालदीव में ही आवाज उठने लगे हैं। हिंद महासागर में स्थित द्वीपीय देश मालदीव की दो प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने मुइज्जू सरकार की आलोचना की है और कहा कि सरकार की भारत विरोधी रूख मालदीव के लिए बेहद नुकसानदायक है। विपक्षी पार्टियों ने भारत को सबसे पुराना सहयोगी बताया है।
मालदीव की मालदीवीयन डेमोक्रेटिक पार्टी और द डेमोक्रेट्स ने एक बयान जारी करके मोहम्मद मुइज्जू वाली सरकार की विदेश नीति की आलोचना की है। दोनों पार्टियों ने भारत को मालदीव का सबसे पुराना एवं भरोसेमंद सहयोगी बताते हुए कहा कि भारत विरोधी स्टैंड मालदीव के विकास में रुकावट डालने वाला साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिन्द महासागर में स्थिरता और सुरक्षा मालदीव की स्थिरता और सुरक्षा के लिए जरूरी है।
अपने संयुक्त बयान में विपक्षी पार्टियों ने कहा, “वर्तमान प्रशासन (मुइज्जू सरकार) भारत विरोधी स्टैंड लगातार लेती जा रही है। MDP और डेमोक्रेट्स का मानना है कि किसी भी सहयोगी से दूर होना और विशेषकर अपने सबसे पुराने सहयोगी से, मालदीव के विकास के लिए लम्बे समय में रुकावटें पैदा करेगा। मालदीव की सभी सरकारों को अपने नागरिकों की भलाई के काम करती रहनी चाहिए, जैसा पहले से होता आया है।”
Breaking: Joint press statement by Maldives Opposition MDP & the Democrats say, "the current administration appears to be making a stark pivot towards an anti India stance.. will be extremely detrimental" pic.twitter.com/Lt523EUcqq
— Sidhant Sibal (@sidhant) January 24, 2024
गौरतलब है कि मालदीव में भारत विरोधी भावनाएँ भड़काकर सत्ता में आई मुइज्जू सरकार अब इस रवैये को आगे बढ़ा रही है। वह चीन के इशारों पर काम कर रही है। मुइज्जू की सरकार ने हाल ही में एक चीनी जासूसी जहाज को मालदीव आने की अनुमति दी है। चीन का यह जासूसी जहाज जियांग यांग योंग 3 राजधानी माले के तट पर पहुँचेगा।
चीन हिन्द महासागर में अपने जासूसी जहाज भेजता रहता है। ये जहाज भारतीय तट के पास से निकलते हुए भारत के मिसाइल प्रोग्राम और परमाणु संयंत्रों के विषय में जासूसी करते हैं। साल 2023 में भी चीन ने श्रीलंका में भी ऐसा ही एक जहाज भेजा था। तब भारत ने इस पर भी कड़ी आपत्ति जताई थी।
चीन के इस जहाज के मालदीव में आने पर उसके विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह जहाज माले में अपनी आपूर्तियाँ लेने और स्टाफ बदलने के लिए आएगा। इसके लिए चीन के विदेश मंत्रालय ने माले से अनुमति माँगी थी। ये यहाँ कोई भी रिसर्च नहीं करेगा। मालदीव ने कहा है कि वह हमेशा से मित्र राष्ट्रों को ऐसी अनुमतियाँ देता आया है।
गौरतलब है कि इस चीनी जहाज को अनुमति ऐसे समय में दी गई है, जब मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू हाल ही में चीन का एक दौरा करके आए हैं। यह उनका पहला आधिकारिक विदेश दौरा था। इस प्रकार उन्होंने उस परम्परा को भी तोड़ा जिसके अंतर्गत मालदीव का राष्ट्रपति सबसे पहले भारत के दौरे पर आता था।
मुइज्जू सरकार की आलोचना करने वाली मालदीवीयन डेमोक्रेटिक पार्टी यहाँ के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहीम मोहम्मद सोलिह की पार्टी है। वह नवम्बर 2023 तक मालदीव के राष्ट्रपति थे। वह भारत समर्थक माने जाते थे। उनके कार्यकाल में मालदीव के भारत के साथ संबंधों में काफी बढ़ोत्तरी हुई थी।
चीन के जासूजी जहाज को अनुमति देने के साथ ही मालदीव की मुइज्जू सरकार ने हाल ही में मालदीव में राहत बचाव में लगे भारतीय सैनिकों को यहाँ से निकालने को कहा था। मालदीव ने कहा था कि भारत 15 मार्च तक अपने सैनिक हटा ले। हाल ही में मुइज्जू सरकार में मंत्रियों ने भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियाँ की थी। इसके खिलाफ भारत में गुस्सा देखा गया था और भारतीयों ने मालदीव का बायकाट करने को लेकर अभियान चलाया था।