म्यांमार के अराकान आर्मी द्वारा बंधक बना लिए गए पाँच भारतीयों के लिए मोदी सरकार ने आख़िरकार रिहाई का रास्ता तैयार कर दिया। अराकान आर्मी नाम के एक रोहिंग्या विद्रोही संगठन ने इन पाँच भारतीयों को उस वक़्त गिरफ्तार कर लिया था जिस वक़्त म्यांमार के उत्तर में स्थित रखाइन प्रान्त से होकर एक सड़क परियोजना पर काम करने के लिए जा रहे थे। बंधक बना लिए गए इन भारतीयों में विजय कुमार सिंह (48), नांगशानबोक(47), राकेश शर्मा (64) और अजय कोठियाल (64) शामिल हैं।
तीन नवम्बर को म्यांमार के एक सांसद, दो स्थानीय ट्रांसपोर्टर और एक बोट ऑपरेटर सहित पाँच भारतीयों को एक उपद्रवी संगठन ने क्युँत्काव से रखाइन प्रान्त के रास्ते जाते वक़्त बंधक बना लिया। बंधक बना लिए जाने के बाद इनमें से एक भारतीय की मृत्यु हो गई थी। अराकान में बंधक बनाए रखे जाने के दौरान मरने वाले भारतीय व्यक्ति की पहचान 60 वर्षीय वीनू गोपाल के तौर पर हुई जोकि वहाँ एक कंस्ट्रक्शन एडवाइज़र के तौर पर काम करता था।
इस मामले में मोदी सरकार के दखल के बाद बंधक बनाए गए भारतीय नागरिकों को वीनू गोपाल के पार्थिव शरीर समेत भारत वापस भेजने की तैयारी तेज़ हो चुकी है। इन्हे रिहाई के बाद सितवा भेझा जा चुका है जहाँ से वे मंगलवार को यंगून के रास्ते भारत आएँगे। एक रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास इस पूरी कार्रवाई पर अपनी नज़र बनाए हुए है ताकि भारतीयों को हर संभव मदद मिल सके और गोपाल के शरीर को भी ससम्मान भारत भेजा जा सके।
Govt of India: However, one of the Indian nationals died in custody of Arakan Army due to heart attack. The released Indian nationals, along with the body of the deceased, have reached Sittwe (Myanmar) and will be leaving for Yangon ( Myanmar) today for onward journey to India https://t.co/gWnZPQxsfx
— ANI (@ANI) November 5, 2019
हालाँकि, इस मुद्दे पर जब बंधक बनाने वाली अराकान आर्मी के आदमी से बात की गई तो उसने कहा कि किसी को भी बंधक नहीं बनाया गया था। उसके मुताबिक “कालादान नदी में सामान्य चेकिंग के चलते इन लोगों को रोका गया था, जिसमें पाँच भारतीय और दो ट्रांसलेटर और दो नाविक शामिल थे। हमें हिन्दुस्तानियों से भला क्या मामला हो सकता है। यही वजह है कि हमने कल शाम ही इन्हें रिहा करने का निर्णय ले लिया था।”
अराकान आर्मी ने एक बयान जारी करते ही दावा किया कि रविवार सुबह करीब 10 बजे भारतीयों को नाव से पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसके बाद अगले ही दिन सुबह 5:45 पर सोमवार को उन्हें मुक्त कर दिया। उन्होने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी तरह के विकास परियोजना के खिलाफ नहीं हैं जो जनता के हित में हो। गौरतलब है कि इस संगठन ने मृतक वीनू गोपाल की मौत पर शोक जताया है जबकि वीनू ने अपनी मौत का ज़िम्मेदार इसी संगठन की हरकत को बताया था जिसके चलते उन्हें डायबिटीज और हार्ट की समस्या बढ़ी और उन्होंने दम तोड़ दिया।